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विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही कश्मीरी हिंदुओं में बढ़ा उत्साह, 34 साल पहले होना पड़ा था विस्थापित

जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव कराने का एलान हो चुका है। इस बार कश्मीरी हिंदुओं के लिए दो सीट सुरक्षित रखी है। 10 साल बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव होने जा रहा है। चुनाव की घोषणा होने से कश्मीरी हिंदुओं में उत्साह बढ़ गया है। कश्मीरी हिंदू 1990 में विस्थापित होकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

By guldev raj Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 18 Aug 2024 03:59 PM (IST)
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जम्मू- कश्मीर में 10 साल बाद होगा विधानसभा चुनाव (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, जम्मू। विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही कश्मीरी हिंदुओं में भी हलचल बढ़ने लगी है। क्योंकि सरकार ने इस बार विधानसभा में दो सीटें कश्मीरी हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षित रखी है जोकि सरकार द्वारा ही मनोनीत कर भरी जानी है। इसको लेकर कश्मीरी संगठनों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वहीं राजनीति भी गरमाने लगी है।

1990 में सवा लाख हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा था

1990 में कश्मीर में बने हालात के कारण तकरीबन सवा लाख कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा था। आज अधिकांश लोग जम्मू, ऊधमपुर व देश के अन्य राज्यों विस्थापित के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं।

इन लोगों की शुरू से ही मांग रही है कि विधानसभा में इनको प्रतिनिधित्व दिया जाए ताकि इनकी आवाज बुलंद हो सके। सरकार ने इनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए पिछले समय में दो सीटें कश्मीरी हिंदुओं के लिए तय कर दी।

कश्मीरी हिंदू लंबे समय से परेशान हैं। विस्थापितों को समय पर राहत नहीं मिलती। राशन भी कई बार लंबे समय से आता है। वहीं कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी नहीं हो पा रही। ऐसे में कश्मीरी हिंदुओं के बनने वाले प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह लोग विधानसभा में हमारी आवाज बनेंगे। इसलिए हम चाह रहे हैं कि कोई सही प्रतिनिधि ही विधानसभा में पहुंचे, इस दिशा में काम होना चाहिए।

-मोहिनी किस्सु

दुर्गानगर।

चुनाव को लेकर कश्मीरी हिंदुओं में उत्साह

वहीं चुनाव की घोषणा को देखते हुए कश्मीरी हिंदुओं में उत्साह है लेकिन राजनीति भी शुरू हो गई है। इन लोगों का कहना है कि दो सीटें जोकि सरकार ने मनोनीत करनी है, का निर्णय कश्मीरी समाज करे। यह इसलिए ताकि कश्मीरी हिंदुओं का सही प्रतिनिधि विधानसभा में पहुंच सके।

कुछ नेता तो सरकार पर नजर बनाए हुए है ताकि उनका नाम चयन सूची में आ सके। कश्मीरी हिंदुओं का कहना है कि जो भी हो, यह विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होंगे। क्योंकि विधानसभा में पहुंचने वाले कश्मीरी हिंदू ही हमारे घर वापसी का रास्ता बनााएंगे।

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दो में से एक सीट महिला को दी जाए तो और भी बेहतर रहेगा। ऐसा होने से कश्मीरी हिंदू महिलाओं के विकास के बारे में भी आवाज उठ सकेगी। उन्होंने कहा कि 1990 में कश्मीर घाटी से बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा था। कश्मीरी हिंदू परिवार अपनी जड़ों से उखड़ गए। कश्मीरी हिंदू महिलाएं जोकि एक समय सरकार के हर विभाग में नौकरी करती हुई नजर आती थी। लेकिन आज नौकरियों में उसकी भागेदारी खत्म होती जा रही है। विस्थापन के बाद महिलाएं प्रभावित हुई। जिंदगी के कठिन दौर में यह महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ गई। आज इन महिलाओं क बारे में सोचा जाना चाहिए।

-ज्योति

जानीपुर

सबसे बड़ी बात कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी की है और इस पर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। 35 वर्ष से कश्मीरी हिंदू जम्मू की विस्थापित कालोनियों में टिके हुए हैं। वे अपने घर जाना चाहते हैं। लेकिन सरकार इसका रास्ता नहीं बना पाई। अब समय आ गया है कि हम अपनी आवाज विधानसभा में ले जाए। सरकार ने दो सीटें कश्मीरी हिंदू समाज के लिए रखी है। इन सीटों को सही तरीके से भरा जाना चाहिए।

विपिन काचरू

जम्मू।

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