आज से शुरू हुआ भीष्म पंचक व्रत
-कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक घरों में जलाए जाएंगे घी के दीपक जागरण
-कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक घरों में जलाए जाएंगे घी के दीपक जागरण संवाददाता, जम्मू : सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाले भीष्म पंचक बुधवार को शुरू हुए। धर्मग्रंथों में कार्तिक माह में भीष्म पंचक व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। भीष्म पंचक को 'पंच भीखू' के नाम से भी जाना जाता है। भीष्म पितामह ने इस व्रत को धारण किया था। इसलिए यह भीष्म पंचक नाम से जाना जाता है। भीष्म पंचक व्रत का उद्यापान होता है। डुग्गर प्रदेश में इसको दीयों का मोख कहते हैं। इस वर्ष 25 नवंबर बुधवार को भीष्मपंचक शुरू होंगे और 29 नवंबर रविवार को समाप्त होंगे। पांच दिन तक लगातार घी का दीपक जलता रहना चाहिए।
महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भीष्म पंचक के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रम्चर्य का पालन करना चाहिए। किसी का दिल नहीं दुखाएं और कोई गलत कार्य नहीं करें। भीष्म पंचक कथा के अनुसार महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में शरशैया पर थे, तब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों को साथ लेकर उनके पास गए थे। ठीक अवसर मानकर युधिष्ठर ने भीष्म पितामह से उपदेश देने का आग्रह किया। भीष्म पितामह ने पांच दिनों तक राज धर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। उनका उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण संतुष्ट हुए और बोले, पितामह! आपने शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धर्मोपदेश दिया है उसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूं। जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करेंगे।