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Ladakh : विश्व के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन ग्लेशियर में मौसम से जंग लड़ रहे जवानों का जोश बढ़ा रही सेना

चौदह कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल आनिंदय सेनगुप्ता ने सियाचिन क्षेत्र का दौरा कर सेंट्रल हीटिंग वाले इन दो शेल्टरों को बर्फीले जवानों को समर्पित किया। इन शेल्टरों में आधुनिक शौचालय सेंट्रल हीटिंग सिस्टम व डीजल जेनरेशन सेट भी हैं।

By vivek singhEdited By: Rahul SharmaUpdated: Fri, 25 Nov 2022 01:40 PM (IST)
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खलसर में एक प्री फेबरीकेंटेड शेल्टर में 62 जवानों व दूसरे में 8 सैन्यकर्मियों के रहने की व्यवस्था है।
जम्मू, विवेक सिंह : पश्चिमी लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना, मौसम से जंग लड़ रहे अपने सैनिकों का लगातार हौसला बढ़ा रही है। ये सैनिकों लद्दाख के अत्याधिक ठंड माहौल में दुश्मन से लोहा लेने के लिए सजग रहकर असंभव को संभव कर दिखा रहे हैं।

सियाचिन ग्लेशियर में तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस से नीचे का तापमान व सर्दियों के महीनों में औसत 35 फीट बर्फबारी जीवन के अनुकूल नही है। कई बार तापमान 57 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। ऐसे में किसी महामानव की तरह ये सैनिक सियाचिन की 21 हजार फीट की उंचाई पर भी हर संभव चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।सेना इन जवानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए अभियान चला रही है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार उनके पास पहुंच रहे हैं। अत्याधिक ठंडे इलाकों में सेंट्रल हीटिंग वाले शेल्टर बन रहे हैं। ये शेल्टर सियाचिन के अग्रिम इलाकों में नब्बे दिन की डयूटी के बाद नीचे आने वाले जवानों के काम आएंगे।

सेंट्रल हीटिंग वाले दो शेल्टर बनाए : सियाचिन ग्लेशियर के जवानों के लिए सेना की चाैदह काेर ने सियाचिन ग्लेशयर के आधार शिविर परताप पुर व खालसर में सेंट्रल हीटिंग वाले दो शेल्टर बनाए हैं। चौदह कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल आनिंदय सेनगुप्ता ने सियाचिन क्षेत्र का दौरा कर सेंट्रल हीटिंग वाले इन दो शेल्टरों को बर्फीले जवानों को समर्पित किया। इन शेल्टरों में आधुनिक शौचालय, सेंट्रल हीटिंग सिस्टम व डीजल जेनरेशन सेट भी हैं। कोर कमांडर ने अन शेल्टरों में जवानों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। खलसर में एक प्री फेबरीकेंटेड शेल्टर में 62 जवानों व दूसरे में 8 सैन्यकर्मियों के रहने की व्यवस्था है। इसी तरह के शेल्टर परताप पुर में भी बनाए गए हैं। कुछ अन्य उच्च्तम पर्वतीय इलाकों में भी इस तरह के शेल्टर बनाए जा रहे हैं।

अग्रिम चौकियों पर सैनिकों की तैनाती में कोई कमी नहीं : सर्दियों में जम्मू कश्मीर व लद्दाख के उच्च पर्वतीय इलाकों की सुरक्षा सुनिचित करने के लिए सेना की विंटी मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी पर काम हो रहा है। इस स्ट्रेटजी के तहत बर्फ से जमे द्दाख में पंद्रह नवंबर तक सर्दियों के छह महीनाें के लिए सेना की जरूरत का राशन, पेट्रोल, केरोसीन तेल, गोला, बारूद व अन्य जरूरी सामाना की स्टाकिंग हो गई थी। इसके साथ जवानों के लिए सभी जीवन रक्षक दवाईयां भी स्टोर की गई हैं। गलवन से उपजे हालात में सर्दियों के महीनाें में भी अग्रिम चौकियों पर सैनिकों की तैनाती में कोई कमी नहीं होती है।

जवानाें की पेट्रोलिंग में भी तेजी लाई गई : इस माह सेना की उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक कर सर्दियों के महीनों की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा की थी। ऐसे में सर्दियों के महीनों की चुनौतियों को देखते हुए दूरदराज इलाकों में अधिरिक्त नाके लगाने के साथ जवानाें की पेट्रोलिंग में भी तेजी लाई गई है।

बर्फीले मौसम में आसमान से निगरानी करने वाले आधुनिक ड्रोन भी हैं : ऐसे में सर्दियों में सीमा पर दुश्मन की किसी भी साजिश को नकारने में आधुनिक तकनीक का भी पूरा लाभ लिया जा रहा है। अंधेरे, कोहरे में देखने में सक्षम आधुनिक नाइट विजन डिवाइस व हाई डेफिनेशन कैमरे इस्तेमाल हो रहे हैं। आधुनिक थर्मल इमेजर, हाई रेंज नाइट विजन, सेंसर्स के साथ अब सेना के बेड़े में उच्च्तम इलाकों में बर्फीले मौसम में आसमान से निगरानी करने वाले आधुनिक ड्रोन भी हैं।

सर्दियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत मजबूत हुई है सेना : लद्दाख में तैनात रहे चुके सेना के सेवानिवृत ब्रिगेडियर देवेन्द्र कुमार ने बताया कि तीन सालों के दौरान सेना सर्दियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत मजबूत हुई है। बेहतर हथियारों, उपकरणों के साथ अब उपरी इलाकों में कड़ी ठंड में सैनिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। उनके लिए बेहतर कपड़ों के साथ सर्दियों में गर्म रहने वाले टैंट व शेल्टर उपलब्ध हैं। हर वह कदम उठाया गया है जिनसे सैनिकों का मनोबल उंचा रहा।

सियाचिन में तीन माह की डयूटी के बाद आधार शिविर आते हैं जवान : जम्मू, सियाचिन ग्लेशियर में डयूटी आसान नहीं है, हर चीज बर्फ की तरह जम जाती है। बर्फ पिघला कर पानी बनाने में बहुत समय लगता है। अत्याधिक ठंड से फ्रास बाइट, सांस लेने में दिक्कत व दिल के रोग हो सकते हैं। ऐसे में जवान नब्बे दिन तक अग्रिम इलाकों में रहने के बाद आधार शिविर परतापपुर व खालसर में आ जाते हैं। उनकी जगह लेने के लिए आधार शिविर से जवान अग्रिम चौकियों पर आ जाते हैं।तीन महीने नीचे रहने के बाद उन्हें फिर से तीन महीने के लिए अग्रिम इलाकों में जाना होता है। ऐसे में दो साल सियाचिन में रहने वाली यूनिट के जवानों को करीब एक साल अग्रिम इलाकों में बिताना होता है। 

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