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JK News: आतंक पर अंकुश नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती, तीन दिन में दूसरी बार श्रमिकों को आतंकियों ने बनाया निशाना

तीन दिनों में दो बार आतंकियों ने गैर स्थानीय श्रमिकों पर हमले कर दिए हैं। हमले से कुछ घंटे पहले ही श्रीनगर के पोलो मैदान से पहली अंतरराष्ट्रीय मैराथन में 12 देशों के धावक भाग लेने आए थे। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद सरकार ने आतंकवाद और अलगाववाद पर करार प्रहार किया है। अलगाववादियों की दुकानें पूरी तरह से बंद हो गईं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Mon, 21 Oct 2024 06:21 AM (IST)
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आतंक पर अंकुश नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पांच दिन पहले गठित हुई नई सरकार के लिए आतंकी सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं। तीन दिनों में दो बार आतंकियों ने गैर स्थानीय श्रमिकों पर हमले कर दिए हैं। रविवार देर रात गांदरबल में सुरंग के निर्माण कार्य में लगी कंपनी के अधिकारियों और श्रमिकों पर हमला आतंकियों के नए षड्यंत्र का हिस्सा है। वे एक तरह से नई सरकार के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं।

अलगाववादियों की दुकानें पूरी तरह से बंद

हमले से कुछ घंटे पहले ही श्रीनगर के पोलो मैदान से पहली अंतरराष्ट्रीय मैराथन में 12 देशों के धावक भाग लेने आए थे। इस आयोजन से कश्मीर में शांति और खुशहाली का संदेश गया। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद सरकार ने आतंकवाद और अलगाववाद पर करार प्रहार किया है। यही कारण है कि कश्मीर के हालात तेजी के साथ बदले और अलगाववादियों की दुकानें पूरी तरह से बंद हो गईं।

विधानसभा चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में हुए

हाल ही में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में हुए। बंपर वोटिंग हुई। इससे आतंकी संगठन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ बौखलाई हुई है। यह हमले आतंकियों की इसी बौखलाहट का हिस्सा बताया जा रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों को खुली छूट दे रखी है।

आतंकी कश्मीर में शांति बहाली से बौखलाए

आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती भी लगभग बंद हो गई थी, लेकिन नई सरकार के गठन के बाद से ही आतंकी फिर से मासूम लोगों को अपना निशाना बनाने में लगे हैं। दो दिन पूर्व ही आतंकियों ने शोपियां जिले में बिहार के एक श्रमिक की हत्या कर दी थी। शांति बहाली से बौखलाए आतंकी-पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी कश्मीर में शांति बहाली से बौखलाए हुए हैं।

आतंकियों का षड्यंत्र है कि अगर कश्मीर में मासूमों को निशाना बनाया तो इससे यह संदेश जाएगा कि कश्मीर में अभी भी हालात अच्छे नहीं है। इसीलिए हमले का दिन उन्होंने कश्मीर मैराथन के दिन को चुना जब यूरोप और अफ्रीका के कई देशों के धावक कश्मीर में हैं।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आतंकवाद पर नरम नहीं रहेंगे

हताशा में बाहर के लोगों को बना रहे निशानाजानकार मानते हैं कि उमर अब्दुला सरकार के लिए आतंकवाद पर अंकुश लगाना एक चुनौती जरूर है, लेकिन अभी यह केंद्र शासित प्रदेश है और गृह मंत्रालय का सीधा हस्तक्षेप भी है। आतंकी सिर्फ अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए बाहर के श्रमिकों पर निशाना बना रहे हैं। केंद्र आतंकवाद के खिलाफ सख्त है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी आतंकवाद पर नरम नहीं रहेंगे।

आतंकियों की यह हरकत शर्मनाक और कायरतापूर्ण

आतंकियों की यह हरकत शर्मनाक और कायरतापूर्ण है। हमले में मारे गए लोगों के स्वजन के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।महबूबा मुफ्ती, पीडीपी अध्यक्ष--गैर-स्थानीय मजदूरों पर लगातार हमले गंभीर चिंता का विषय हैं। इससे माहौल खराब होगा। सरकार को ऐसे क्रूर हमलों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।तारिक हमीद कर्रा, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष--आतंकवाद के कायरतापूर्ण कृत्य की कड़ी ¨नदा करता हूं। आतंकियों की यह पागलपन भरी हरकत है। मृतकों के परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। -सज्जाद गनी लोन, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष

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