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ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना की बड़ी सफलता, रियासी-बनिहाल रेल खंड पर बन रही 1.9 किलोमीटर लंबी टनल हुई आर-पार

इस महत्वाकांक्षी बहुप्रतीक्षित परियोजना में रेलवे ने एक और टनल का ‘ब्रेक-थ्रू’ कर बड़ी सफलता प्राप्त की है। बोरिंग से खुदाई कर टनल को आरपार करने को तकनीकी भाषा में ब्रेक-थ्रू कहा जाता है। शुक्रवार को रेलवे अधिकारियों की मौजूदगी में टनल नंबर टी-77डी का ब्रेक-थ्रू किया गया।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Sun, 06 Mar 2022 09:34 AM (IST)
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सुरंग रामबन जिले के बनकूट गांव के नीचे गुजर रही है।

ऊधमपुर, अमित माही : जम्मू से कश्मीर को जोड़ने वाली 272 किलोमीटर लंबे ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना में रेलवे को एक और बड़ी सफलता मिली है। इस परियोजना के तहत रियासी-बनिहाल रेल खंड पर बन रही 1.911 किलोमीटर लंबी टनल नंबर टी-77डी को रेलवे ने गत शुक्रवार को आर-पार कर दिया। आजादी के बाद रेलवे द्वारा बनाई जा यह अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना है, जो शिवालिक रेंज की निचली पहाड़ियों से शुरू होकर कश्मीर घाटी तक पहुंचने के लिए मध्य हिमालय के ऊंचे पीर पंजाल रेंज से होकर गुजर रही है। यह क्षेत्र न सिर्फ भौगोलिक रूप से जटिल हिमालयी क्षेत्र है, बल्कि सक्रिय भूकंप वाले सिसमिक जोन में भी आता है।

इस महत्वाकांक्षी बहुप्रतीक्षित परियोजना में रेलवे ने एक और टनल का ‘ब्रेक-थ्रू’ कर बड़ी सफलता प्राप्त की है। बोरिंग से खुदाई कर टनल को आरपार करने को तकनीकी भाषा में ब्रेक-थ्रू कहा जाता है। शुक्रवार को रेलवे अधिकारियों की मौजूदगी में टनल नंबर टी-77डी का ब्रेक-थ्रू किया गया। बोरिंग का काम दोनों तरफ से चल रहा था। बीच में एक निर्धारित जगह तक सटीकता से खुदाई कर टनल को मिला देना जटिल कार्य होता है। ऐसा नहीं होने पर सुरंग का अलाइनमेंट और लेवल बिगड़ने का खतरा रहता है। बहरहाल 1.911 किलोमीटर लंबी टनल टी-77डी की बोरिंग का काम पूरा हो गया है। यह यूएसबीआरएल परियोजना के बनिहाल-अर्पिंचला रेल खंड को जोड़ती है। सुरंग रामबन जिले के बनकूट गांव के नीचे गुजर रही है।

टी-77डी पर एक नजर:

कुल लंबाई : 1.911 किलोमीटर सिंगल ट्रैक टनल,

निर्माण विधि :  न्यू आस्ट्रियन टनल टर्नंलग मैथड (तकनीक, सुरंग का आकार- संशोधित घोड़े की नाल जैसा,

ट्यूब : सिंगल ट्यूब। उत्खनित क्रास-सेक्शनल क्षेत्र - राक क्लास के अनुसार 66.36 वर्गमीटर से 86.43 वर्ग मीटर।

अलाइनमेंट : 4.86 डिग्री वाले अधिकतम कर्व वाले तीन कर्व,

गति सीमा डिजाइन : 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन गुजर सकती है।

चार चरणों में विभाजित कर किया जा रहा काम

इस परियोजना को चार चरणों में विभाजित किया था। पहला चरण 25 किलोमीटर लंबा उधमपुर-कटड़ा रेल खंड है। दूसरा 111 किलोमीटर लंबा कटड़ा-बनिहाल रेल खंड, तीसरा 18 किलोमीटर लंबा बनिहाल-काजीगुंड और चौथा 118 किलोमीटर लंबा काजीगुंड-बारामूला रेल खंड है। कुल 272 किलोमीटर लंबे यूएसबीआरएल में से 161 किलोमीटर रेल मार्ग तैयार है। इस पर रेल परिचालन हो रहा है। 11.27 किलोमीटर लंबी टी-80 सुरंग से पीर-पंजाल पर्वत श्रृंखला में बनिहाल-काजीगुंड-बारामूला रेल खंड में रेल परिचालन हो रहा है। वर्ष 2014 में उधमपुर-कटड़ा रेल खंड शुरू होने के बाद श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा तक भी ट्रेनें चलने लगी थी।

97 प्रतिशत रेलखंड पुलों और सुरंगों में

111 किलोमीटर कटड़ा-बनिहाल रेलवे सेक्शन पर काम तेजी से जारी है। यह रेल खंड परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से 97 प्रतिशत ट्रैक सुरंगों में से या पुलों पर से होकर गुजर रहा है। इस, रेल खंड पर कुल नौ रेलवे स्टेशन हैं। रियासी और रामबन जिले की अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों में सुरंग बनाने का काम बेहद कठिन है। तेज बहाव वाला चिनाब के अलावा अन्य नाले और गहरी घाटियां हैं, जहां पुलों का निर्माण भी आसान नहीं। इन चुनौतियों के विश्व का सबसे ऊंचा आर्च रेलवे पुल ‘चिनाब ब्रिज’ और ‘अंजी ब्रिज’ व देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-49 इसी रेलखंड में है, जिसकी लंबाई 12.758 किलोमीटर है। 

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