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Jammu Kashmir : राष्ट्रीय एकीकरण में हिंदी के योगदान पर केंद्रीय विश्वविद्यालय में मंथन आज से

डा. अग्निशेखर और डा. बृजरत्न जोशी स्वाधीनता आंदोलन और जम्मू कश्मीर के हिंदी साहित्य और देवनागरी लिपि के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस सत्र का संचालन शोधार्थी कृष्ण मोहन तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी समिति शर्मा करेंगी।

By ashok sharmaEdited By: Rahul SharmaUpdated: Thu, 03 Nov 2022 07:15 AM (IST)
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चार नवंबर को अगले सत्र की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.शिवराज सिंह बेचैन करेंगे।
जम्मू, जागरण संवाददाता : स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रीय एकीकरण में हिंदी भाषा की भूमिका पर देशभर के जाने माने मेहमान दो दिन तक केंद्रीय विश्वविद्यालय में मंथन करेंगे। मंथन का उद्देश्य नवनिर्माण में हिंदी की भूमिका पर चर्चा करेंगे। इस दौरान स्वाधीनता आंदोलन और राष्ट्रीय एकीकरण में हिंदी और साहित्य की भूमिका का सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से उल्लेख किया जाएगा।

इस दौरान सरदार पटेल जैसे राजनेताओं, क्रांतिकारियों और साहित्यकारों की भूमिका का वर्णन होगा। साथ ही इसका उद्देश्य भाषा और साहित्य के माध्यम से राष्ट्र के निर्माण एवं विकास के कार्यक्रमों में गति देना है। इस संगोष्ठी का आयोजन हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में तीन से चार नवंबर तक किया जा रहा है।

पुस्तक 'भारतीयता का काव्य - भक्ति काव्य' का विमोचन भी किया जाएगा : तीन नवंबर को उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव जैन करेंगे। इस दौरान विशिष्ट अतिथि हिमांचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कुलपति चंद्र अग्निहोत्री एवं लद्दाख और जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निर्देशक आशुतोष भटनागर होंगे। इसमें मुख्य वक्ता हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा रहेंगे। संगोष्ठी-संयोजक व हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. रसाल सिंह स्वागत एवं विषय-प्रस्तावना प्रस्तुत करेंगे। साथ ही इस सत्र में प्रो. रसाल सिंह की पुस्तक 'भारतीयता का काव्य - भक्ति काव्य' का विमोचन भी किया जाएगा। इस सत्र का संचालन डा. वंदना शर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. शशांक शुक्ल करेंगे।

हिंदी भाषा और साहित्य के योगदान को रेखांकित किया जाएगा : अगले सत्र की अध्यक्षता प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री करेंगे। मुख्य वक्ता केंदीय शिक्षा राज्यमंत्री के सलाहकार प्रो. निरंजन कुमार तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र प्रो. सुधीर प्रताप सिंह अपने वक्तव्यों से राष्ट्र निर्माण तथा पत्रकारिता में हिंदी भाषा और साहित्य के योगदान को रेखांकित करेंगे। पहले दिन के अंतिम सत्र की अध्यक्षता इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के प्रो. नरेंद्र मिश्र करेंगे। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. पूनम कुमारी तथा नई दिल्ली के हिंदू कालेज के प्रो. रामेश्वर राय स्वाधीनता आंदोलन और हिंदी कविता तथा साहित्य के अंतरसंबंध को रेखांकित करेंगे।

चयनित शोधार्थी अपने शोधपत्र भी प्रस्तुत करेंगे : चार नवंबर को अगले सत्र की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.शिवराज सिंह बेचैन करेंगे। डा. अग्निशेखर और डा. बृजरत्न जोशी स्वाधीनता आंदोलन और जम्मू कश्मीर के हिंदी साहित्य और देवनागरी लिपि के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस सत्र का संचालन शोधार्थी कृष्ण मोहन तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी समिति शर्मा करेंगी। अगले सत्र की अध्यक्षता इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. रेनु सिंह करेंगी। इस सत्र में भी चयनित शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। इस संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर करेंगे। इस सत्र में डा. भारत भूषण शर्मा,, 'राष्ट्रीय एकीकरण की भाषा हिंदी:विशेष संदर्भ जम्मू कश्मीर' विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस सत्र का संचालन शोधार्थी आरती देवी तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी कमलदीप करेंगे। इस संगोष्ठी के संयोजक प्रो. रसाल सिंह और सचिव डा. रत्नेश कुमार यादव हैं। 

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