दुश्मन के ड्रोन को 20 किलोमीटर दूरी से तबाह कर देगा काउंटर ड्रोन सिस्टम, जानें कैसे काम करती है यह तकनीक
अगर कोई दुश्मन देश पर ड्रोन के जरिए हमला करता है तो उसको 20 किलोमीटर दूरी से तबाह कर कर दिया जाएगा। देश की सशस्त्र सेनाएं काउंटर ड्रोन तकनीक से लैस हो रही हैं। दुश्मन के ड्रोन को आसमान पर ही मार गिराने की तकनीक विकसित की गई है। इस तकनीक का उपयोग जी 20 सम्मेलन में हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Thu, 14 Sep 2023 10:16 PM (IST)
विवेक सिंह, जम्मू: देश की सीमाओं और भीतरी इलाकों को दुश्मन के ड्रोन हमलों से बचाने के लिए देश की सशस्त्र सेनाएं काउंटर ड्रोन तकनीक से लैस हो रही हैं। दरअसल, जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियार और नशीले पदार्थों को सीमा पार कर भारत में भेजने की साजिश करता है। अब दुश्मन के ड्रोन को आसमान पर ही मार गिराने की तकनीक विकसित की गई।
कुछ रक्षा कंपनियों के पास तो 20 किमी दूर से भी दुश्मन के ड्रोन को गिराने की तकनीक है। बता दें कि दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए जी 20 सम्मेलन में हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन सभी स्थानों पर काउंटर ड्रोन टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया था जहां विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों का आना-जाना था।
भारतीय सेनाएं कर रहीं इन तकनीकों का इस्तेमाल
जम्मू के नगरोटा स्थित आइआइटी में नार्थ टेक सिंपोजियम में कई स्वदेशी कंपनियों ने दुश्मन के ड्रोन, यूएवी की चुनौती से निपटने के लिए तैयार की तकनीक प्रदर्शित की गईं। इन्हें देश की हवाई सीमओं को सुरक्षित बनाने के लिए सेना, वायुसेना, सीमा सुरक्षाबल इस्तेमाल कर रहे हैं। देश में रक्षा कंपनी अजिस्ता द्वारा बनाए गए एनफोर्स एयर टू काउंटर ड्रोन सिस्टम व बिग बैंग बूम साल्यूशन की काउंटर ड्रोन टेक्नोलाजी का इस्तेमाल पंजाब समेत देश के कई हिस्सों में ड्रोन को मार गिराने के लिए किया जा चुका है।यह भी पढ़ें- आतंकियों पर मौत बनकर बरसेगा सेना का अचूक UAV, दहशतगर्दों के लॉन्चिंग पैड को चंद मिनटों में करेगा तबाह
कैसे करती है तकनीक काम
काउंटर ड्रोन तकनीक के पहले चरण में 3 डी रडार डिटेक्शन सेंटर ड्रोन को ट्रैक करता है, इसके बाद कैमरा से इसकी विजुअल ट्रेकिंग होती है। कमांड सेंटर इस ड्रोन की फ्रिक्वेंसी का पता लगाता है। इसके बाद रेडियो फ्रिक्वेंसी जेमर दुश्मन के ड्रोन की फ्रिक्वेंसी को जेम का इसे नीचे गिरा देता है। इस फ्रिक्वेंसी पर दुश्मन ने अगर एक से अधिक ड्रोन भी भेजे होंगे तो वे सभी नीचे गिर जाएंगे। ऐसे में यह तकनीक स्वार्म ड्रोन अटैक में कारगर रहेगी।यह भी पढ़ें- अनंतनाग में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी, तीन आतंकियों के छिपे होने की खबर; ड्रोन की मदद ले रहे जवान
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