Amarnath Yatra 2023: बाबा बर्फानी के दर्शन सबसे पहले किसने किए, आखिर क्या है अमरनाथ यात्रा की पूरी कहानी
Amarnath Yatra 2023 अमरनाथ गुफा को हिंदुओं के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। अमरनाथ की गुफा जम्मू और कश्मीर में 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल हजारों श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा करते हैं।
By Rajat MouryaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Wed, 21 Jun 2023 02:51 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर, जागरण डिजिटल डेस्क। Amarnath Yatra History अमरनाथ यात्रा का आगाज बस कुछ ही दिनों में होने वाला है। हिंदू धर्म में इस यात्रा को काफी पवित्र माना जाता है। भगवान भोलेनाथ के भक्त इस यात्रा का काफी हर्षोल्लास के साथ इंतजार करते हैं। इस साल यह यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी और 31 जून को संपन्न होगी। यात्रा 62 दिनों तक चलेगी।
भोलेनाथ के पावन दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था 30 जून को जम्मू से रवाना होगा। चलिए अब हम आपको इस यात्रा के इतिहास के बारे में बताते हैं। आखिर क्यों डमरू वाले के भक्त अमरनाथ यात्रा का इतनी बेसब्री से इंतजार करते हैं और अमरनाथ यात्रा की शुरुआत क्यों, कब और कैसे हुई?अमरनाथ गुफा को हिंदुओं के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। अमरनाथ की गुफा जम्मू और कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल हजारों श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा करते हैं। कड़ाके की ठंड और बर्फ के बीच बाबा के भक्त इस यात्रा को पूरे जोश के साथ पूरा करते हैं। यात्रा का आयोजन 'श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड' (Shri Amarnathji Yatra Shrine Board) द्वारा किया जाता है।
अमरनाथ मंदिर का महत्व
यह बात तो काफी लोग जानते हैं कि अमरनाथ गुफा (Amarnath temple Yatra) के अंदर बर्फ से बना एक शिवलिंग है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि बर्फ से बनने वाला लिंगम गुफा में भगवान शिव की उपस्थिति है। इतना ही नहीं, यह भी माना जाता है कि यह लिंगम चंद्रमा के चरणों के अनुसार फैलता और सिकुड़ता है। हालांकि, अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है।
अमरनाथ गुफा में एक और खास बात है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है और वो है गुफा के अंदर भगवान गणेश और देवी पार्वती की उपस्थिति। दरअसल, भगवान शिव के लिंगम के बिल्कुल साथ ही देवी पार्वती और भगवान गणेश की भी संरचना बनती है। इनमें भी हिंदुओं की धार्मिक आस्था है।
अमरनाथ गुफा का इतिहास
अमरनाथ गुफा का इतिहास भी काफी रोचक है। कहा जाता है कि बूटा मलिक नाम का एक चरवाहा था, जिसने सबसे पहले गुफा की खोज की थी। हालांकि, 'राजतरंगिणी' पुस्तक में अमरनाथ मंदिर (अमरेश्वर) का उल्लेख है और लोगों का मानना है कि रानी सूर्यमती ने 11वीं शताब्दी ईस्वी में अमरनाथ मंदिर को त्रिशूल, बनालिंग और पवित्र प्रतीक भेंट किए थे और जब 15वीं शताब्दी में बूटा मलिक ने फिर से गुफा की खोज की तो लोग रानी सूर्यमती की कहानी को भूल गए।
बताया जाता है कि बूटा मलिक को एक संत ने कोयले से भरा थैला दिया था और जब वह घर वापस आए तो थैले में कोयले की जगह सोने के सिक्के पाए। बूटा यह देखकर पूरी तरह से हैरान रह गए। इसके बाद वह संत को धन्यवाद देने वापस उसी स्थान पर पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात हुई थी। हालांकि, वहां संत तो नहीं मिले लेकिन शिवलिंग के साथ एक गुफा मिली। इसी समय अमरनाथ गुफा की खोज हुई। तब से यह हिंदुओं के बीच तीर्थ यात्रा के लिए एक प्रमुख स्थान बन गया।
हालांकि, कुछ महाकाव्य हैं जिसमें अमरनाथ की एक अलग कहानी सुनने को मिलती है। कहा जाता है कि हजारों साल पहले कश्मीर की घाटी पानी के नीचे थी और कश्यप ऋषि ने इसे विभिन्न नदियों और नालों के बीच से निकाला। उसी समय के दौरान, भृगु ऋषि ने हिमालय का दौरा किया और पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन करने वाले पहले व्यक्ति बने। इसके बाद, ग्रामीणों को इस बात की भनक लगी और वहीं से यह तीर्थ स्थल बन गया। तब से बड़ी संख्या में भक्तों ने शाश्वत सुख की तलाश के लिए ऊबड़-खाबड़ इलाकों से अमरनाथ यात्रा शुरू कर दी।
अमरनाथ यात्रा कोई आसान यात्रा नहीं है। बाबा बर्फानी अपने हर भक्त से मिलते हैं, लेकिन यात्रा बेहद कठिनाइयों वाली होती है। कठिन यात्रा में श्रद्धालु बाबा के जयकारे लगाकर आगे बढ़ते हैं। पूरी घाटी बाबा के रंग में रंगी होती है। हर तरफ माहौल भक्तीमय होता है। बाबा के दर्शन कर श्रद्धालुओं को शाश्वत सुख का एहसास होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस यात्रा को पूरी कर बाबा से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है।
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- अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके लिए आपको jksasb.nic.in पर जाना होगा। इसके बाद आपको यहां पर सबसे पहले आवेदन फॉर्म भरना होगा।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद आपको उसे अपने मोबाइल पर आए ओटीपी के साथ वेरीफाई करना होगा। इसके बाद सभी तरह की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन की जानकारी एसएमएस के माध्यम से मिल जाएगी।
- ध्यान रहे की आवेदन फॉर्म को भरने के बाद आपको फीस पेमेंट भी करना होगा। इसके बाद आपको यात्रा का परमिट मिल जाएगा। उसे आप अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड भी कर सकते हैं।
- श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की गाइडलाइंस के मुताबिक, अमरनाथ की यात्रा पर 13 से 75 साल के लोग ही जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं है।