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Jammu Kashmir: मेक इन इंडिया की तर्ज पर प्रदेश में चलाई जाएगी मुहिम, व्यापार बढ़ाने के लिए निवेशकों की बढ़ाई जाएगी रुचि

जम्मू-कश्मीर में अब प्रशासन ने निवेशकों की रुचि को बढ़ाने के लिए मेक इन जम्मू एंड कश्मीर अभियान चलाने का फैसला लिया है। इसको लेकर एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लाभजनक निवेश की पूरी संभावना है। मेक इन जम्मू-कश्मीर प्रदेश में औद्योगिक-आर्थिक विकास को एक नई गति देगा। जम्मू-कश्मीर में बीते पांच वर्ष में औद्योगिक निवेश में लगभग 86 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

By naveen sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Sat, 10 Feb 2024 08:05 PM (IST)
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मेक इन इंडिया की तर्ज पर प्रदेश में चलाई जाएगी मुहिम।
नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में देश-विदेश के निवेशकों की बढ़ती रुचि से उत्साहित प्रदेश प्रशासन ने अब मेक इन जम्मू एंड कश्मीर अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश में 46 नए औद्योगिक संपदा क्षेत्रों को विकसित करने के अलावा निवेशकों और उद्योगपतियों को कुछ विशेष सुविधाएं भी प्रदान करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024-25 के दौरान जम्मू-कश्मीर मे औद्योगिक विकास के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रस्ताव है।

पांच अगस्त 2019 के बाद से जनवरी 2024 के अंत तक जम्मू-कश्मीर में 90182 करोड़ रूपये के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और इनमें 12 हजार करोड़ रूपये से अधिक का औद्योगिक निवेश या तो जमीनी स्तर पर वास्तविकता बन चुका है या फिर उससे संबधित परियोजनाओं पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

मेक इन इंडिया पर चलेगा मेक इन जम्मू-कश्मीर

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बीते दिनों प्रदेश में बढ़ते निवेश से उत्साहित होकर मेक इन इंडिया की तर्ज पर मेक इन जम्मू-कश्मीर अभियान चलाने का संबधित प्रशासन को निर्देश दिया है। उपराज्यपाल ने सभी संबधित पक्षों से विचार विमर्श के बाद इस संदर्भ में एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न भागों की भौगोलिक परिस्थितियों और क्षेत्र विशेष में उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप इस अभियान की योजना तैयार करने पर जोर दिया है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लाभजनक निवेश की पूरी संभावना है। मेक इन जम्मू-कश्मीर प्रदेश में औद्योगिक-आर्थिक विकास को एक नई गति देगा, इसके लिए 46 नए औद्योगिक संपदा क्षेत्र भी विकसित किए जा रहे हैं।

औद्योगित निवेश में हुई 86 फीसदी की बढ़ोतरी: एलजी

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अनुसार, खाद्य संवर्धन , रेडीमेड कपड़ा उद्योग और औषधी निर्माण समेत विभिन्न प्रकार के उत्पादों की इकाइयां जम्मू-कश्मीर के लगभग हर जिले में स्थापित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अब रेल नेटवर्क का विस्तार नियंत्रण रेखा तक होने जा रहा है इसलिए बाहर से कच्चे माल के आयात और यहां से तैयार माल के निर्यात में भी सुविधा हो जाएगी। जम्मू-कश्मीर में एक सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का बड़ा केंद्र बनने लायक सभी सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बीते पांच वर्ष में औद्योगिक निवेश में लगभग 86 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

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जून-जुलाई में शुरू हो जाएगी कार्यान्वित प्रक्रिया

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, मेक इन जम्मू-कश्मीर अभियान की पूरी कार्य योजना को जून-जुलाई में अंतिम रूप दे कार्यान्वित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत नए स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित करते हुए 1167 नई इकाइयों को स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जाएगा। निजी क्षेत्र में भी औद्योगिक संपदा क्षेत्र विकसित किए जाएंगे ।

निजी औद्योगिक संपदा क्षेत्र में भी अपने उपक्रम लगाने वाले उद्यमियों को वह सभी सुविधाएं मिलेंगी जो सरकारी संपदा क्षेत्र में किसी कारखाने को मिलती हैं। निजी क्षेत्र में औद्योगिक संपदा को विकसित करने के लिए, उपक्रम स्थापित करने के लिए पंजीकरण शुल्क और भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क की शत प्रतिशत दोबारा अदायगी होगी। बदलते परिवेश के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कुशल कारीगर उपलब्ध रहें इसके लिए 10 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

निवेश करने पर मिलेगा इन योजनाओं का लाभ

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर औद्योगिक नीति 2021-30, जम्मू-कश्मीर औद्योगिक भूमि आवंटन नीति 2021-30, जम्मू-कश्मीर निजी औद्योगिक संपदा विकास नीति 2021-30 और जम्मू-कश्मीर ऊन प्रसंस्करण, हस्तशिल्प और हथकरघा नीति 2020 जैसी नीतियों को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया जा चुका है और इन्हें पूरी तरह से व्यावहारिक बनाया गया है। मेक इन इंडिया के तहत निवेश करने वालों को इन योजनाओं का पूरा लाभ मिलेगा।

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