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Ladakh News: भारत की पहली जियो थर्मल बिजली परियोजना की ड्रिलिंग शुरू, लद्दाख सहित अन्य राज्यों को भी मिलेगा लाभ

लद्दाख में भारत की पहली जियो थर्मल बिजली परियोजना के लिए ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। इस परियोजना की उत्पादन क्षमता एक मेगावाट के करीब होगी। इसके साथ ही लेह से करीब 190 किलोमीटर दूर स्थित यह पुगा घाटी में लगाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के कामयाब होने के साथ ही लद्दाख सहित अन्य राज्यों को लाभ मिलेगा।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 31 Jul 2024 07:10 PM (IST)
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भारत की पहली जियो थर्मल बिजली परियोजना की ड्रिलिंग शुरू (सांकेतिक)।
राहुल शर्मा, जम्मू। बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख की जियो थर्मल (भूतापीय) समृद्ध पुगा घाटी में भारत की पहली जियोथर्मल बिजली परियोजना की ड्रिलिंग शुरू हो गई है। पायलट परियोजना के तहत शुरू की गई इस परियोजना की उत्पादन क्षमता एक मेगावाट के करीब होगी।

लेह से करीब 190 किलोमीटर दूर स्थित यह पुगा घाटी में लगाया जा रहा यह प्रोजेक्ट तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), एलएएचडीसी लेह और हिमालयन रिन्यूएबल एनर्जी एंड कंस्ट्रक्शन फर्म (एचआरईसीएफ) की संयुक्त पहल है।

एनएचपीसी कर रही योजनाओं का संचालन और रखरखाव

आपको बता दें कि लद्दाख में वर्तमान में लेह और कारगिल जिले के विभिन्न स्थानों पर 13.95 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली करीब नौ पनबिजली परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं का रखरखाव जम्मू कश्मीर पावर डेवलेपमेंट कारपोरेशन ही कर रहा है। इसके अलावा कारगिल में 44 मेगावाट वाली चुतक और लेह में 45 मेगावाट क्षमता वाली निम्मो बाजवो पनबिजली परियोजनाएं हैं। इनका संचालन और रखरखाव एनएचपीसी द्वारा किया जाता है।

14 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाई जा रही ये परियोजना

यह भूतापीय शून्य-कार्बन नवीकरणीय बिजली परियोजना लेह में 14 हजार फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर बनाई जा रही है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पायलट परियोजना का उद्देश्य सर्दियों के दौरान यहां के निवासियों के लिए अंतरिक्ष हीटिंग, जलीय कृषि, कृषि और लैगून स्पा जैसी पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

परियोजना के लिए शुरू कर दी गई ड्रिलिंग

परियोजना को शुरू करने से पहले किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि पुगा घाटी में 1000 मीटर की गहराई पर 200 डिग्री सेल्सियस का तापमान है। जो एक मेगावाट बिजली यूनिट शुरू करने के लिए पर्याप्त है। इस परियोजना के लिए ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है और उम्मीद जताई जा रही है कि सर्दियों की शुरुआत से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा।

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यह परियोजना केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद-लेह, ओएनजीसी और लेह स्थित निर्माण कंपनी एचआरइसीएफ के बीच 2021 के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) का परिणाम है।

सेरोस ड्रिलिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिया ड्रिलिंग ठेका

आपको बता दें कि एचआरइसीएफ ज्यादातर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में काम करती है। ओएनजीसी ने ड्रिलिंग का ठेका सेरोस ड्रिलिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। काम को बेहतरी से करने व समय-समय पर बेहतर मार्गदर्शन पाने के लिए लिए कंपनी ने आइसलैंड से सलाहकार और विशेषज्ञ भी नियुक्त किए हैं।

लद्दाख प्रशासन का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद भूतापीय समृद्ध पुगा घाटी के एक बड़े हिस्से की भूतापीय क्षमता के दोहन के प्रयास तेज किए जाएंगे। प्रारंभिक अनुमान से पता चलता है कि पांच वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 200 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है।

दूसरे राज्यों को भी मिलेगा लाभ

प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख एक थे, तब भी इस क्षेत्र में बिजली दोहन के प्रयास किए गए थे। उस समय प्रोजेक्ट को शुरू करने में सबसे बड़ा बाधा इस क्षेत्र से बिजली को बाहर ले जाने की लागत थी जो कि बाजार से खरीदी गई ऊर्जा से काफी अधिक थी। परंतु अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर एक बार यह प्रयास सफल हो जाता है और यहां क्षमता अनुसार बिजली उत्पन्न होती है तो इसका लाभ न सिर्फ लद्दाख बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी होगा।

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