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वोट के लिए फारूक अब्दुल्ला ई-रिक्शा पर सवार, कोई घोड़े तो कोई पैदल ही नाप रहा पहाड़; दिखा प्रचार का अनोखा रंग

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Vidhan Sabha Chunav) में प्रचार के अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ई-रिक्शा से प्रचार कर रहे हैं तो डोडा भद्रवाह किश्तवाड़ रियासी जिलों के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में प्रत्याशी घोड़ों पर सवार होकर मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं। जम्मू शहर की संकरी गलियों में प्रत्याशी पैदल ही घूम रहे हैं।

By rohit jandiyal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 17 Sep 2024 08:00 AM (IST)
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फारूक अब्दुल्ला ने ई-रिक्शा से किया चुनाव प्रचार

राज्य ब्यूरो, जम्मू। कहीं सीधी खड़ी चढ़ाई वाले पहाड़ तो कहीं नदी-नाले और झीलें। किसी कस्बे में संकरी गलियां तो दूर गांवों में खुले मैदान... जम्मू-कश्मीर का भौगोलिक परिदृश्य ऐसा ही है, किंतु जब बात चुनाव की हो तो प्रत्याशी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए हर साधन प्रयोग कर रहे हैं। फिर चाहे पैदल चलना पड़े या घोड़े पर बैठकर वोट मांगने जाना पड़े। विविधतापूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव के माहौल में प्रचार के विविध रंग दिख रहे हैं।

फारूक अब्दुल्ला ई-रिक्शा से कर रहे प्रचार

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, किंतु अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने के लिए वह ई-रिक्शा से भी गलियों में मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं।

वहीं डोडा, भद्रवाह, किश्तवाड़, रियासी जिलों के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में पैदल चलना दूभर होने पर घोड़े सहारा बन रहे हैं। इधर, जम्मू शहर की गलियों में प्रत्याशी पैदल ही घूम रहे हैं।

फारूक को ई-रिक्शा पर देख पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश

फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर के रैनावाड़ी में पार्टी प्रत्याशी तनवीर सादिक के लिए प्रचार करने निकले तो ई-रिक्शा पर बैठकर वोट मांगते देखे गए। इस ई-रिक्शा को पार्टी के झंडों से सजाया हुआ था। सुरक्षाबल उनके आसपास संकरी गली से होकर चल रहे थे।

फारूक को ई-रिक्शा पर देख पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भी दिखा। पार्टी की महिला कार्यकर्ता कश्मीरी लोक गीत वानवुन से उनका स्वागत करती देखी गईं। पूरे प्रचार में जिन जगह पर वाहन नहीं जा पा रहे थे, वहां फारूक ई-रिक्शा से गए।

श्रीनगर में डल झील में शिकारों से नेता प्रचार कर रहे हैं। डल क्षेत्र में बड़ी आबादी रहती है। डल में बने घरों तक पहुंचने के लिए प्रत्याशी शिकारों से पहुंच रहे हैं।

डोडा, किश्तवाड़ के पहाड़ों पर प्रचार में घोड़े ही सहारा

जम्मू-संभाग के डोडा और किश्तवाड़ जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में कई ऐसे स्थान हैं जो कि अब तक सड़क से जुड़े नहीं है। मडवा, डच्चन जैसे क्षेत्रों में प्रत्याशियों और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लोगों तक पहुंचने के लिए घोड़े किराये पर करने पड़ रहे हैं। सीधी खड़ी चढ़ाई वाले पहाड़ों पर पैदल चलना पसीना से लथपथ होना है। रियासी जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में भी ऐसी ही स्थिति है।

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पुराने जम्मू शहर में पैदल ही प्रचार

पुराने जम्मू शहर की गलियां तो दूर सड़कें भी संकरी हैं। इन गलियों में वाहनों का काफिला गुजरने का मतलब रास्ता पूरी तरह बंद कर देना है और फिर भी निकल पाए तो आपकी किस्मत होगी। इसलिए समय बचाने और अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचने के लिए प्रत्याशी गलियों में पैदल ही दौड़ रहे हैं।

भाजपा के बाहु सीट से प्रत्याशी विक्रम रंधावा का कहना है कि वह सुबह साढ़े सात बजे पैदल ही प्रचार करने के लिए निकल जाते हैं। रात को 10 बजे तक प्रचार चलता है। कांग्रेस के आरएसपुरा-जम्मू दक्षिण से उम्मीदवार रमण भल्ला सुबह आठ बजे पैदल ही घर-घर प्रचार करने के लिए निकल रहे हैं। जम्मू, ऊधमपुर, कठुआ, श्रीनगर में इस बार प्रचार के लिए कई नेता ई-रिक्शा इस्तेमाल कर रहे हैं।

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