जम्मू-कश्मीर की बदल रही आबोहवा, आतंकी घटनाओं और आतंकियों का हो रहा सफाया; महफूज महसूस कर रहे लोग
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक सुधार आया है। डीजी दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकी हिंसा और स्थानीय आतंकियों की भर्ती भी एक दशक में अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बीते 33 वर्ष से जारी आतंकी हिंसा के दौर में मौजूदा वर्ष 2023 ही सबसे ज्यादा शांत वर्ष गिना जाएगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। Jammu-Kashmir News: जम्मू कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक सुधार आया है। आतंकी हिंसा और स्थानीय आतंकियों की भर्ती भी एक दशक में अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है।
कश्मीर में स्थिति सामान्य नजर आती है, वैसा ही माहौल अब बना है। यह दावा पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने वीरवार को एक बातचीत में किया। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि वर्ष 2013 में स्थिति लगभग सामान्य हो चली थी।
जम्मू-कश्मीर में अब आतंक अंतिम चरण पर
पाकिस्तान ने इसे फिर से हवा देने के लिए संभव षड्यंत्र रचा और किसी हद तक कामयाब रहा। वर्ष 2014 के बाद से 2018 तक यहां आतंकी हिंसा और गतिविधियां तेजी से बढ़ी। वर्ष 2017 एक तरह से आतंक का चरम था,लेकिन पुलिस ने विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ प्रभावी आतंकरोधी अभियान चलाया।
जनता का भी साथ मिला और आज आतंक अपने अंतिम चरण है। अगर इस वर्ष 11 अक्टूबर तक मात्र 42 घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2022 में कानून व्यवस्था के संकट की 22 घटनाएं हुई। इस वर्ष अब तक सिर्फ तीन घटनाएं हुई हैं। कानून व्यवस्था के संकट से संबधी एक भी घटना का आतंकी मामले से नहीं जुड़ी है।
प्रदेश में मजबूत हुआ सुरक्षा तंत्र
वर्ष 2012 में आतंकी हिंसा के आधार पर सबसे कम 25 नागरिक मारे गए थे। इस वर्ष सिर्फ 12 लोग आतंकी हिंसा में मारे गए हैं। इससे पता चलता है कि कश्मीर में सुरक्षा तंत्र मजबूत हुआ है और आम लोगों के जानमाल के लिए सुरक्षित वातावरण है।
वर्ष 2022 में हमारे 15 जवान और अधिकारी आतंकरोधी अभियानों या फिर आतंकी हमलों में बलिदानी हुए थे। इस वर्ष सिर्फ एक ही जवान बलिदानी हुआ है। वर्ष 2018 में 210 स्थानीय आतंकी भर्ती हुए थे। इस वर्ष सिर्फ 10 स्थानीय आतंकी बने हैं और उनमें से छह मारे जा चुके हैं।
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वर्ष 2023 ही सबसे ज्यादा शांत वर्ष गिना जाएगा
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में बीते 33 वर्ष से जारी आतंकी हिंसा के दौर में मौजूदा वर्ष 2023 ही सबसे ज्यादा शांत वर्ष गिना जाएगा। आतंकी भर्ती समाप्त हो चुकी है। आतंकियों का पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो चुका है।
अब कश्मीर में आतंकी कमांडरों को अपने लिए कोई नया कैडर भी नहीं मिल रहा है। पाक और उसकी एजेंसियां बेशक अभी भी जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा को गति देने के लिए, स्थानीय युवाओं को बंदूक थमाने के लिए हर संभव षड्यंत्र कर रही हैं।
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