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Baba Amarnath Yatra 2020: बालटाल से संगम तक यात्रा मार्ग तैयार, ऊंची खड़ी चढ़ाई वाला है यह रूट

वर्ष के अधिकतर समय यह मार्ग बर्फ से ढका रहता है। बरारी टॉप से पांच किलोमीटर का सफर तय करने के बाद संगम आता है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:50 AM (IST)
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Baba Amarnath Yatra 2020: बालटाल से संगम तक यात्रा मार्ग तैयार, ऊंची खड़ी चढ़ाई वाला है यह रूट
दिनेश महाजन, जम्मू : इस बार यात्रा सुचारु बनाने के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के इंजीनियरों ने बालटाल से संगम तक यात्रा मार्ग तैयार कर दिया है। बोर्ड को केवल जम्मू कश्मीर प्रशासन से अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है, जिसके बाद ही अमरनाथ यात्रा शुरू हो पाएगी। यात्रा का आधार शिविर बालटाल जम्मू से करीब 400 किलोमीटर दूर है। बालटाल कश्मीर के जिला गांदरबल में है।

बालटाल बेस कैंप से पवित्र गुफा लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है। यह रास्ता संकरा है। पथरीला होने के साथ ऊंची खड़ी चढ़ाई वाला भी है। इस रास्ते में कहीं चढ़ाव है तो कहीं उतार। बालटाल रूट अमरनाथ यात्रा का छोटा रूट है। इस रूट से श्रद्धालु एक दिन में यात्रा को पूरा कर लेते जबकि पहलगॉम रूट से यात्रा करने में पांच दिन का समय लगता हैं। बालटाल मार्ग से दो किलोमीटर की दूरी पर दोमेल आता है, यहां यात्रा शुरू करने का मुख्य गेट है। इसके बाद छह किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद बरारी टॉप आता है। दोमेल से बरारी टॉप तक खड़ी चढ़ाई है, जो श्रद्धालुओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती।

दोमेल से बरारी मार्ग के बीच खराब मौसम में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कोई भी स्थान नहीं है। यह मार्ग कुछ प्वाइंट पर तीन फीट की चौड़ा है। मार्ग के साथ ग्लेशियर चलता है। हर वर्ष यात्रा के शुरू होने से साथ इस रूट में ट्रैक का निर्माण किया जाता है। वर्ष के अधिकतर समय यह मार्ग बर्फ से ढका रहता है। बरारी टॉप से पांच किलोमीटर का सफर तय करने के बाद संगम आता है। संगम से पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए यात्रियों को तीन किलोमीटर ग्लेशियर से पैदल ही गुजरना पड़ता है। संगम से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी तय कर एक शीला में प्राकृतिक तौर पर मां काली की प्रतिमा बनी हुई है।  

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