कश्मीर के मौजूदा हालात पर बोले आजाद, सुरक्षाबलों को आतंकवादियों से निपटने के लिए स्थायी समाधान निकालना होगा
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और लोगों की हत्याओं के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए हैं। पुलिस और सुरक्षाबल की एजेंसियां को एक-दो आतंकवादियों को पकड़कर उनके हथकंडों के बारे में विस्तारपूर्वक पता करना चाहिए।
By Vikas AbrolEdited By: Updated: Wed, 20 Oct 2021 04:13 PM (IST)
जम्मू, जेएनएन। पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है। उन्होंने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा कि कश्मीर में अब आतंकवादियों से सख्ती से निपटने की जरूरत है। इसके लिए सुरक्षाबलों को कोई समाधान निकालना होगा।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और लोगों की हत्याओं के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए हैं। पुलिस और सुरक्षाबल की एजेंसियां को एक-दो आतंकवादियों को पकड़कर उनके हथकंडों के बारे में विस्तारपूर्वक पता करना चाहिए। इसमें जरा सी भी देरी नहीं करनी होगी। सुरक्षाबलों को अब आतंकवादियों से निपटने के लिए स्थायी समाधान ढूंढना होगा।
During past 30 yrs, militants adopted different tactics of militancy & killing people...Unless Police & agencies catch hold of 1-2 people to know modus operandi, so that security forces can find a solution..It should be done soon: Congress' GN Azad on current situation in Kashmir
-ANI (@ani 20 October 2021)यह कोई पहला मौका नहीं है जब गुलाम नबी आजाद ने आतंकवादियों से सख्ती से निपटने की बात कही है। इससे पहले भी वह कईं बार आतंकवादियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं। चूंकि गुलाम नबी आजाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वह कश्मीर के हालात से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। ऐसा नहीं है कि गुलाम नबी आजाद जिस समय जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे उस समय आतंकवादी गतिविधियों में कुछ कमी आई थी लेकिन गुलाम नबी आजाद के अधिकतर कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों की घटनाओं में काफी कमी देखी गई थी। हालांकि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का अचानक कम होना और फिर एकदम से इसमें बढ़ोतरी होना कोई नई बात नहीं है लेकिन हरेक राजनीतिक पार्टियां आतंकवादी गतिविधियों में कमी होने का श्रेय लेने से नहीं चूकती हैं।
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