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1980 ओलिंपिक में नहीं खेला गया था कोई क्वार्टरफाइनल, पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची भारतीय महिला हॉकी टीम

Tokyo Olympics 2020 भारतीय हॉकी टीम ने रील लाइफ कहानी के हकीकत में बदल दिया है। महिला टीम ने ना सिर्फ पहली बार क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई बल्कि इससे कहीं आगे जाकर ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतकवर टीम को मात दे दी।

By Viplove KumarEdited By: Updated: Mon, 02 Aug 2021 12:48 PM (IST)
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भारतीय महिला हॉकी टीम- फोटो ट्विटर पेज
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है। धमाकेदार खेल के दम पर टीम इंडिया ने 3 बार की गोल्ड मेडल चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। यह पहला मौका है जब भारतीय महिला टीम ने खेलो के महाकुंभ के अंतिम चार में जगह पक्की कर मेडल की उम्मीद जगाई है। भारत के जीत के बाद से ही सोशल मीडिया में यह बात चलाई जा रही है कि भारत ने 1980 के बाद एक बार फिर से सेमीफाइनल में जगह बनाई है। यह तथ्य पूरी तरह से गलत हैं और हम इसके पीछे की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं।

भारतीय हॉकी टीम ने रील लाइफ कहानी के हकीकत में बदल दिया है। महिला टीम ने ना सिर्फ पहली बार क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई बल्कि इससे कहीं आगे जाकर ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतकवर टीम को मात दे दी। अब टीम इंडिया ने पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में कदम रखकर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया। साल 1980 में भी भारतीय टीम अंतिम चार में रही थी लेकिन तब वह आखिरी चार था।

भारत पहली बार पहुंचा सेमीफाइनल में

साल 1980 में मोस्को में खेले गए ओलिंपिक में महिला हॉकी में सिर्फ 6 टीमों ने ही हिस्सा लिया था। इसमें हर टीम के 5-5 ग्रुप मैच खेलने का मौका दिया गया था। ग्रुप मैच में जीत और गोल के आधार पर ही गोल्ड, सिल्वर और ब्रान्ज मेडल का फैसला किया गया था। जो फॉर्मेट था उसके मुताबिक कोई क्वार्टर फाइनल मैच खेला ही नहीं गया। लिहाजा भारतीय टीम के अंतिम चार में रहने का मतलब सेमीफाइनल में जगह बनाना बिल्कुल भी नहीं।

1980 के इस ओलिंपिक में जिम्बाब्वे, युगोस्लोवाकिया और सोवियत यूनियन ने 5 में से 3-3 मैच जीते थे। जिम्बाब्वे ने सबसे ज्यादा 13 गोल किए और उसे गोल्ड मेडल दिया गया। इसी तरह से युगोस्लोवाकिया ने 11 और सोवियत यूनियन ने 10 गोल कर क्रमश: सिल्वर और ब्रान्ज मेडल पर कब्जा जमाया था।