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Jammu News: 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीद जनता को करीब 5 रुपये में मुहैया करा रहा बिजली निगम, पढ़ें पूरी खबर

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir Electricity Corporation) में छाए बिजली संकट के बादल फिलहाल छंटते नजर नहीं आ रहे हैं। हिमाश्रित जम्मू-कश्मीर के दरियाओं में बिजली उत्पादन की क्षमता 16475 मेगावाट पहचानी गई है। प्रदेश की अपनी व केंद्र प्रायोजित करीब 21 बिजली परियोजनाओं से इस समय केवल 3263 मेगावाट बिजली पैदा होती है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी एच राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बिजली की इस कमी को पूरा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। यह 700 मेगावाट जो हम खरीद रहे हैं वह प्रदेश के खजाने पर बोझ बढ़ाने का काम कर

By rahul sharmaEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 02 Nov 2023 02:35 PM (IST)
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10 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीद जनता को करीब 5 रुपये में मुहैया करा रहा बिजली निगम। फाइल फोटो
राहुल शर्मा, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में छाए बिजली संकट के बादल फिलहाल छंटते नजर नहीं आ रहे हैं। प्रशासन के लाख दावों के बावजूद जम्मू व कश्मीर में स्मार्ट व डिजिटल मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को घंटों बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।

गंभीरता की बात यह है कि आने वाले सर्द मौसम में प्रदेश की जनता को कटौती का और अधिक सामना करना पड़ेगा। लोगों को राहत दिलाने के लिए अभी तक केंद्र से खरीदी जा रही 700 मेगावाट बिजली सरकारी खजाने को हर माह खाली कर रही है।

बिजली संकट की यह है वजह

हिमाश्रित जम्मू-कश्मीर के दरियाओं में बिजली उत्पादन (Jammu and Kashmir Electricity Corporation) की क्षमता 16475 मेगावाट पहचानी गई है। प्रदेश की अपनी व केंद्र प्रायोजित करीब 21 बिजली परियोजनाओं से इस समय केवल 3263 मेगावाट बिजली पैदा होती है। हालांकि बिजली उत्पादन की सबसे बड़ी सात पनबिजली परियोजनाएं केंद्र प्रायोजित हैं जिनसे 2009 मेगावाट बिजली उत्पन्न होती है।

इसके अलावा करीब 42.5 मेगावाट की चार परियोजनाओं निजी कंपनियों द्वारा स्थापित की गई हैं। प्रदेश की पनबिजली परियोजनाओं में सबसे बड़ी परियोजना बगलिहार-1 और 2 है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 900 मेगावाट के करीब है।

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प्रदेश को मिलने वाली बिजली की 85 प्रतिशत आपूर्ति इन्हीं परियोजनाओं से होती है। अब जबकि बारिश कम होने की वजह से प्रदेश के दरियाओं में जलस्तर सितंबर में ही कम हो गया था, सभी परियोजनाओं में बिजली उत्पादन 40 प्रतिशत तक हो रहा है।

खरीदी जा रही 700 अतिरिक्त बिजली 

जम्मू-कश्मीर में बेहतर सप्लाई देने के लिए 2600 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। केंद्र के सहयोग व प्रदेश की अपनी परियोजनाओं में पैदा हो रही बिजली के बाद करीब 1400 मेगावाट बिजली मिल रही है। 700 मेगावाट अतिरिक्त बिजली केंद्रीय विद्युत विनिमय से खरीदी जा रही है।

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प्रदेश में मीटर वाले क्षेत्रों में रोजाना चार से पांच घंटे व उससे बाहर इलाकों में सात से आठ घंटे कटौती करने के बाद प्रदेश को 2100 मेगावाट बिजली मिल रही है। इसमें 1200 मेगावाट कश्मीर जबकि 900 मेगावाट बिजली जम्मू को दी जा रही है। अभी भी 500 मेगावाट बिजली कम है। सर्दियों में जब बिजली की मांग 3000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी तो यह किल्लत आम जनता की परेशानी बढ़ाएगी।

7 से 10 रुपये प्रति यूनिट खरीदी जा रही बिजली

प्रिंसिपल सेक्रेटरी एच राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बिजली की इस कमी को पूरा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। यह 700 मेगावाट जो हम खरीद रहे हैं वह प्रदेश के खजाने पर बोझ बढ़ाने का काम कर रहा है। यह बिजली 7 रुपये से 10 रुपये प्रति यूनिट के बीच खरीदी जा रही है।

जबकि गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को यह 1.25 रुपये प्रति यूनिट और अन्य उपभोक्ताओं को अधिकतम 4.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से दी जा रही है। इससे सरकारी खजाने पर मासिक 750 करोड़ रुपये बोझ बढ़ा है। कश्मीर में जब सर्दियों में बिजली की मांग बढ़ जाएगी तो यह खर्च बढ़कर 850 करोड़ रुपये प्रति माह हो जाएगा।

ट्रांसमिशन लास को कम करने पर हो रहा काम

देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले जम्मू-कश्मीर में ट्रांसमिशन लास सबसे अधिक हैं। पिछले साल प्रदेश में समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटा 62 प्रतिशत था। जो इस साल घटकर 55 प्रतिशत कर दिया गया है। बिजली निगम ने लक्ष्य रखा है कि इस वित्तीय वर्ष के समापन तक यह घाटा 45 प्रतिशत तक लाया जाए। इसके लिए प्रदेश में सौ प्रतिशत मीटरिंग का प्रयास किया जा रहा है और कोटेड केबल एचटी-एलटी लाइनें बिछाने का काम जोरों से जारी है।

प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रसाद ने बताया कि संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत 5500 करोड़ की योजना को मंजूरी मिल गई है। इसमें 90 प्रतिशत फंडिंग केंद्र जबकि 10 प्रतिशत फंडिंग प्रदेश सरकार देगी। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में मीटरिंग, एडी केबल और आधुनिक ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जाएंगे। इसे पूरा करने में समय लगेगा परंतु हमें पूरी आशा है कि देश के दूसरे राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी बिजली निगम मजबूत होगा और लोगों को बेहतर बिजली सप्लाई मिलेगी

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