J&K Election: नेकां के मेनिफेस्टो पर भड़के कश्मीरी हिंदू, शंकराचार्य पर्वत को तख्त-ए-सुलेमान बताने पर आक्रोश
जम्मू- कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र में शंकराचार्य पर्वत को तख्त-ए-सुलेमान बताए जाने पर कश्मीरी हिंदुओं में गुस्सा है। कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेंस ने इसे संस्कृति पर प्रहार की बताई साजिश बताया। वहीं पनुन कश्मीर और अन्य संगठन भी इसके विरोध में अपनी आवाज उठा रहे हैं। कश्मीर पंडित कॉन्फ्रेंस के कुंदन कश्मीरी ने फारूक अब्दुल्ला को भी इसके लिए पत्र लिखा है।
चुनाव आयोग को लिखा पत्र
हम उम्मीद करते हैं कि नेका अपना रवैया बदलेगी और न्याय, सबके लिए सम्मान और साझा विरासत के नियमों पर काम करेगी। हम अपनी सभ्यता और संरक्षण के लिए लगातार आवाज उठाते रहेंगे।
कुंदन कश्मीरी, अध्यक्ष, कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेंस
PSA हटाने के वादे को घोषणा पत्र से हटाने की मांग
शंकराचार्य पर्वत व हरि पर्वत कश्मीरी हिंदुओं की आस्था के प्रतीक हैं। कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि से पड़ा। यह भूमि ऋषियों की भूमि है। इस भूमि से कश्मीरी हिंदुओं की आस्था, संस्कृति जुड़ी है। इनके नाम कैसे बदले जा सकते हैं। नेकां गंदी राजनीति खेल रही है। आज नेकां ने अपनी मंशा लोगों के सामने रख दी है।
-हीरा भट्ट, सह-प्रभारी, कश्मीरी डिस्प्लेस्ड, जम्मू-कश्मीर
जानिए क्या है मुद्दा
नेकां ने अपने घोषणापत्र में शंकराचार्य पर्वत को तख्त-ए-सुलेमान लिखा था और हरी पर्वत को कोह-ए-मरान लिखा था। इस सवाल को गृह मंत्री अमित शाह ने भी उठाया था और कांग्रेस से सवाल पूछा था कि क्या वह शंकराचार्य पर्वत की पहचान खत्म करने की साजिश को समर्थन करती है।यह भी पढ़ें- Jammu Kashmir Election 2024: CEO ने मतदाताओं से ECI एप का लाभ उठाने का किया आग्रह, अधिकारी को दिए सख्त निर्देशकश्मीर से हमें विस्थापित होकर जम्मू आना पड़ा। आज हम विस्थापित कालोनियों में रह रहे हैं। अब नेकां ऐसे कदम उठाने लगी है कि हमारी संस्कृति ही खत्म करने की साजिश रची जा रही है। शंकराचार्य पर्वत हमारी आस्था से जुड़ा है। ऋषि मुनियों की भूमि के नाम ही बदले जा रहे हैं।
-ऊषा रानी दत्त, कश्मीरी हिंदू