Kathua Encounter: पहाड़, खाई, कच्ची सड़क और जंगल... डिकोड हुआ कठुआ में आतंकी हमले का प्लान
सोमवार को जम्मू- कश्मीर के कठुआ जिले मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर बदनोता में मछेड़ी-किंडली-मल्हार हुए आतंकी हमले में पांच जवान बलिदान हो गए। इस आतंकी हमले में कई जवान घायल हो गए। आतंकियों के खात्मे के लिए सेना लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है। चश्मदीदों ने बदनोता हमले की खौफनाक कहानी बताई कि कैसे आतंकियों ने इस घटना का अंजाम दिया था।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। एक तरफ पहाड़ और दूसरी ओर गहरी खाई, घना जंगल व कच्ची सड़क जिस पर गुजरने वाले वाहनों के लिए बरसाती नाला कभी भी मुश्किल में डाल देता है। मंगलवार को नाला पूरी तरह से खामोश था।
नाले से कुछ ही दूरी पर सड़क पर लगे खून के धब्बे, लावारिस हालत में पड़ा खून से सना हेलमेट और पंचर टायर के साथ सड़क किनारे खड़ा ट्रक और गोलियों से छलनी इसके शीशे... नाले की खामोशी के विपरीत सोमवार को आतंकी हमले के जख्म बयां कर रहे हैं। इस मुठभेड़ में पांच सैन्यकर्मी बलिदान और पांच जख्मी हुए हैं।
हमला करने के बाद जंगलों में भाग गए आतंकी
कठुआ जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर बदनोता में मछेड़ी-किंडली-मल्हार सड़क से गुजर रहे सैन्य वाहन पर सोमवार को दोपहर लगभग 3.30 बजे स्वचालित हथियारों से लैस तीन आतंकियों ने हमला किया था। आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंका और इसके बाद स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध गोलीबारी की।वाहन में मौजूद सैन्यकर्मी जब तक अपनी पोजीशन लेते तब तक 10 सैन्यकर्मी घायल हो गए थे। अन्य जवानों ने पोजीशन ली और जवाबी फायर किया। लगभग एक घंटे तक गोलीबारी होती रही। इसके बाद आतंकी निकटवर्ती जंगल में भाग निकले।
बीते एक महीने में जम्मू में पांचवां हमला
बीते एक माह में जम्मू संभाग में पांचवां हमला है। घटनास्थल का मुआयना कर रहे एक सैन्य अधिकारी ने चेहरे पर गुस्सा और तनाव छिपाने का प्रयास करते हुए कहा कि हमारे जवानों ने वीरता के साथ मुकाबला किया। आतंकियों ने यहां नाले और जंगल का लाभ उठाया है, वह यहीं छिपे थे।उन्होंने बताया कि लगभग तीन आतंकियों के छिपे होने की आशंका है। आतंकियों को हम बीती ही शाम पकड़ लेते या मार गिरा देते, लेकिन बारिश होने लगी। इससे अभियान स्थगित करना पड़ा। मंगलवार सुबह फिर उनकी धरपकड़ के लिए अभियान चलाया ।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आतंकियों के भागने की आशंका वाले रास्तों पर घेराबंदी
आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में शामिल जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल से आतंकी ज्यादा दूर नहीं गए हैं। वह यहां से जिन रास्तों पर जा सकते हैं, उनका आकलन करते हुए घेराबंदी की जा रही है।यह क्षेत्र ऊधमपुर और डोडा जिले से भी जुड़ता है, इसलिए उस तरफ से भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। आतंकियों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों, ड्रोन व हेलीकाप्टर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना के पैरा कमांडो का एक दस्ता अभियान में शामिल है। जिस जगह हमला हुआ वह जगह आतंकियों ने रैकी के बाद चुनी होगी। हमले की जगह पर आकर वाहनों की गति धीमी हो जाती है।बदनोता में यह पहला आतंकी घटना
स्थानीय ग्रामीण विजय कुमार ने कहा कि बदनोता में यह पहली आतंकी घटना है। गांव में 100 परिवार हैं। कभी यहां आतंकियों की हलचल नहीं देखी। हमने कभी नहीं सोचा था कि यहां ऐसा कुछ हो सकता है। हमें समझ में नहीं आ रहा है कि आतंकी यहां किस रास्ते से पहुंचे। एसएसपी अनायत अली शाम से लोआंग-मच्छेड़ी में हैं। डीजीपी आरआर स्वैन और एडीजीपी आनंद जैन अभियान की निगरानी कर रहे हैं। यह इलाका ऊधमपुर के बसंतगढ़ से लगता है, जहां 28 अप्रैल को मुठभेड़ में ग्राम रक्षा समूह का एक सदस्य बलिदान हो गया था।आतंकी हमले से पहले बार-बार दिख रहे थे संदिग्ध
