Ahoi Ashtami 2022 : संतान की लंबी आयु के लिए सोमवार को रखा जाएगा अहोई अष्टमी व्रत
चन्द्रोदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी 17 अक्टूबर सोमवार को होने के कारण अहोई अष्टमी का व्रत एवं पूजन 17 अक्टूबर सोमवार को होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर सोमवार शाम 05 बजकर 55 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट पर करना शुभ होगा है।
By ashok sharmaEdited By: Rahul SharmaUpdated: Fri, 14 Oct 2022 12:32 PM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता : अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। संतान की दीर्घ आयु, आरोग्य जीवन प्रदान करने की मंगलकामना एवं परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए अहोई माता पार्वती का व्रत एवं पूजन किया जाता है।
कुछ निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए भी अहोई माता का व्रत करती हैं। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर ही करती हैं और शाम को अहोई माता की आकृति गेरु और लाल रंग से दीवार पर बनाकर उनकी पूजा, कथा, आरती और मीठे पुए या आटे का हलवा का भोग लगाएं कुछ माताएं तारों की छांव में तो कुछ चंद्रमा को अर्ध्य देकर भोजन करती है।
अहोई अष्टमी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि का प्रारंभ 17 अक्टूबर सोमवारए सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर होगा और कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन यानी 18 अक्टूबर, मंगलवार सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर होगा। चन्द्रोदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन यह पर्व मनाया जाता है।
चन्द्रोदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी 17 अक्टूबर सोमवार को होने के कारण अहोई अष्टमी का व्रत एवं पूजन 17 अक्टूबर सोमवार को होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर सोमवार शाम 05 बजकर 55 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट पर करना शुभ होगा है। अहोई अष्टमी के दिन पेठे का दान करें।अहोई अष्टमी व्रत कथा : एक साहूकार की बेटी के द्वारा घर को लीपने के लिए मिट्टी लाते समय मिट्टी खोदने के लिए खुरपा चलाने से साही के बच्चों के मरने से संबंधित है। अहोई अष्टमी की दूसरी कथा मथुरा जिले में स्थित राधा कुण्ड में स्नान करने से संतान-सुख की प्राप्ति के संदर्भ में है। 17 अक्टूबर सोमवार को अहोई अष्टमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। जिससे यह व्रत और भी शुभता प्रदान करने वाला हो गया है। अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग शिव और सिद्ध योग बन रहे हैं। जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल होता है। साफ शब्दों में कहें तो इस योग में किया गया पूजन कार्य का शुभ फल आने वाले समय में निश्चित ही मिलता है।
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