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Kashmir : गुलाम जम्मू कश्मीर में लोगों पर जुल्म कर रहा पाकिस्तान, इसका परिणाम उसे भुगतना पड़ेगा : राजनाथ

अनुच्छेद-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदलाव का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र आज सामान्य प्रदेशों से कहीं अधिक रफ्तार से प्रगति के रास्ते पर है। यह प्रदेश एक के बाद एक विकास की नई ऊंचाइयां छू रहा है। यह अभी आगाज़ भर है।

By rahul sharmaEdited By: Rahul SharmaUpdated: Thu, 27 Oct 2022 05:47 PM (IST)
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एक दिन उस प्रस्ताव के अनुरूप हम अपने बाकी बचे हिस्से, जैसे गिलगित और बाल्टिस्तान तक जरूरत पहुुंचेंगे।
श्रीनगर, जेएनएन : कश्मीर के जिला बड़गाम में सेना के शौर्य कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर केंद्रित राजनीति दलों के साथ-साथ मानवाधिकार के नाम पर मगरमच्छ के आंसू बहाने वाले पाकिस्तान पर जमकर बरसे। उन्होंने कश्मीर में बह रही विकास की बयार का हवाला देते हुए पाकिस्तान के हुकुमरानों से यह सवाल किया कि हमारे जिन इलाकों पर उसने अपना अनधिकृत कब्जा जमाया हुआ है, वहां के लोगों को उसने कितने अधिकार दे रखे हैं। उन्हें इन इलाकों के लोगों की कितनी चिंता करता है, यह सब जानते हैं।वहां के लोगों पर जुल्म किए जा रहे हैं। पाकिस्तान को बहुत जल्द इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

रक्षामंत्री ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद और गुलाम जम्मू-कश्मीर में घट रही अमानवीय घटनाओं के लिए पाकिस्तान ही पूरी तरह ज़िम्मेदार है। पाकिस्तान गुलाम जम्मू कश्मीर में आज जो अत्याचार का बबूल बो रहा है, आने वाले समय में उसके सामने कांटे की ही फसल तैयार मिलेगी। 

अभी तो हमने उत्तर दिशा की ओर चलना भर शुरू किया है। हमारी यात्रा तो तब पूरी होगी, जब हम 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद में सर्वसम्मति से पारित हुए प्रस्ताव को अमल में लाएंगे। उन्होंने दावा किया कि एक दिन उस प्रस्ताव के अनुरूप हम अपने बाकी बचे हिस्से, जैसे गिलगित और बाल्टिस्तान तक जरूरत पहुुंचेंगे। रक्षामंत्री ने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब हमारा यह लक्ष्य भी पूरा होगा। मैं यहां की जनता और हमारी सशस्त्र सेना के पराक्रम से पूरा आश्वस्त हूूं।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अभी विकास का आगाज है : अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए बदलाव का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र आज सामान्य प्रदेशों से कहीं अधिक रफ्तार से प्रगति के रास्ते पर है। यह प्रदेश एक के बाद एक विकास की नई ऊंचाइयां छू रहा है। यह अभी आगाज़ भर है। हमने इस बात का हमेशा ध्यान रखा है, कि ‘हम वायदे कम और काम ज्यादा करें। आज अगर हमें पूरे देश का आशीर्वाद मिल रहा है, तो उसके पीछे हमारे ऊपर जनता का विश्वास ही है। जिस वायदे के साथ हमने जनता का आशीर्वाद प्राप्त किया है, उसी निष्ठा के साथ ही उनकी सेवा भी की है। जम्मू-कश्मीर के एकीकरण का संकल्प, और उसकी आंच हम लगातार पिछले 7 दशकों से अपने दिल में संजोए बैठे थे। लोगों ने हम पर विश्वास किया और समय बीतने के साथ, हम इस कार्य में सफल हुए।

... तब मानवाधिकारों की चिंता कहां जाती है : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवादियों-अलगाववादियों की चिंता करने वाले राजनीतिज्ञों-बुद्धिजीवियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कश्मीर में जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सेना या राज्य के सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों और उनके सहयोगियों पर जब-जब कोई कार्रवाई की गई है, तो देश के कुछ राजनीतिज्ञ-बुद्धिजीवियों को उस कार्रवाई में आतंकियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन नजर आया है। लेकिन जब वहीं आतंकी हमारी सेना पर हमला करते हैं, जवानों या आम जनता को निशाना बनाते हैं, तब इनकी मानवाधिकारों की चिंता कहां चली जाती है। सबसे दुखद तो तब रहा, जब कश्मीरी पंडितों को विशेष तौर पर निशाना बनाया गया और उन्हें घाटी से पलायन करने पर मजबूर किया गया। रक्षामंत्री ने कहा कि समाज का प्रबुद्ध वर्ग जब अन्याय के खिलाफ अपना मुंह बंद कर ले, तो समाज के पतन में देरी नहीं लगती है।

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में उम्मीदों की एक नई सुबह हुई : रक्षामंत्री ने कहा कि डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के पूर्ण एकीकरण का जो महायज्ञ शुरू किया था, उसकी पूर्णाहुति 5 अगस्त 2019 को हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में न सिर्फ अनुच्छेद 370 का अवसान हुआ बल्कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में उम्मीदों की एक नई सुबह हुई।

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