Navratra Festival : सांस्कृतिक एकता का मिसाल बना जम्मू में दुर्गा पूजा महोत्सव, महानवमी पर पंडालों में महाआरती
मां जगदंबा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा धूमधाम से की गई। महानवमी के मौके पर शाम को विभिन्न दुर्गा पंडालों में महाआरती की गई। इसमें श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ रही। इससे पूर्व दिन में हवन और भंडारे का आयोजन किया गया।
By Jagran NewsEdited By: Lokesh Chandra MishraUpdated: Tue, 04 Oct 2022 10:44 PM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता : नवरात्र के अंतिम दिन आदिशक्ति मां जगदंबा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा धूमधाम से की गई। महानवमी के मौके पर शाम को विभिन्न दुर्गा पंडालों में महाआरती की गई। इसमें श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ रही। इससे पूर्व दिन में हवन और भंडारे का आयोजन किया गया। रात को शहर में कई जगहों पर माता के जागरण का आयोजन भी किया गया। दशहरे के दिन बुधवार को मां दुर्गा की प्रतिमा का ढोल बाजे के साथ विसर्जन किया जाएगा। वहीं काफी संख्या में लोगों ने माता के शाकंभरी रूप जयंत्री यानी खत्री का विसर्जन मंगलवार की शाम को किया। हालांकि जम्मू के स्थानीय परंपरा के मुताबिक नवमी के दिन ही नवरात्र समाप्त हो जाता है।
जम्मू में वर्षों से रह रहे देश के विभिन्न राज्यों के लोग अपने अपने राज्यों की परंपरा के मुताबिक शहर के कई इलाकों में पंडाल बनाकर दुर्गा प्रतिमा स्थापित कर पूरे नवरात्र में भव्य पूजा करते हैं। इसमें मुख्य आयोजन प्रीतनगर, बाड़ी ब्राह्मणा के वीरपुर कांप्लेक्स, डिग्याना इंडस्ट्रीयल एरिया और शास्त्री नगर में नहर किनारे हुआ। प्रीतनगर मेें बिहार के लोग मिलकर पंडाल लगाते रहे हैं, जबकि बाड़ी ब्राह्मणा वीरपुर में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग सम्मिलित रूप से प्रतिमा स्थापित करते हैं। वहीं डिग्याना इंडस्ट्रीयल क्षेत्र में बंगाली समुदाय के लोग अपनी परंपरा के मुताबिक विश्वकर्मा मंदिर परिसर में वर्षों से पंडाल लगाते रहे हैं। शास्त्रीनगर में नहर के किनारे मध्य प्रदेश के लोग भी प्रतिमा स्थापित करने लगे हैं।
दशहरे के दिन सभी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। श्री महाशक्ति दुर्गा समिति, वीरपुर कांप्लेक्स बाड़ी ब्राह्मणा के प्रधान एके गुप्ता ने कहा कि प्रतिमा विसर्जन से पूर्व रविवार की सुबह ग्यारह बजे से तीन बजे तक भंडारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू अब सांस्कृतिक एकता का बेजोड़ उदाहरण बन गया है। हर राज्य के लोग अपनी सांस्कृतिक परंपरा के मुताबिक हर त्योहार को मनाते हैं। प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिलता है। इससे किसी को त्योहार में घर से दूर होना नहीं खलता है। यही समेकित भारत की असली पहचान है। इस बीच प्रीतनगर और शास्त्री नगर में माता के जागरण का आयोजन किया गया। यहां दिन को भंंडारा लगाया गया।
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