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Jammu Kashmir: नारायणा अस्पताल के डाक्टरों ने बचाई दिल के मरीज की जान, कोरोनरी आर्टरी थी पूरी तरह से ब्लाक

श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डाक्टरों ने एक 48 वर्षीय मरीज की जान बचाई। मरीज की कोरोनरी आर्टरी पूरी तरह से ब्लाक थी। इससे दिल की ओर जाने वाले खून की सप्लाई बाधित हो रही थी।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Thu, 07 Jan 2021 04:47 PM (IST)
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नारायणा अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डा. सुशांत कुमार ने बताया कि यह एक चुनौतीपूर्ण मामलपा था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डाक्टरों ने एक 48 वर्षीय मरीज की जान बचाई। मरीज की कोरोनरी आर्टरी पूरी तरह से ब्लाक थी। इससे दिल की ओर जाने वाले खून की सप्लाई बाधित हो रही थी। अस्पताल में मरीज सांस लेने में दिक्कत आने की शिकायत लेकर पहुंचा था। उसका कहना था कि सैर करने पर सांस लेने में परेशानी आ रही है। मरीज ने किसी अन्य सेंटर में एंजियोग्राफी करवाई थी। लेकिन वहां पर डाक्टरों ने उसे बाहरी प्रदेश में जाकर एंजियोप्लास्टी करवाने की सलाह दी थी।

नारायणा अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डा. सुशांत कुमार ने बताया कि यह एक चुनौतीपूर्ण मामलपा था। इसमें मरीज की धमनी पूरी तरह से ब्लाक हो गई थी। इसके सही तरीके से काम न करने के कारण मरीज की सांस फूल रही थी। ऐसे मामलों में विशेष दिशा निर्देश, गाइड कैथेटर और माइक्रो कैथेटर की जरूरत होती है। आमतौर पर इस तरह की प्रक्रियाएं ऊरू मार्ग से की जाती हैं। यह गाइड को बेहतर समर्थन देने के अलावा प्रक्रियाओं को करने में आसानी भी करती हैं। हमने गाइड कैथेटर का सफलतापूर्वक उपयोग करके रेडियल मार्ग के माध्यम से पूरी तरह से जमी धमनी की एंजियोप्लास्टी की। यह सुरक्षित प्रक्रिया है और इसमें रक्त कम बहता है।

उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार इस तरह की प्रक्रिया की गई है। अपनी सर्जरी से उत्साहित मरीज का कहना है कि लगातार खराब हो रहे स्वास्थ्य के कारण परेशान था। उन्हें खुशी है कि वह इस अस्पताल में आईं। डा. सुशांत ने मुझे अच्छी तरह से समझाया। अब ठीक हूं। इस तरह की प्रक्रिया में मरीज के अलावा डाक्टर में भी धीरज होना चाहिए। पूरी प्रक्रिया में दो घंटे लगते हैं। प्रक्रिया के अगले दिन ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। अस्पताल के फैकल्टी डायरेक्टर एमएम माथवन ने कहा कि यह प्रक्रिया हमारे अस्पताल के लिए महल का पत्थर है। इससे जम्मू संभाग के मरीजों को भी राहत मिलेगी।

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