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Jammu News: सियाचिन में अग्निवीर बलिदान, सम्मानपूर्वक घर भेजा गया पार्थिव शरीर; परिजनों को मिलेगी इतनी धनराशि

Jammu Kashmir News लद्दाख के सियाचिन में बलिदान हुए अग्निवीर का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचाया गया है। बलिदानी को गार्ड ऑनर भेंट करने के बाद उनके पार्थिव शरीर को बलिदानी गवाटे अक्षय लक्ष्मण अमर रहे के नारों के बीच विमान से उनके घर के लिए भेजा गया। बलिदानी अग्निवीर महाराष्ट्र के बुलधाना तालुका के पिपंलागांव सराय गांव के निवासी थे।

By vivek singhEdited By: Himani SharmaUpdated: Sun, 22 Oct 2023 09:11 PM (IST)
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सियाचिन में अग्निवीर बलिदान, सम्मानपूर्वक घर भेजा गया पार्थिव शरीर
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में देशसेवा करते बलिदान हुए अग्निवीर गवाटे अक्षय लक्ष्मण का पार्थिव शरीर सैन्य सम्मानपूर्वक लेह से घर भेजा गया। सेना की चौदह कोर के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ सेना की लद्दाख स्काउट्स के अधकारियों व जवानों ने बलिदानी को लेह में सलामी दी।

बलिदानी को गार्ड ऑनर भेंट करने के बाद उनके पार्थिव शरीर को बलिदानी गवाटे अक्षय लक्ष्मण अमर रहे के नारों के बीच विमान से उनके घर के लिए भेजा गया। बलिदानी अग्निवीर महाराष्ट्र के बुलधाना तालुका के पिपंलागांव सराय गांव के निवासी थे।

करीब नौ महीने पहले ही हुए थे सेना में भर्ती

सैन्य सूत्रों के अनुसार सियाचिन के कठिन हालात में देश सेवा कर रहे बीस वर्षीय गवाटे बीस अक्टूबर को रात साढ़े ग्यारह बजे को हृदय आघात के कारण अचानक बीमार हो गए थे। इस दौरान उपचार के दौरान उनका उनका निधन हो गया। बलिदानी अग्निवीर अपनी ट्रेनिंग पूरा कर करीब नौ महीने पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। वह अपने पीछे माता, पिता के साथ अपनी छोटी बहन छोड़ गए हैं। पिपंलागांव सराय गांव उनका अंतिम संस्कार सोमवार को होगा।

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जवानों को कई प्रकार की चुनौतियों का करना पड़ता है सामना

सियाचिन ग्लेशियर के अत्याधिक ठंडे व कम आक्सीजन वाले मौसम में जवानों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए कई जवान वीरगति को प्राप्त होते हैं। इनमें से अधिकतर मौतें सियाचिन ग्लेशियर में सोलह हजार फुट से बाइस हजार फुट की उंचाई वाले इलाकों में हिमस्खलन के कारण होती हैं।

सर्दियों में सियाचिन ग्लेशियर का तापमान शून्य से साठ डिग्री नीचे तक चला जाता है। इस वर्ष जुलाई महीने में सियाचिन ग्लेशियर में आग लगने की एक घटना में सेना के एक अधिकारी ने वीरगति पाई थी। इस घटना में तीन सैन्यकर्मी घायल हो गए थे।

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सियाचिन में सेना ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तान को धकेलने के लिए वर्ष 1984 में अभियान छेड़ा था। पिछले 39 सालों से भारतीय सेना के जवान अपने हौसले से सियाचिन में मौसम का मात देकर नापाक इराधे रखने वाले पाकिस्तान से सटी देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं।

सरकार परिजनों को देगी इतनी धनराशि

अग्निवीरों की संलग्नता की शर्तों में युद्ध हताहत के रूप में मृत्यु की स्थिति में ये भुगतान दिया जाएगा। इसके मुताबिक युद्ध में हताहत अग्निवीर के मृतक के निकटतम परिजन को ये भुगतान मिलेंगे। 48 लाख रुपये गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की एक्स ग्रेटिया राशि, अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि (30%), समान योगदान के साथ। सरकार परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए वेतन भी देगी जो लगभग 13 लाख रुपये से अधिक है। शेष कार्यकाल और सशस्त्र बल युद्ध हताहत निधि से 8 लाख रुपये का योगदान भी दिया जाएगा। कुल मिलाकर एक करोड़ के आसपास धनराशि दी जाएगी।

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