खौड़ क्षेत्र में लंपी वायरस के अब तक 165 गायों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं जबकि दो गायों की मौत हो गई है। जम्मू जिले के आरएसपुरा मीरां साहिब के गांवों में भी लंपी वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 11 Aug 2022 08:00 AM (IST)
संवाद सहयोगी, खौड़: क्षेत्र में लंपी वायरस के अब तक 165 गायों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं, जबकि दो गायों की मौत हो गई है। जम्मू जिले के आरएसपुरा, मीरां साहिब के गांवों में भी लंपी वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी अब तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण नहीं शुरू किया गया है। हालांकि प्रभावित क्षेत्रों में पशु चिकित्सकों की टीम बनाकर संक्रमित मवेशियों के सैंपल जुटाए जा रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इस बीमारी को रोकने के लिए टीकाकरण शुरू करवाए और जिनके मवेशी इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं, उनको जिला प्रशासन की तरफ से मुआवजा मुहैया करवाया जाए।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में लंपी वायरस के मामले आ चुके हैं। इन राज्यों से जम्मू कश्मीर में भी मवेशी खरीदकर लाए जाते हैं। ऐसे में जम्मू जिले के कई सीमावर्ती गांवों में इस बीमारी से मवेशियों के संक्रमित होने से पशुपालकों की नींद उड़ गई है। जम्मू जिले के ज्यौड़ियां, जोंगवा, बटल, खौड़, मुट्ठी मेरा, देवीपुर, बकोर, कोट गढ़ी आदि क्षेत्रों में 165 मामले सामने आए हैं। इस वायरस का सबसे ज्यादा हमला दुधारू गायों में हो रहा है। जम्मू में पशु चिकित्सकों की एक टीम का गठन किया गया है, जो गांवों में जाकर संक्रमित मवेशियों से सैंपल एकत्र कर रही है और पशुपालकों को इस बीमारी से बचाव के बारे में जागरूक कर रही है।
मक्खी-मच्छर से संक्रमित पशु से दूसरे में फैलती है बीमारी मवेशियों से लंपी वायरस से होने वाली संक्रामक बीमारी एक चर्म रोग है। जिस मवेशी में यह वायरस हमला करता है उसके शरीर पर गांठें बन जाती हैं, जिनसे खून निकलने लगता है। मच्छर, मक्खी, जूं और अन्य परजीवी कीड़े इसके वाहक होते हैं। इनके जरिये इसका वायरस बहुत तेजी के साथ एक मवेशी से दूसरे मवेशी में फैलता है। जैसे यदि कोई मच्छर किसी संक्रमित मवेशी को काटता है तो उस मच्छर के जरिये लंपी वायरस दूसरे मवेशियों को भी बीमार बना देता है। यदि समय पर बीमार मवेशी का टीकाकरण या उपचार नहीं किया जाए तो उसकी मौत भी हो सकती है।
ये एहतियात बरतें -पशुपालकों को मवेशियों को दूर-दूर रखना चाहिए।
-उनके खाने-पीने की सामग्रिया भी अलग-अलग रखें। -बीमार मवेशी के पास जाने से पहले पीपीई किट पहनें। -लक्षण नजर आते ही तुरंत पशु चिकित्सक को बताएं। बीमारी के लक्षण और प्राथमिक उपचार मवेशी पर लंपी वायरस के हमले के बाद शुरू में उसे दो-तीन हल्का बुखार होता है। इसके बाद उसके शरीर पर चमड़े में गोल-गोल गांठें निकल आती हैं। धीरे-धीरे यह गांठे चमड़े से नीचे की तरफ मांस तक पहुंच जाती हैं। इसके साथ ही यह संक्रमण मुंह, गला और श्वास नली तक फैल सकता है। मवेशी के पैरों में सूजन आ सकती है और दुग्ध उत्पादन में भी कमी आने लगती है। वैसे तो इस बीमारी से संक्रमित मवेशी दो तीन सप्ताह में ठीक हो सकते हैं। इस वायरस के संक्रमण से मवेशियों में मृत्यु दर 15 प्रतिशत है। बुखार आने पर मवेशी को पैरासिटामाल दे सकते हैं। पशु चिकित्सक के परामर्श से पीपीई किट पहनकर पांच-सात दिन एंटीबाटिक और एंटी हिस्टामिनिक दवा लगाने से मवेशी ठीक हो सकता है। संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल खाद्य सामग्री ही दें। ------- लंपी वायरस की रोकथाम के लिए प्रशासन सतर्क है। जिस मवेशी में संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं, उसका उपचार करवाया जा रहा है। इस वायरस के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित किए जाएंगे, ताकि लोग खुद मवेशी की देखभाल कर सकें। -अनिल ठाकुर, एसडीएम खौड़ ------- पशु चिकित्सकों की एक विशेष टीम बनाकर उसे हर गांव में संक्रमित मवेशियों के सैंपल एकत्र करने के लिए भेजा जा रहा है। इन सैंपल की जांच के लिए जालंधर भेजा जा रहा है। संक्रमित मवेशियों का इलाज भी किया जा रहा है। पशुपालकों से कहा गया है कि जिस मवेशियों में संक्रमण दिखे उससे दूसरे मवेशियों को अलग कर दें और तुरंत पशुपालन विभाग को सूचित करें। -राकेश कौल, लाइव स्टाक डिपार्टमेंट आफिसर, खौड़ ------ पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। यदि कोई कोई बीमार होती है तो 15-20 दिन उसका दूध नहीं पीयें। जहां मवेशी बांधते हैं, वहां साफ-सफाई रखें, ताकि वहां मक्खी-मच्छर नहीं हों। -डा. नरेश चौधरी, पशु चिकित्सक, खौड़
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