Jammu Kashmir: 72 साल बाद रोशन हुआ LoC से सटा केरन, पहले रात को ही सिर्फ 3 घंटे मिलती थी बिजली
जम्मू कश्मीर ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा कि केरन और उसके साथ सटे इलाकों में अब हम नियमित बिजली आपूर्ति करने में समर्थ हैं।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Wed, 15 Jul 2020 11:42 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ सटे केरन व अन्य गांवों में आजादी के 72 साल बाद डीजी सेट के शोर और प्रदूषण से मुक्ति मिलने जा रही है। बिजली भी अब महज तीन घंटे के लिए नहीं यथासंभव चौबीस घंटे और सारा साल ही उपलब्ध रहेगी। यह संभव हुआ है 33 केवी की 36 किलोमीटर लंबी बिजली ट्रांसमिशन लाइन के केरन पहुंचने से।
जिला कुपवाड़ा में एलओसी के साथ सटे केरन व अन्य गांवों में लोग बिजली के लिए डीजी सेट पर ही निर्भर थे। बिजली की ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड से कोई संपर्क नहीं था। डीजी सेट से बिजली पैदा करना महंगा रहता है और इसमें इस्तेमाल होने वाला इंधन पर्यावरण के नुकसान पहुंचाता है। डीजी सेट का शोर भी होता है। स्थानीय लोगों को सिर्फ रात को ही तीन घंटे के लिए बिजली आपूॢत होती थी। सॢदयों में वह भी कई दिनों तक ठप रहती थी। कई बार डीजी सेट जवाब दे जाता था तो कई बार डीजल की कमी हो जाती थी। अलबत्ता, अब केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने केरन को इलेक्ट्रिक ग्रिड से जोड़ दिया है। केरन में 36 किलोमीटर लंबी 33 केवी की लाइन पहुंच चुकी है। इसका परीक्षण भी हो गया है और इसमें करंट भी दौड़ रहा है।
अगला लक्ष्य मच्छल को इलेक्ट्रिक ग्रिड से जोड़ना : जम्मू कश्मीर ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा कि केरन और उसके साथ सटे इलाकों में अब हम नियमित बिजली आपूर्ति करने में समर्थ हैं। अब लोगों को डीजी सेट पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। उन्हें पानी से पैदा होने वाली बिजली मिलेगी। बीते 72 सालों में यह पहला मौका है जब केरन और उसके साथ सटे इलाके इलेक्ट्रिक ग्रिड से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि अब हमारा अगला लक्ष्य मच्छल को इलेक्ट्रिक ग्रिड से जोड़ना है।
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