Jammu News: रियासी में Lithium के उत्खनन की नीलामी प्रक्रिया को मिली केंद्र सरकार की मंजूरी, रोजगार के पैदा होंगे अवसर
रियासी में जमीन के गर्भ में छिपे सफेद सोना कहे जाने वाले लिथियम के भंडार के उत्खनन को लेकर केंद्र सरकार ने इसके नीलामी की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। रियासी में सलाल व उसके साथ सटे इलाकों में 50 लाख टन लिथियम का भंडार होने का अनुमान है। लिथियम का इस्तेमाल इलैक्टिक वाहनों की बैटरी को बनाने में किया जाता है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। Lithium Auction In Reasi Jammu Kashmir: रियासी में जमीन के गर्भ में छिपे लिथियम के भंडार के उत्खनन को लेकर जारी संशय बुधवार को समाप्त हो गया। केंद्र सरकार ने इसके उत्खनन की नीलामी की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। लिथियम जिसे सफेद सोना भी कहा जाता है। जिला रियासी में सलाल और उसके साथ सटे इलाकों में 50 लाख टन का भंडार है।
लिथियम का प्रयोग मुख्यत: इलैक्टिक वाहनों की बैटरी के रूप में होता है। लिथियम बैटरी का प्रयोग कई चिकित्सा उपकरणों और मोबाइल व लैपटॉप में भी होता है।
लिथियम की उपलब्धता भारत को बनाएगी आत्मनिर्भरता
भविष्य में इलैक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) का ही है और ऐसे में लिथियम की उपलब्धता भारत को इलैक्ट्रिक बैटरी (Battery) के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाएगी। जम्मू कश्मीर जियोलाजी एंड माइनिंग विभाग के अनुसार, प्रदेश में उपलब्ध लिथियम के भंडार का सिर्फ 10 प्रतिशत छह सात करोड़ इलैक्टिक वाहनों की बैटरी की जरुरत पूरी कर देगा। मौजूदा परिस्थितियों में भारत में लिथियम आयन बैटरी का 96 प्रतिशत आयात चीन और हांगकांग से होता है।
भारत को हर वर्ष नौ हजार करोड़ रूपये इसके लिए खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में लिथियम के खनन की प्रक्रिया को शुरु करने का मतलब जम्मू कश्मीर में बड़े पैमाने पर देशी-विदेशी निवेश है। यह निवेश इस पूरे क्षेत्र विशेषकर जम्मू प्रांत की आर्थिक तस्वीर बदल देगा।
खनन प्रक्रिया से लोगों को मिलेगा रोजगार
उन्होंने कहा कि लिथियम की खनन प्रक्रिया यहां सैंकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी। अप्रत्यक्ष रोजगार हजारों को मिलेगा। इसके अलावा यह यहां बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास को भी गति देगा। रियासी जिला जो आथ्र्टािक व सामाजिक रूप से पिछड़ा है, तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर होगा।
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जियोलॉजी एंड माइनिंग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तजम्मू कश्मीर में मिले लिथियम की अनुमानित कीमत तीन हजार अरब रूपये है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ प्रदेश सरकार का भी खजाना इसकी नीलामी से भरेगी।
भूकंप के दृष्टी से है संवेदनशील इलाका
उन्होंने कहा कि इसके साथ यह भी देखना है कि लिथियम को कैसे निकाला जाए, क्योंकि जिस इलाके में इसका भंडार है, वहां आबादी भी है। निकट ही चिनाब दरिया भी है और भूकंप की दृष्टि से भी यह इलाका संवेदनशील है। इसलिए इस क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं। जम्मू कश्मीर के आर्थिक मामलों के जानकार, डॉ गोपाल पार्थासारथी ने कहा कि लिथियम को जब जमीन से निकालाए जाएग तो उसके लिए एक बुनियादी ढांचा विकसित होगा।
उसके साथ कई अन्य उउोग भी स्थापित होंगे। इलैक्टिक वाहनों को तैयार करने वाली या उनके लिए विभिन्न उपकरण्र तैयार करने वाली फक्टरियां भी खुल सकती हैं,क्योंकि उन्हें कच्चा माल यही पंर मिल रहा होगा। जम्मू कश्मीर जो आज निवेश के मामले में बहुत पीछे है, एकदम से आगे निकलेगा,क्योंकि भविष्य की वाहनों को चलाने का साधन यहीं पर होगा।
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