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Amarnath Yatra 2024: छड़ी मुबारक के साथ संपन्न हुई 52 दिन की अमरनाथ यात्रा, पांच लाख से ज्‍यादा भक्‍तों ने किए दर्शन

Amarnath Yatra 2024 52 दिनों से चल रही अमरनाथ यात्रा सोमवार को छड़ी मुबारक रस्‍म के साथ संपन्न हो गई है। इस बार बाबा बर्फानी के भक्‍तों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पांच लाख से ज्‍यादा लोगों ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए हैं। श्रद्धालुओं के ठहराने खाने पीने चिकित्सा सुविधा व सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे। इस बार बारह साल का रिकार्ड टूटा।

By satnam singh Edited By: Himani Sharma Updated: Mon, 19 Aug 2024 07:30 PM (IST)
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52 दिन बाद समाप्‍त हुई अमरनाथ यात्रा

राज्य ब्यूरो, जम्मू। पवित्र छड़ी मुबारक के दर्शन के साथ ही 52 दिन से चली आ रही वार्षिक बाबा अमरनाथ (Amarnath Yatra 2024) का आज श्रावण पूर्णिमा पर समापन हो गया। पंजतरणी से आज सुबह छड़ी मुबारक पवित्र गुफा पहुंची।

दशनामी अखाड़ा के महंत मंजीत सिंह के नेतृत्व में छड़ी मुबारक में साधु, संत व श्रद्धालु शामिल थे। छड़ी मुबारक ने पूजा अर्चना की और जम्मू कश्मीर शांति व खुशहाली के लिए प्रार्थना की।

पूजा का विधान हुआ संपन्न

इसके साथ ही श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा का मुख्य दर्शन और पूजा का विधान भी संपन्न हुआ है। पवित्र गुफा में पूजा के बाद छड़ी मुबारक वापस पहलगाम के लिए रवाना हुई है। इसके साथ ही पवित्र गुफा भी श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गई है।

29 जून से शुरू हुई थी यात्रा

बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू हुई थी जिसका आज समापन हो गया। इस बार रिकॉॉॉर्ड संख्या में 5.10 लाख के करीब श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए है। बाबा अमरनाथ यात्रा के सफलतापूर्वक व शांति पूर्ण ढंग से संपन्न होने पर श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड, प्रशासन, संबंधित विभागों, जम्मू कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बलों ने राहत की सांस ली है।

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भक्‍तों पर मेहरबान रहा मौसम

बाबा अमरनाथ यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में इस बार मौसम भी मेहरबान रहा। श्रद्धालुओं के ठहराने, खाने पीने, चिकित्सा सुविधा व सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे। इस बार बारह साल का रिकॉर्ड टूटा। श्रद्धालुओं में भारी उत्साह नजर आया और यात्रा ने भी पांच लाख का आंकड़ा पार किया। यात्रा के लिए श्राइन बोर्ड के प्रबंध भी बेहतर रहें।

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दो वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और इसके अलावा कैंप निदेशक व अतिरिक्त कैंप निदेशक भी तैनात रहे। यात्रा को सफल बनाने में हर संबंधित का योगदान रहा। यात्रा के दोनों मार्गों पर 125 लंगर लगाए गए थे। लंगर वापिस लौट आए है। कुछ अपना सामान समेट कर वापिस आ रहे हैं।

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