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लालचौक से 20 किमी दूर था गांव, लेकिन यहां बिजली पहुंचने में लग गए 70 साल!

बदलते दौर में जम्‍मू कश्‍मीर में भी बदलाव अब दिखाई देने लगा है। जहां पर बीते 70 वर्षों में अंधेरा था वहां पर बिजली पहुंचने से लोगों के घर रोशन हो गए हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 26 Feb 2020 09:05 PM (IST)
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लालचौक से 20 किमी दूर था गांव, लेकिन यहां बिजली पहुंचने में लग गए 70 साल!
जम्‍मू [नवीन नवाज]। जम्मू जम्मू-कश्मीर में सरकारी योजनाओं का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। बिजली, शौचालय और स्वास्थ्य सुविधाएं आज घरों तक पहुंच रही हैं। दूरदराज क्षेत्र के लोग भी मान रहे हैं कि पहली बार योजनाएं फाइलों से बाहर निकली हैं। शायद यह अनुच्छेद 370 हटने का चमत्कार है। राज्य में तेजी से हो रहे विकास कार्यो से आमजन खुश हैं। आलम यह है कि कश्मीर के कुपवाड़ा के टंगडार में 70 साल में जो घर बिजली की रोशनी से वंचित थे, अब रात में जगमगाते हैं। अख्तर बीबी और उन जैसी महिलाओं को शौच के लिए अंधेरे में घर से नहीं निकलना पड़ता।

मंजीत सिंह को अपने पिता के इलाज को सरकारी मदद के लिए न किसी विधायक के पास चक्कर काटने पड़े और न नौकरशाहों के दफ्तर में अर्जी लेकर घूमना पड़ा। पिछले डेढ़ साल में जम्मू-कश्मीर में मौलिक सुविधाओं के विकास ने जो गति पकड़ी है, उससे आमजन खुश हैं।जम्मू-कश्मीर अब दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बंट चुका है। जून 2018 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार भंग हुई थी। इसके बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया।

31 अक्टूबर 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के पास प्रशासनिक कमान है। विकास योजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूरा करने के लिए संबधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए कामकाज की समीक्षा की जा रही है। इसका असर विभिन्न इलाकों में आम लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जम्मू-कश्मीर में जनयोजनाओं की प्रगति को सराहा है। उन्होंने खुद और ट्वीट कर भी जम्मू-कश्मीर में डेढ़ साल में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2.5 लाख शौचालयों के निर्माण और 3.3 लाख घरों में बिजली के कनेक्शन देने की पुष्टि की है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 3.5 लाख लोगों ने गोल्डन कार्ड प्राप्त किया है। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि बदलाव है जो साफ देखा जा सकता है।जम्मू से सटे चट्ठा गांव के बाहरी हिस्से में रहने वाली सुलोचना कहती हैं कि हमें बिजली भी मिली और शौचालय भी। सुबह अंधेरे में घर से शौच के लिए निकलना पड़ता था। पिछले साल जनवरी में हमारे घर ब्लॉक के अधिकारी आए थे, उन्होंने शौचालय बनवाया। हमारे मुहल्ले में 15 परिवारों के घरों में शौचालय पिछले साल ही बना है..।

कश्मीर में त्रेहगाम के ऊपरी हिस्से में रहने वाली अख्तर बीबी कहती हैं कि खुले में शौच जाना अपमानजनक था। आप महिलाओं से पूछो कि सरकार ने जो शौचालय बनवाए हैं, इनकी अहमियत क्या है..। जम्मू कश्मीर में आयुष्मान योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या 31 लाख से अधिक है। अब तक 11 लाख 37 हजार लोगों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। योजना को आम लोगों तक पहुंचाने में जुटे डॉ. वसीम ने कहा कि हमारा दावा शायद आपको सही न लगे, लेकिन आप अस्पताल आकर देखें कि लोग कैसे लाभ ले रहे हैं।

शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, सौरा में पिता के डायलिसिस के लिए त्रल, पुलवामा से आए मंजीत सिंह ने कहा कि गोल्डन कार्ड का फायदा बहुत है। इससे हमें सस्ता और बढ़िया इलाज मिल रहा है, अन्यथा मैं अपने पिता को इलाज के अभाव में तड़पता देखता रह जाता। बड़गाम से आए रशीद ने कहा कि हमने तीन माह पहले ही गोल्डन कार्ड बनवाया है। इससे मेरी बीबी कुलसूम के दिल का ऑपरेशन का खर्च व अन्य टेस्ट सस्ते हो गए हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव आयुक्त अटल डुल्लु ने कहा कि करीब 62 हजार लोगों ने विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए गोल्डन कार्ड का लाभ प्राप्त किया है।

बिजली आने में लग गए 70 साल.. 

डेढ़ साल में जिंदगी में आए बदलाव का जिक्र करते हुए नजीर खटाना ने कहा कि हमारा थीड गांव लालचौक से बीस किलोमीटर दूरी पर है। यहां बिजली पहुंचने में 70 साल लग गए। हम लोग कई बार प्रतिनिधिमंडल लेकर मंत्रियों के पास गए, सचिवालय में चक्कर काटे। धरने दिए। थकहार कर बैठ गए थे। पिछले साल जुलाई में बिजली विभाग वाले आए और यहां खंभे व तार बिछने शुरू हो गए।

क्‍या कहता है विभाग 

योजना एवं निगरानी विभाग के प्रवक्ता रोहित कंसल का कहना है कि हमारा ध्यान आम लोगों को मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने पर है। स्वच्छ भारत मिशन हो या हर घर में बिजली की योजना, सभी की लगातार निगरानी की जा रही है। हमने पंचों, सरपंचों को भी इनमें शामिल किया है। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर इन योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने में देश के अन्य भागों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री भी जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हैं। 

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