विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही कश्मीरी हिंदुओं में बढ़ा उत्साह, 34 साल पहले होना पड़ा था विस्थापित
जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव कराने का एलान हो चुका है। इस बार कश्मीरी हिंदुओं के लिए दो सीट सुरक्षित रखी है। 10 साल बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव होने जा रहा है। चुनाव की घोषणा होने से कश्मीरी हिंदुओं में उत्साह बढ़ गया है। कश्मीरी हिंदू 1990 में विस्थापित होकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
1990 में सवा लाख हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा था
कश्मीरी हिंदू लंबे समय से परेशान हैं। विस्थापितों को समय पर राहत नहीं मिलती। राशन भी कई बार लंबे समय से आता है। वहीं कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी नहीं हो पा रही। ऐसे में कश्मीरी हिंदुओं के बनने वाले प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह लोग विधानसभा में हमारी आवाज बनेंगे। इसलिए हम चाह रहे हैं कि कोई सही प्रतिनिधि ही विधानसभा में पहुंचे, इस दिशा में काम होना चाहिए।
-मोहिनी किस्सु
दुर्गानगर।
चुनाव को लेकर कश्मीरी हिंदुओं में उत्साह
दो में से एक सीट महिला को दी जाए तो और भी बेहतर रहेगा। ऐसा होने से कश्मीरी हिंदू महिलाओं के विकास के बारे में भी आवाज उठ सकेगी। उन्होंने कहा कि 1990 में कश्मीर घाटी से बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा था। कश्मीरी हिंदू परिवार अपनी जड़ों से उखड़ गए। कश्मीरी हिंदू महिलाएं जोकि एक समय सरकार के हर विभाग में नौकरी करती हुई नजर आती थी। लेकिन आज नौकरियों में उसकी भागेदारी खत्म होती जा रही है। विस्थापन के बाद महिलाएं प्रभावित हुई। जिंदगी के कठिन दौर में यह महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ गई। आज इन महिलाओं क बारे में सोचा जाना चाहिए।
-ज्योति
जानीपुर
यह भी पढ़ें- Article 370 की बहाली लेकर उमर अब्दुल्ला ने दिया बयान, कहा- केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगेसबसे बड़ी बात कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी की है और इस पर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। 35 वर्ष से कश्मीरी हिंदू जम्मू की विस्थापित कालोनियों में टिके हुए हैं। वे अपने घर जाना चाहते हैं। लेकिन सरकार इसका रास्ता नहीं बना पाई। अब समय आ गया है कि हम अपनी आवाज विधानसभा में ले जाए। सरकार ने दो सीटें कश्मीरी हिंदू समाज के लिए रखी है। इन सीटों को सही तरीके से भरा जाना चाहिए।
विपिन काचरू
जम्मू।