Move to Jagran APP

Anantnag Encounter: मेजर आशीष बस नाम ही काफी है... अच्छाबल-वेरीनाग में तोड़ दी थी आतंक की कमर

Major Ashish Dhonchak श्रीनगर में चिनार कोर में श्रद्धांजलि देने के बाद हरियाणा में पानीपत के रहने वाले बलिदानी मेजर आशीष का पार्थिव शरीर वीरवार शाम को ही विशेष विमान से उनके घर भेज दिया गया। अनंतनाग में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मेजर आशीष के साथ अपने संबंधों और अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह पीछे हटने वालों में नहीं थे।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Fri, 15 Sep 2023 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 15 Sep 2023 06:30 AM (IST)
बलिदानी मेजर आशीष ने अच्छाबल-वेरीनाग में आतंक की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।

Major Ashish Dhonchak: श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। देखो हमें यहां आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित बनाते हुए ही आतंकियों को सबक सिखाना है। इसलिए कोई चूक नहीं चाहिए। मेजर आशीष जब भी किसी आतंकरोधी अभियान पर निकलते सबसे पहले साथियों को यही निर्देश देते और मोर्चे पर हमेशा आगे रहते। यही कारण था कि कई बार उनका मौत से आमना-सामना हुआ। लगभग एक माह पहले भी आतंकियों ने उन पर ग्र्रेनेड फेंका था, लेकिन वह बच गए। मगर गत बुधवार को अनंतनाग के गडोल में वह आतंकियों के साथ उनके ठिकाने के ठीक सामने लड़ते हुए बलिदान हो गए।

बलिदानी मेजर आशीष का पार्थिव शरीर

श्रीनगर में चिनार कोर में श्रद्धांजलि देने के बाद हरियाणा में पानीपत के रहने वाले बलिदानी मेजर आशीष का पार्थिव शरीर वीरवार शाम को ही विशेष विमान से उनके घर भेज दिया गया। अनंतनाग में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मेजर आशीष के साथ अपने संबंधों और अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह पीछे हटने वालों में नहीं थे। वह किसी आतंकरोधी अभियान की बारीकियों को समझता और उसके बाद उसे अमली जामा पहनाता था।

यह भी पढ़ें: Anantnag Encounter घाटी में पिछले तीन सालों का सबसे बड़ा हमला, जनवरी से अब तक 48 आतंकियों को उतारा मौत के घाट

स्वतंत्रता दिवस पर सेना मेडल भी मिला

वह कई बार मुठभेड़ में बाल बाल बचा और जब हम कहते थे कि सावधान रहना जरूरी है तो जवाब मिलता अगर देर करता तो आतंकी बच निकलता। फिर वह कितने मारता, मुझे नहीं पता और फिर मुझे अफसोस होता। उसे इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर सेना मेडल भी मिला था। उसने अच्छाबल-वेरीनाग में आतंकियों की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

आतंकरोधी अभियान

गडोल के स्थानीय युवक राशिद वानी ने कहा कि मेजर आशीष जब किसी इलाके में तलाशी अभियान या आतंकरोधी अभियान के लिए निकलते तो उनका अपने अधीनस्थ जवानों का पहला निर्देश होता था कि देखो हमें आतंकियों से लड़ना है, लोगों ने नहीं। हम यहां लोगों की हिफाजत के लिए हैं, उनके मान सम्मान और जान का पूरा ध्यान रखा जाए।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.