Jammu : भाद्रपद संक्रांति 17 अगस्त को, इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र, मिलता है बीमारियाें से छुटकारा
इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद अर्थात भादो माह में जब सूर्यदेव अपनी सिंह राशि मे प्रवेश करते हैं तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहते हैं।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 02:22 PM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू संभाग में विशेष महत्व रखने वाली भाद्रपद संक्रांति 17 अगस्त बुधवार को है। 17 अगस्त सुबह 7 बजकर 23 मिनट पर सूर्य सिंह राशि मे प्रवेश करेंगे।भाद्रपद संक्रांति का पुण्यकाल 17 अगस्त दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
इस दिन पवित्र नदियों, सरोवर में स्नान एवं दान-पुण्य के लिए बड़ा अच्छा माना गया है। ब्राह्माणों को भोजन, मिष्ठानादि का दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर एक समय भोजन करना चाहिए। इस दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना अधिक पुण्य देने वाला होता है। कोरोना महामारी के चलते घर में पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और घर के आस पास जरूरतमंद लोगों को यथा संभव दान अवश्य करें।
इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद अर्थात भादो माह में जब सूर्यदेव अपनी सिंह राशि मे प्रवेश करते हैं तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहते हैं। इस संक्रांति में सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करते हैं। सिंह संक्रांति को घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति भी कहते हैं। सिंह संक्रांति कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ पर्व है। श्रावण माह के बाद भाद्रपद में ऊगाई जाने वाली फसलों में बालियां आने लगती हैं। किसान अच्छी फसलों की कामना करते हुए घी संक्रांति पूजा कर खुशी मनाते हैं।
इस दिन घी का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है।इसी कारण सिंह संक्रांति को घी संक्रांति कहा जाता है। आयुर्वेद में चरक संहिता के अंतर्गत यह वर्णित है कि गाय का शुद्ध गौ घृत, अर्थात देसी घी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है। गाय का घी वसावर्धक है तथा वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। मान्यतानुसार इस दिन गाय का घी अर्थात गौ घ्रत खाना आवश्यक बताया गया है। कहते हैं इस दिन जो व्यक्ति घी नहीं खाता उसे अगले जन्म में गनेल यानी घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है।
इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं। आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। संक्रांति के दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है और भगवान को भी इन्हीं चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन सत्यनारायण जी, सूर्य देव, अपने इष्टदेव की पूजा का विधान है।
भाद्रपद संक्रांति वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि वालों के लिए लाभकारी रहेगी।इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां भी खत्म होती हैं। इस दिन हल षष्ठी भी हैं। भाद्रपद संक्रांति पर सूर्य का प्रवेश सिंह राशि में होता है और इसका हर राशि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो।
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