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पाकिस्तानी ड्रोन हमलों का जवाब देगा DRDO का एंटी ड्रोन सिस्टम, जम्मू अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होगा प्रशिक्षण

Jammu Drone Attack डीआरडीओ की मौजूदा ड्रोन प्रणाली का एक बार बीते साल नवंबर-दिसंबर में अमृतसर के पास परीक्षण हो चुका है। हालांकि एनएसजी ने भी इसका परीक्ष्ण किया है लेकिन वह इस समय इस्रायल और अमरीका द्वारा उपलब्ध कराई गई एंटी ड्राेन टैक्नोलाजी का इस्तेमाल कर रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 24 Jul 2021 01:31 PM (IST)
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यह परीक्षण संभवत: सांबा सेक्टर के आस-पास ही हाेगा।(FILE PHOTO)
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: ड्रोन हमलों के लगातार बढ़ते खतरे से निपटने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित एंटी ड्रोन प्रणाली का जल्द ही जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर परीक्षण होगा। परीक्षण के आधार पर ही इसे बीएसएफ स्थापित करने पर अंतिम फैसला लेगी। यह परीक्षण अगले एक पखवाड़े में पूरा कर लिया जाएगा।

डीआरडीओ की मौजूदा एंटी ड्रोन प्रणाली चार किलोमीर के दायरे में उड़ रहे ड्रोन का पता लगाने, दो किलाेमीटर के दायरे में जाम करने और एक से दो किलाेमीटर की रेंज में उसे मार गिराने में सक्षम है। इस बीच, सेना द्वारा पुंछ में एलओसी पर कुछेक जगहों पर इलेक्ट्रो आप्टिक ड्रोन प्रणाली भी स्थापित की गई है। यह प्रणाली करीब डेढ़ किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के ड्रोन का पता लगा उसके संचार तंत्र काे अवरुद्ध करने, उसे हवा में मार गिराने में समर्थ है। इसमें लेजर तकनीक का इस्तेमाल होता है।

संबधित सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ ने जम्मू प्रांत में कठुआ से लेकर कानाचक तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कुछ विशेष स्थानों को एंटी ड्रोन प्रणाली काे स्थापित करने के लिए चिन्हित कर लिया है। इन स्थानों पर एंट्री ड्रान प्रणाली को स्थापित करने से पूर्व उसका परीक्षण हाेगा। बीएसएफ ने इसके लिए डिफेंस रिसर्च एंड डिवेल्पमेंट आर्गेनाईजेशन डीआरडीओ काे औपचारिक आग्रह करते हुए पत्र भी भेजा है।

डीआरडीओ द्वारा विकसित एंटी ड्रोन प्रणाली का जम्मू-कश्मीर की भौागोलिक परिस्थितियों और बीएसएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की आवश्यक्तानुरुप रियल टाइम ऑन ग्राउंड परीक्षण होगा। अगर यह परीक्षण कामयाब रहता है ताे ही इस प्रणाली को जम्मू-कश्मीर मं बीएसएफ स्थापित करेगी। इसके अलावा परीक्षण के दाैरान अगर कुछ खामियां पायी जाती हैं तो तदनुसार उनका सुधार भी किया जाएगा। यह परीक्षण संभवत: सांबा सेक्टर के आस-पास ही हाेगा।

उन्हाेंने बताया कि डीआरडीओ की मौजूदा ड्रोन प्रणाली का एक बार बीते साल नवंबर-दिसंबर में अमृतसर के पास परीक्षण हो चुका है। हालांकि एनएसजी ने भी इसका परीक्ष्ण किया है, लेकिन वह इस समय इस्रायल और अमरीका द्वारा उपलब्ध कराई गई एंटी ड्राेन टैक्नोलाजी का इस्तेमाल कर रही है।बीएसएफ चाहती है कि एंटी ड्रोन प्रणाली अकेले या समूह मेंं आने वाले अवांछित यूएवी का 10 सैकेंड में पता लगा उसे निशाना बनाने में समर्थ हो।

इस अलावा यह स्टैंड एलोन प्लेटफार्म आधारित हाे और रिचार्जेबल बैटरी से चलाए जाने में समर्थ हो। यह मल्टीकाप्टर, फिक्सड विंग यूएवी और रिमाेट कंट्राेल से संचालित होने वाले यूएवी को किसी भी मौसमी परिस्थिति में रियल टाइम स्कैन करने, पता लगाने ,पीछा करने और उसे मार गिराने में समर्थ हाे। इसके अलावा एंटी ड्रोन प्रणाली ड्राेन के रेडियो सिस्टम और जीपीएस को पूरी तरह अवरुद्ध करने, उसे जमीन पर उतरने को मजबूर करने वाले संकेत जारी करने में समर्थ हाेनी चाहिए।

संबधित अधिकारियों ने बतााया कि ड्रोन का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में कई लोगों के पास ड्रोन हैं। हालांकि प्रशासन ने इन पर रोक लगा दी है, लेकिन आतंकी तत्व कभी भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा सरहद पार से भी ड्रोन की घुसपैठ आए दिन हो रही है।इसलिए इस खतरे से निपटने लिए विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां लगातार अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों के विकल्प काे तलाश रही हैं। 

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