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Anantnag Encounter: मेजर आशीष का पार्थिव शरीर शुक्रवार को पहुंचेगा उनके घर, बुधवार को आंतकी हमले में हुए शहीद

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार को शहीद हुए मेजर आशीष का पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके घर ले जाया जाएगा। वह आतंकियों के साथ उनके ठिकाने के ठीक सामने लड़ते हुए बलिदानी हो गए। मेजर आशीष जब भी किसी आतंकरोधी अभियान पर निकलते तो सबसे पहले अपने साथियों को कहते कि हमें यहां आम लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाते हुए ही आतंकियों को सबक सिखाना है।

By naveen sharmaEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 14 Sep 2023 08:19 PM (IST)
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मेजर आशीष का पार्थिव शरीर शुक्रवार को पहुंचेगा उनके घर
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। Anantnag Encounter News जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार को मेजर आशीष (Major Ashish) को मौत उन्हें मात दे गई और वह आतंकियों के साथ उनके ठिकाने के ठीक सामने लड़ते हुए बलिदानी हो गए। मेजर आशीष धौंचक ने दक्षिण कश्मीर के गडोल (Gadol Kashmir), अनंतनाग  (Anantnag) में बुधवार को आतंकियों के साथ लड़ाई में वीरगति प्राप्त की है। हरियाणा में पानीपत के रहने वाले बलिदानी मेजर आशीष का पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके घर ले जाया जाएगा।

मेजर आशीष जब भी किसी आतंकरोधी अभियान पर निकलते तो सबसे पहले अपने साथियों को यही कहते देखो कि हमें यहां आम लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाते हुए ही आतंकियों को सबक सिखाना है। इसलिए कोई चूक नहीं चाहिए। वे हर मोर्चे पर आगे रहते। यही कारण था कि कई बार उनका मौत से आमना सामना हुआ। लगभग एक माह पहले भी आतंकियों ने उन पर ग्रेनेड फेंका था, लेकिन वह बच गए।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मेजर आशीष के बारे में ये बताया

अनंतनाग में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मेजर आशीष के साथ अपने संबंधों और अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह पीछे हटने वालों में नहीं था। वह किसी भी आतंकरोधी अभियान की बारीकियों को समझता और उसके बाद उसे अमली जामा पहनाता था। वह कई बार आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बाल बाल बचा और जब हम कहते थे कि सावधान रहना जरुरी है तो जवाब मिलता अगर देर करता तो आतंकी बच निकलता।

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हमें आतंकियों से लड़ना है, लोगों से नहीं- मेजर आशीष

फिर वह कितने मारता, मुझे नहीं पता और फिर मुझे अफसोस होता। उसे इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सेना से मैडल भी प्रदान किया गया। उसने अच्छाबल-वेरीनाग इलाके में आतंकियों की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। गडोल के रहने वाले एक स्थानीय युवक राशिद वानी ने कहा कि मेजर आशीष जब किसी इलाके में तलाशी अभियान या आतंकरोधी अभियान के लिए निकलते तो उनका अपने अधीनस्थ जवानों का पहला निर्देश होता था कि देखो हमे आतंकियों से लड़ना है, लोगों से नहीं।

बुधवार को हुए ग्रेनेड हमले में बाल-बाल बच गए थे मेजर

हम यहां लोगों की हिफाजत के लिए हैं,उनके मान सम्मान और जान का पूरा ध्यान रखा जाए। उसने कहा कि 10 अगस्त की बात है, हमारे गांव से कुछ ही दूरी पर अथलान में जब वह आतंकियों के छिपे होने की सूचना के आधार पर घेराबंदी कर रहे थे तो आतंकियों ने उन पर ग्रेनेड फेंका था। इस ग्रेनेड धमाके में एक सैन्यकर्मी समेत तीन लोग जख्मी हुए थे। मेजर आशीष बाल बाल बच गए थे,लेकिन बुधवार को किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया।

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