Move to Jagran APP

कारगिल पुलिस ने सुलझाई 26 साल पुरानी मर्डर मिस्ट्री, 2.40 लाख के लिए हुई थी हत्या; ग्लेशियर में दबा दिए थे शव

कारगिल पुलिस ने 26 साल पुराने मर्डर के केस को सुलझा लिया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को कठुआ जिले के हीरानगर से गिरफ्तार किया है। 1998 में कारगिल से किश्तवाड़ के वाडवान इलाके के लिए निकले चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। हत्यारों ने उनके पास से 2.40 लाख रूपये लूट लिए थे। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

By vivek singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 13 Nov 2024 11:38 AM (IST)
Hero Image
कारगिल पुलिस ने सुलझाया 26 साल पुराना मर्डर केस (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। कारगिल पुलिस ने 26 साल पहले हुए चौहरे हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले को सुलझा लिया है। कारगिल पुलिस ने हत्या के आरोपियों को कठुआ जिले के हीरानगर से गिरफ्तार किया है। अक्टूबर 1998 में कारगिल से किश्तवाड़ के वाडवान इलाके के लिए निकले चार लोगों की जिले के कनीताल ग्लेशियर के पास हत्या कर दी गई थी।

हत्या करने वाले तीन बक्करवालों ने उनके पास से 2.40 लाख रूपये लूट लिए थे। 16 अगस्त 1998 में हत्या करने के बाद हत्यारों ने दो लोगों को ग्लेशियर में दफना दिया था जबकि दो के शवों को नदी में फैंक दिया गया था। इसके बाद तीन हत्या आरोपियों ने 80-80 हजार रूपये आपस में बांट लिए थे।

पशु खरीदने वाडवान जा रहे थे चारों शख्स

मृतक मोहम्मद अली व कारघी के हाजी अनायत अली कसाई का काम करते थे व अन्य दो उनके सहयोगी थे। चारों के शवों का निपटारा करने के बाद हत्यारे वहां से निकल गए थे। किसी को यह अंदेशा नही था कि चारों को मौत के घाट उतार दिया गया है।

ऐसे में कई दिनों तक इंतजार करने के बाद सात अक्टूबर को कारगिल के तंगोले के बशीर अहमद ने रिपोर्ट लिखवाई थी कि उसका भाई मोहम्मद अली अपने तीन साथियों कारघी के हाजी अनायत अली, कठुआ के शेरो अली व नजीर अहमद के साथ लापता हो गया है। वे पशु खरीदने के लिए वाडवान जा रहे थे।

पुलिस ने 2007 में बंद कर दिया था मामला

कारगिल पुलिस ने लापता लोगों का पता लगाने का अभियान छेड़ दिया था। पुलिस ने 25 अप्रैल, 1999 को जम्मू के खटीकां तालाब से कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया था। सबूतों की कमी के कारण उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया व जांच रुक गई। जांच आगे न बढ़ पाने के कारण वर्ष 2007 में मामले को बंद कर दिया गया था।

सितंबर 2011 में कनीताल के पास कंकालों के अवशेष पाए गए। पुलिस द्वारा डीएनए टेस्ट करवाने के बाद पुष्टि हुई कि ये अवशेष नज़ीर अहमद व शेरो अली के थे। इसके बाद वर्ष 2012 में अदालत के आदेश पर इस मामले में नए सिरे से जांच शुरू हो गई।

यह भी पढ़ें- टेरर अटैक के बीच जम्मू-कश्मीर में NIA की छापेमारी, पाक में बैठे आतंकी से एक शख्स के खाते में आए 15 लाख; जांच शुरू

तीन आरोपियों को हीरानगर इलाके से दबोचा

12 साल इस मामले में जांच के बाद कारगिल पुलिस ने आखिरकार यह पता लगा लिया कि हत्या के आरोपी कठुआ के हीरानगर में छिपे हैं। हत्या के आरोपी अपने पशुओं के साथ ठिकाने बदलते रहते थे। ऐसे में विश्वसनीय स्रोतों व मोबाइल ट्रैकिंग के आधार पर उन्हें तलाश लिया गया।

कारगिल पुलिस के इंस्पेक्टर मंज़ूर हुसैन के नेतृत्व में पुलिस टीम ने हत्या के तीन आरोपियों को हीरानगर के कनाह इलाके से दबोच लिया।

आरोपियों की पहचान मोहम्मद रफीक पुत्र नूरदीन, मोहम्मद फरीद पुत्र अफजल गफूर, अब्दुल अजीज पुत्र मोहम्मद युसूफ के रूप में हुई है। कारगिल पुलिस ने हत्या के आरोपियों को एक सप्ताह की रिमांड पर लिया है। उन्हें चार लोगों की हत्या करना स्वीकार कर लिया है।

संवाददाता सम्मेलन में पुलिस ने बताई ये बात

मंगलवार को कारगिल पुलिस ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि आरोपियों ने हत्याएं स्वीकार कर ली हैं। मृतकों के पास बहुत पैसा था, इसका अंदाजा होने के बाद उन्होंने कनीताल ग्लेशियर के पास उन्हें घेर कर लाठियों से मारा था।

उनका कहना है कि हत्या से पहले उनकी मृतकों के साथ किसी बात पर बहस भी हुई थी। इसके बाद उन्होंने एक एक कर चारों को मारा था। उन्होंने बताया कि कठुआ के शेरो अली व नजीर अहमद के शवों को ग्लेशियर के पास दफना दिया था।

वहीं सबूत मिटाने के लिए कारगिल वासियों मोहम्मद अली व हाजी अनायत अली, के शवों को पास में नदी में फैंक दिया गया था।

आरोपियों ने माना है कि उन्होंने नज़ीर अहमद व शेरो अली के शवों को वही ग्लेशियर से निकालकर नदी में फेंकना था लेकिन शाम के समय वहां पर कुत्तों के आ जाने के कारण उन्हें ऐसा करने का मौका नही मिला। पुलिस हत्या के आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

यह भी पढ़ें- अचानक लोड हो गई बंदूकें, चारों ओर से घेराबंदी... विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर जब मंडराया आतंकी खतरा!

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।