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Jammu Kashmir Election 2024: अभी नहीं दे रहे टिकट, चुनाव बाद हर पार्टी के लिए खास हो जाएंगे निर्दलीय

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पार्टियों से टिकट नहीं मिलने पर बड़ी संख्या में लोग निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। बेहद अनुशासित मानी जाने वाली भाजपा में इस समय सबसे ज्यादा बागी दिख रहे हैं। कांग्रेस के कई नेता भी पार्टी से बगावत करके ताल ठोकने की तैयारी में हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए निर्दलीयों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

By lalit k Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 29 Aug 2024 02:20 PM (IST)
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जम्मू-कश्मीर चुनाव में महत्वपूर्ण होगी निर्दलीयों की भूमिका (फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, विजयपुर। अभी भले ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों की तरफ से विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से बड़ी संख्या में प्रत्याशियों को निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ रहा है, लेकिन चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए यही पार्टियां निर्दलीयों को मनाएंगी। करीब दस वर्ष बाद जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में इस बार बड़ी संख्या में भाजपा और कांग्रेस के नेता भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।

पार्टी के खिलाफ मैदान में उतर रहे बीजेपी नेता

भाजपा में तो अभी संग्राम ही छिड़ा हुआ है। कश्मीर के कई इलाकों में भाजपा के ही नेता अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। चिनाब वैली और जम्मू जिले में भी इसका असर दिख रहा है। ऐसे में लगता यही है कि इस बार सरकार बनाने में निर्दलीयों की भूमिका बहुत अहम होने वाली है।

लंबी होगी निर्दलीय उम्मीदवारों की सूची

अब तक जो राजनीतिक हालात दिख रहे हैं, उसे देखकर फिलहाल तो यही लगता है कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की तुलना में निर्दलीय उम्मीदवारों की सूची ज्यादा लंबी होगी।

सांबा जिले में भी यही नजर आ रहा है। यहां भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर कई लोग पहले ही निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का मन बनाकर बैठे हैं। उन्हें बस पार्टी की तरफ से घोषित होने वाली सूची का इंतजार है।

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अनुशासित पार्टी में भंग हो रहा है अनुशासन

भाजपा हाईकमान ने विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश गंगा, रामगढ़ अनुसूचित जाति आरक्षित क्षेत्र से पूर्व मंत्री डॉ. देवेंद्र कुमार मन्याल व सांबा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह पर ही भरोसा जताकर चुनावी मैदान में उतारा है।

ऐसे में उन लोगों की सूची भी काफी लंबी है, जो उम्मीदवार बनना चाहते थे। इनमें ऐसे लोग भी हैं, जो कई वर्ष से पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करते रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं मिला।

अब निर्दलीय के रूप में उनका गुस्सा चुनाव मैदान में नजर आएगा। जब बेहद अनुशासित मानी जाने वाली भाजपा में अनुशासन भंग नजर आ रहा है तो अन्य पार्टियों के बारे में समझा जा सकता है।

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