एक माह से बिलावर के कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा संदिग्ध देखे जाने की सूचना मिल रही थी। करीब 20 दिन पहले वार्ड नंबर दो में एक महिला ने पुलिस स्टेशन जाकर जानकारी दी थी कि दो संदिग्ध लोगों ने उसे रोका और पूछा कि तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ है। जब उसने बताया कि मेरे पास कुछ नहीं है तब उन्होंने बोला कि घर से ला सकती हो, तो उसने कहा कि मेरा घर थोड़ा दूर है। उसके बाद उसी दिन बिलावर के एक युवक ने भी पुलिस स्टेशन में इस बारे में जानकारी दी कि उसने कुछ संदिग्ध लोगों को जंगल में जाते हुए देखा है।'मां हम तो बच गए , लेकिन भाइयों को नहीं बचा सके'
मां मैं तो बच गया, लेकिन अपने भाइयों को नहीं बचा पाया। कठुआ जिले के बदनोता में आतंकी हमले में घायल सैन्य जवान को जब बिलावर अस्पताल लाया गया तो वह अपनी मां से बात करता भावुक हो उठा। घायल अवस्था में वह बार-बार अन्य जवानों का हालचाल जान रहा था। बिलावर अस्पताल में अधिकारियों और आम लोगों का तांता था। सूत्रों के अनुसार हमले के समय मौसम ठीक नहीं था। रास्ता भी कच्चा था। सड़क किनारे खाई होने के कारण बाद जवान ट्रक को वापस घुमा नहीं पाए थे।यह भी पढ़ें- Kathua Encounter: आतंकी हमले की जांच का जिम्मा NIA को मिला, एजेंसी की स्पेशल टीम पहुंची कठुआप्रत्यक्षदर्शियों ने बताई बदनोता हमले की कहानी
बदनोता में सैन्य वाहन पर हमले से पहले आतंकियों की मंशा क्या रियासी के शिवखोड़ी श्रद्धालुओं पर हमला करने जैसे तो नहीं थी, क्योंकि हमले से करीब 10 मिनट पहले यात्रियों से भरी हुई बस वहां से गुजरी थी। इसी दौरान बस से कुछ दूरी पर सेना के गश्ती दल के वाहन भी आ रहे थे।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमलास्थल से करीब 300 मीटर पहले एक चाय का खोखा है। यहां अक्सर लोग चाय पीने और कुछ खाने के लिए रुकते हैं। अचानक एक धमाके की आवाज आती है तो खोखे में मौजूद लोग यह समझ बैठे कि शायद बस का टायर फट गया है, लेकिन बाहर का दृश्य भयावह था। क्षेत्र गोलियों की आवाज से गूंज रहा था। लोग जान बचाने के लिए इधर ऊधर भागने लगे। अगर सेना के गश्ती दल वाहन पीछे नहीं होते तो आतंकी बस को निशाना बना सकते थे। क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में चलने वाली बसों में क्षमता से अधिक यात्री बैठे होते हैं।खोखा चलाने वाले पूर्ण चंद शर्मा ने कहा कि गोलियों की आवाज बंद होने पर बाहर निकल घटनास्थल की तरफ भागे। हमने वहां खून से लथपथ पड़े जवानों को अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया। पुलिस को भी सूचित किया गया।आतंकियों के खात्मे के लिए अभियान तेज करने के निर्देश
16 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा ने मंगलवार को राजौरी के गलुती और डेरा की गली क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने क्षेत्र में आतंकियों के सफाए के लिए जारी अभियानों के बारे में जानकारी हासिल की और आतंकियों को जल्द खत्म करने के लिए अभियान को तेज करने के निर्देश दिए।जानकारी के अनुसार मंगलवार दोपहर को लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा सेना के अन्य उच्च अधिकारियों के साथ पहले गलुती क्षेत्र में स्थित सेना के शिविर में पहुंचे।इस शिविर पर दो रोज पहले आतंकियों ने हमला किया था और इस हमले में सेना का एक जवान घायल हो गया था। उसके बाद से ही पूरे क्षेत्र में आतंकियों की धरपकड़ के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है।उन्होंने सेना के अधिकारियों से आतंकियों की धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे अभियान के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डेरा की गली क्षेत्र में पहुंचे यहां पर आतंकियों की तलाश में पिछले काफी समय से सेना द्वारा बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जा रहे हैं।कोर कमांडर ने सैन्य अधिकारियों से क्षेत्र के हालात के बारे में चर्चा की और कहा कि अभियान को अधिक तेज किया जाए ताकि जल्द क्षेत्र के जंगलों में छिपे आतंकियों का खत्मा हो सके।यह भी पढ़ें- Kathua Encounter: एयरलिफ्ट कर बिलावर अस्पताल लाए गए बलिदानियों के शव, जवानों का हुआ पोस्टमार्टम