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दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च पुल पर पहली बार दौड़ा इलेक्ट्रिक इंजन, एक दूसरे से जुड़ेंगे कश्मीर और कन्याकुमारी

विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च पुल से होकर रविवार को पहली बार इलेक्ट्रिक इंजन रियासी स्टेशन पहुंचा तो भारत माता की जय के जयघोष गूंजने लगे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल पहुंचाने के लिए ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल परियोजना के कटड़ा-बनिहाल खंड के बीच संगलदान (रामबन) से इलेक्ट्रिक इंजन का सफल ट्रायल कर बड़ी उपलब्धि हासिल की। स्टेशन पर रेलवे इंजीनियर सहित और भी कई अधिकारी मौजूद रहे।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Mon, 17 Jun 2024 06:00 AM (IST)
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27-28 जून को रेलवे सुरक्षा आयुक्त करेंगे महत्वाकांक्षी परियोजना का निरीक्षण। (फोटो, एएनआई)

जागरण संवाददाता, रियासी। विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे आर्क पुल से होकर रविवार को पहली बार इलेक्ट्रिक इंजन रियासी स्टेशन पहुंचा तो भारत माता की जय के जयघोष गूंजने लगे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल पहुंचाने के लिए ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल परियोजना के कटड़ा-बनिहाल खंड के बीच संगलदान (रामबन) से इलेक्ट्रिक इंजन का सफल ट्रायल कर बड़ी उपलब्धि हासिल की।

स्टेशन पर रेलवे इंजीनियर सहित और भी कई अधिकारी मौजूद रहे। संगलदान से रियासी के बीच ट्रेन को 30 जून को हरी झंडी दिखाई जाएगी। उससे पहले रेलवे सुरक्षा आयुक्त डीसी देशवाल इसी महीने के अंत में 46 किलोमीटर लंबे संगलदान रियासी सेक्शन का दो दिवसीय निरीक्षण करेंगे।

रेल लिंक परियोजना पर दशकों से कार्य चल रहा

बता दें कि 272 किलोमीटर लंबी ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना पर दशकों से कार्य चल रहा है। बनिहाल से श्रीनगर होते हुए बारामुला तक 161 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर पहले से ही ट्रेन दौड़ रही है। दोपहर को लोग उस समय हैरान रह गए जब दूर से उन्हें ट्रेन के इंजन की आवाज सुनाई देने लगी। लोग ऊंची या फिर उन जगहों पर पहुंचने लगे जहां से रेलवे ट्रैक दिखाई देता है। जैसे-जैसे आवाज नजदीक से सुनाई देने लगी तो इंजन भी नजर आने लगा। यह देखकर लोग खुशी जताने के साथ भारत माता के जयघोष लगाने लगे।

रियासी से कई लोग स्टेशन पर पहुंचे

लोग आनन-फानन में मोबाइल फोन से ट्रैक के अगले हिस्से यानी रियासी स्टेशन की तरफ रहने वाले अपने परिचितों को जानकारी देकर पहली बार इंजन आने के बारे में बताने लगे। ऐसे में रियासी से कई लोग स्टेशन पर पहुंच गए। जैसे ही टनल नंबर 36 से होकर इंजन रियासी स्टेशन की तरफ निकला तो उसकी पहली झलक देखते ही स्टेशन पर मौजूद लोग एक-दूसरे को बधाइयां देने लगे।

रियासी से कटड़ा तक काम इसी वर्ष पूरा होने की संभावना

ऊधमपुर से कटड़ा तो दूसरी तरफ कश्मीर (बारामुला) से संगलदान तक रेल यातायात पहले से जुड़ चुका है। अब संगलदान से रियासी के बीच 46 किलोमीटर खंड में ट्रेन चलाने की तैयारी है। उसके बाद रियासी से कटड़ा तक 17 किलोमीटर हिस्से का काम इसी वर्ष के अंत तक पूरा होने की संभावना है। यह काम टी-1 सुरंग के कारण लटका काम है।

ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन का भी ट्रायल हुआ

उत्तर रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि कटड़ा-बनिहाल खंड का चालू होना 27 और 28 जून को रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) के इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निरीक्षण पर निर्भर करता है। उनके निर्धारित निरीक्षण से पहले संगलदान से रियासी खंड का काम पूरा हो जाएगा। बताया कि इस इंजन से ट्रैक के साथ ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन का भी ट्रायल हुआ।

देशवासियों के लिए गर्व के क्षण होंगे

रियासी के डिप्टी कमिश्नर विशेष पाल महाजन ने कहा कि जिले के लोग ट्रेन के सायरन को सुनने के लिए बेताब हैं। संगलदान से रियासी खंड के चालू होने का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के बीच रियासी से वैकल्पिक संपर्क होना। घाटी को कन्याकुमारी से जोड़ने की यह उपलब्धि होगी। जब ट्रेन चिनाब पुल से होकर गुजरेगी तो देशवासियों के लिए गर्व के क्षण होंगे। हमारे इंजीनियरों ने दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च पुल बनाकर उपहार दिया है। यह पूरी परियोजना इंजीनियरिंग के चमत्कारों से भरी है। इसमे यात्रियों को कई अनुभव और नजारे मिलेंगे।

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