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Anantnag Encounter: अनंतनाग में मुठभेड़ जारी, पहाड़ों के घने जंगलों में छिपे आतंकी; ड्रोन और कमांडो की निगरानी

Anantnag Encounter करीब दो दिन से चल रही इस मुठभेड़ में सेना के पैरा कमांडो राष्ट्रीय राइफल के जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष दस्ते सतर्कता के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं और घेरा कसते जा रहे हैं। अभियान में हेरोन ड्रोन और खोजी श्वान की मदद भी ली गई है। इस बीच वीरवार को मुठभेड़ के दौरान एक और सैन्यकर्मी के घायल हो गया।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Fri, 15 Sep 2023 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 15 Sep 2023 06:30 AM (IST)
सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी गडोल में डेरा डाले हुए हैं

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और डीएसपी मुजम्मिल हुमायूं बट के बलिदान के लिए जिम्मेदार टीआरएफ (द रजिस्टेंस फ्रंट) के दो आतंकी कमांडरों उजैर और गाजी उस्मान को सुरक्षाबलों ने अनंतनाग के गडोल के जंगल में घेर रखा है। करीब दो दिन से चल रही इस मुठभेड़ में सेना के पैरा कमांडो, राष्ट्रीय राइफल के जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष दस्ते सतर्कता के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं और घेरा कसते जा रहे हैं। अभियान में हेरोन ड्रोन और खोजी श्वान की मदद भी ली गई है। इस बीच, वीरवार को मुठभेड़ के दौरान एक और सैन्यकर्मी के घायल हो गया और इस तरह जख्मी सैन्यकर्मियों की संख्या पांच हो गई है। एक जवान लापता भी बताया जा रहा है, लेकिन इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

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पार्थिव शरीर विशेष विमान से चंडीगढ़ रवाना

वहीं, आतंकियों की फायरिंग रेंज में होने के कारण मुठभेड़ स्थल से बलिदानी कर्नल और मेजर का पार्थिव शरीर भी गुरुवार सुबह ही निकाला जा सका है, हालांकि पहले दावा किया जा रहा था कि उन्हें घायल अवस्था में निकाल उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, जहां वह बलिदान हुए। देर शाम श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद दोनों सैन्य अधिकारियों के पार्थिव शरीर विशेष विमान से चंडीगढ़ रवाना कर दिए गए।

ताबड़तोड़ फायरिंग

सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी गडोल में डेरा डाले हुए हैं और आतंकियों के खिलाफ अभियान की लगातार निगरानी कर रहे हैं। चिनार कोर के कमांडर और विक्टर फोर्स के कमांडर भी मौके पर पहुंचे और जरूरी दिशा निर्देश दिए। इस बीच, तड़के आतंकियों ने घेराबंदी तोड़कर भागने का प्रयास करते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की, लेकिन नाकाम रहे। सूत्रों ने बताया कि दोपहर बाद एक सैन्यकर्मी कुलविंदर सिंह आतंकियों की गोली से जख्मी हुआ है। उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच रुक-रुककर गोलीबारी हो रही है।

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पहाड़ी पर घने जंगल में छिपे बैठे हैं आतंकी

सूत्रों ने बताया कि आतंकी जिस पहाड़ी पर छिपे बैठे हैं, वह गांव के बाहरी छोर पर है। इस पर सीधी चढ़ाई है और उस पर घना जंगल है। पास से एक नाला भी गुजरता है। पहाड़ी की ढलान पर पेड़ों के बीच आतंकियों ने अपना ठिकाना बना रखा है। यह अभियान दक्षिण कश्मीर में बीते कुछ वर्षों के दौरान चलाए गए सैन्य अभियानों के मुकाबले ज्यादा दुष्कर है, क्योंकि इस जगह हेलीकाप्टर भी नहीं उतारा जा सकता है। इसके अलावा नीचे से ऊपर जाते हुए जवान सीधे आतंकियों की फायरिंग रेंज में आते हैं। इसलिए बलिदानी सैन्य अधिकारियों के पार्थिव शरीर को मुठभेड़स्थल से निकालने में समय लगा। हेलीकाप्टर से सेना के एक कमांडो दस्ते को लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर पहाड़ी के ऊपरी छोर पर उतारा गया है, जबकि एक दस्ता नीचे से गया है। इसके अलावा यह पहाड़ी दक्षिण कश्मीर को जम्मू संभाग के किश्तवाड़ के साथ जोड़ने वाले सिंथन टाप के साथ भी लगती है। सेना का एक दस्ता उसी तरफ से भी घेरा डालते हुए आगे बढ़ रहा है, ताकि आतंकियों को किसी भी तरफ से भागने का मौका न मिले।

जल्द मारे जाएंगे आतंकी

कश्मीर रेंज के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय कुमार के मुताबिक, घेराबंदी में दो आतंकी फंसे हुए हैं। इनमें एक लश्कर कमांडर उजैर खान है। वह अनंतनाग के कोकरनाग क्षेत्र का रहने वाला है और जुलाई 2022 में आतंकी बना था। आतंकियों को घेरा जा चुका है और जल्द मारे जाएंगे। उन्होंने उसके साथ फंसे अन्य आतंकियों के नाम की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों की माने तो टीआरएफ कमांडर गाजी उस्मान भी घेराबंदी में फंसा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इन दोनों कमांडरों का संबंध आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के साथ भी हो सकता है।

सुरक्षाबलों ने कुछ दिन से चलाया था अभियान

सूत्रों ने बताया कि गडोल के आसपास आतंकी ठिकाना होने की सूचना के आधार पर ही सुरक्षाबलों ने इस इलाके में अपनी गतिविधियां बीते कुछ दिनों में बढ़ाई थी। सुरक्षाबलों ने कथित तौर पर आतंकियों के कुछ ओवरग्राउंड वर्करों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। मंगलवार रात को एक ओवरग्राउंड वर्कर ने आतंकी ठिकाने की पुष्टि की और वह सुरक्षाबलों को लेकर ठिकाने की तरफ चला था। पहाड़ी पर बने ठिकाने में बैठे आतंकियों को भी गांव में सुरक्षाबलों की बढ़ती गतिविधियों की खबर थी। शायद इसलिए आतंकी घात लगाकर बैठे थे।


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