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लेह में बना दुनिया का सबसे ऊंचा ग्रीन हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन; जल्द दौड़ेंगी बसें

लेह में दुनिया का सबसे ऊंचा ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) रिफ्यूलिंग स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है। इस स्टेशन से बसों का ट्रायल रन सफल हो चुका है और जल्द ही नियमित तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन से बसें दौड़ती नजर आएंगी। ग्रीन हाइड्रोजन को दुनिया का सबसे स्वच्छ ईंधन माना गया है और इससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 29 Oct 2024 09:00 PM (IST)
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लेह में दुनिया का सबसे ऊंचा ग्रीन हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन बनाया गया है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्बन मुक्त प्रदेश के सपने को पूरा करने की दिशा में लद्दाख बड़ा कदम बढ़ाने को तैयार है। लेह में एनटीपीसी के सहयोग से दुनिया का सबसे ऊंचा ग्रीन हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है।

अब जल्द नियमित तौर पर लेह में ग्रीन हाइड्रोजन से बसें दौड़ती नजर आएंगी। इन बसों का ट्रायल रन पहले ही सफल हो चुका है। इस फ्यूल स्टेशन का शिलान्यास अगस्त 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा ही किया गया था।

ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया का सबसे स्वच्छ ईंधन

ग्रीन हाइड्रोजन को दुनिया का सबसे स्वच्छ ईंधन माना गया है और इससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता। इसमें सह उत्पाद के तौर पर केवल पानी ही निकलता है। यह परियोजना हिमालयी प्रदेशों और देश के अन्य प्रदूषित शहरों के लिए यह नजीर बन सकती है।

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पर्वतीय प्रदेश में लेह शहर के पास चोगलगसर में करीब 11500 फीट की ऊंचाई पर यह स्टेशन बनाया गया है। इसके बाद कारगिल में ग्रीन हाइड्रोजन स्टेशन बनाने की तैयारी है।

ग्रीन हाइड्रोजन से बिजली भी पैदा होगी

लद्दाख के उपराज्यपाल बीडी मिश्रा ने एनटीपीसी को ग्रीन हाइड्रोजन से बिजली पैदा करने के विकल्प तलाशने के लिए कहा है। इससे दूरदराज के क्षेत्रों में डीजल जनरेटरों के धुएं के निशान मिटाने में मदद मिलेगी। हाल में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे चुशुल में ग्रीन हाइड्रोजन से 200 किलोवाट का बिजली परियोजना का शिलान्यास रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया है।

सेना और एनटीपीसी द्वारा मिलकर इस स्वच्छ बिजली परियोजना पर काम किया जा रहा है। एनटीपीसी दूरदराज के अन्य क्षेत्रों में ऐसी परियोजनाओं पर काम करने को तैयारी में है।

पर्यावरण स्वच्छ रखने में अहम

परियोजना से जुड़े आईएएस अधिकारी अमित शर्मा का कहना है कि यह परियोजना लद्दाख के पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। हाइड्रोजन फ्यूल चालित बसों का ट्रायल सफल रहा है। लद्दाख में लगभग पूरा साल खिली धूप रहती है। ऐसे में सौर ऊर्जा से हाइड्रोजन पैदा कर इसे फ्यूल सेल में स्टोर करना आसान है।

निकट भविष्य में इस स्टेशन हर रोज 80 किग्रा हाइड्रोजन पैदा होगी। हाइड्रोजन से लद्दाख में पांच फ्यूल-सेल इलेक्ट्रिक बसें कुल मिलाकर 1,100 किलोमीटर की दूरी तय करेंगी। एनटीपीसी ने चोगलमसर में 1.7 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित किया है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्यों इलेक्ट्रोलाइजर से पानी का विघटन कर हाइड्रोजन गैस पैदा की जाती है। चूंकि इस विघटन प्रक्रिया के लिए हरित ऊर्जा अर्थात सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होता है, इसलिए इसे ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं। हाइड्रोजन को फ्यूल सेल में स्टोर करने के साथ आक्सीजन को भी सिलेंडर में स्टोर कर इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

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