व्यक्ति की मौत के बाद उसके धर्म को लेकर विवाद
जागरण संवाददाता ऊधमपुर ऊधमपुर में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके धर्म को लेकर विवाद खड़
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : ऊधमपुर में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके धर्म को लेकर विवाद खड़ा हो गया। विवाद बढ़ता देख पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया। मृतक के परिजन अंतिम संस्कार हिदू रीति रिवाज से करने के लिए शव उनको सौंपने की मांग करते रहे। इसके विपरीत मृतक की पत्नी व उसके परिजन मृतक के धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन जाने का दावा करते हुए मुस्लिम धर्म के मुताबिक उसे सुपुर्दे खाक करने के लिए शव सौंपने की मांग करते रहे।
मृतक की पत्नी ने पति द्वारा की गई वसीयत भी पुलिस और प्रशासन को सौंपी, जिसे मृतक के परिजनों ने फर्जी करार देते हुए धोखे से या दबाव में बनवाई जाने की बात कही। फिलहाल शव को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर जिला अस्पताल के शवगृह में रखा है। मृतक के परिजन इस मामले में अदालत की शरण में जाने की तैयारी में हैं। अदालत से फैसला आने पर आगे कोई कार्रवाई होगी।
जिस व्यक्ति की मौत के बाद उसके धर्म को लेकर विवाद शुरू हुआ, उसकी पहचान सुभाष चंद्र (52) पुत्र लब्बू राम निवासी तनाल जगानू के रूप में हुई है। यह विवाद मौत के बाद उस समय शुरू हुआ जब मृतक के परिजनों ने हिदू धर्म के मुताबिक उसका अंतिम संस्कार और अंतिम रस्में शुरू की। इस पर पत्नी ने आपत्ति जताते हुए उसके धर्मातरण की बात कहते हुए उसकी अंतिम रस्में मुस्लिम समुदाय के अनुसार करने की बात कही। मृतक के धर्म को लेकर दोनों पक्षों में तीखी बहसबाजी हुई। विवाद की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर जिला अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया।
रविवार सुबह से ही दोनों पक्ष मृतक के शव को उनको सौंपे जाने की मांग करने लगे। मृतक की पत्नी ने 9 मार्च 2019 को मृतक द्वारा की गई वसीयत दिखाई। इसमें मृतक ने शव और चल-अचल संपत्ति की अधिकारी पत्नी रुखसार को बताया है और मृत्यु के बाद अंतिम रस्में अपनी इच्छा के मुताबिक करने की बात लिखी है। इस वसीयत के आधार पर जिला प्रशासन ने शव पत्नी को सौंपने के निर्देश दिए। इससे मृतक के परिजन व रिश्तेदार भड़क गए। बड़ी संख्या में वहां पहुंचे गांववासी, हिदूवादी संगठन के पदाधिकारी व सदस्य भी शवगृह के बाहर जमा हो गए। इस फैसले को एकतरफा करार देते हुए उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
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मृतक के परिजनों ने उसकी पत्नी द्वारा दिखाई जा रही वसीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चार माह पहले मृतक की मां का देहांत हुआ था। उस समय सुभाष (मृतक) को बड़ी मुश्किल से तीन-चार लोग श्मशान तक लाए थे, जबकि यह वसीयत तीन माह पहले मार्च में बनी है। बीमारी की हालत में यह धोखे से या दबाव में बनवाई गई हो सकती है। उन्होंने मांग की कि मृतक की पत्नी के दावे के मुताबिक जो बच्ची मृतक की बताई जा रही है, उसकी व मृत व्यक्ति के डीएनए की जांच करवा कर पता लगाया जाए कि बच्ची उसकी ही है। वहीं, मृतक के परिजनों ने दावा किया कि मुस्लिम धर्म में सुन्नत की रस्म होती है, मगर डॉक्टरों ने उनको बताया कि मृतक की सुन्नत नहीं हुई है। मृतक के परिजनों ने शवगृह के बाहर तथा धार रोड को जाम कर शव उनको सौंपने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया। इस पर पुलिस और प्रशासन ने इस मामले को अदालत के पास भेजने का फैसला लिया है।
वहीं, मृतक की पत्नी रुखसार व रिश्तेदारों ने बताया कि मृतक ने 1995 में अपना धर्म परिवर्तन किया था। इसके बाद उसने अपना नाम बलवाल शकील अहमद रखा था। 2002 में उसकी शादी रुखसार से हुई। पांच माह बाद उनके घर बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम गुड़िया है। उन्होंने कहा कि पति करीब ढाई-तीन साल से बीमार चल रहा था। तीन माह पहले जब उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ तो उसने यह वसीयत बनाई। मृतक की पत्नी ने अपने पति द्वारा की गई वसीयत पुलिस और प्रशासन को सौंपी है। इसमें शव उसे सौंपे जाने और अंतिम रस्में उसके द्वारा किए जाने की बात लिखी है। इसमें क्रिमेशन शब्द का प्रयोग किया है। क्रिमेशन का अर्थ दाह संस्कार होता है, जबकि उसकी पत्नी उसे मुस्लिम धर्म के मुताबिक दफनाना चाहती है। इसके साथ मृतक के पिता और अन्य परिजनों ने भी शव का हिदू रीति रिवाजों से संस्कार करने के लिए शव उनको सौंपने की मांग की है। जिसके चलते इस मामले को कोर्ट में फैसले के लिए भेजा जाएगा। अदालत इस मामले में जो भी फैसला देगी, उसी के मुताबिक शव अदालत द्वारा निर्धारित किए जाने वाले वारिस के सुपुर्द किया जाएगा।
- राजीव पांडे, एसएसपी ऊधमपुर दिनभर छावनी बना रहा जिला अस्पताल परिसर
मृतक के धर्म को लेकर उपजे विवाद के कारण जिला अस्पताल में दोनों समुदायों के बीच कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस व अर्द्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया था। रात को भी सुरक्षा बल के जवान तैनात थे, मगर सुबह होने के बाद लोगों की बढ़ती भीड के साथ अतिरिक्त सुरक्षा बल के जवानों के साथ विभिन्न पुलिस अधिकारियों को जिला अस्पताल में बुला लिया गया जिसके चलते जिला अस्पताल दिन भर छावनी बना रहा।