Jammu News: पूर्व DGP व जम्मू-कश्मीर के पहले IPS एमएम खजूरिया का निधन, 92 वर्ष में ली अंतिम सांस
JK के पूर्व पुलिस महानिदेशक और JK पुलिस से आईपीएस कैडर में शामिल होने वाले पहले स्थानीय अधिकारी एमएम खजूरिया का बुधवार को निधन हो गया।वर्ष 1954 में जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा में शामिल होने वाले एमएम खजूरिया को जनवरी1985में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीएम शाह ने पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था।
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। जम्मू कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिदेशक एमएम खजूरिया को बुधवार को देहावसान हो गया। वह 92 वर्ष के थे। उनके परिवार में उनकी तीन बेटियां और दामात व छह नाति-नातिनें हैं। उनका अंतिम दाह संस्कार ग्रीष्मकालीन राजधानी जम्मू के शास्त्री नगर स्थित शांति घाट पर वीरवार की दोपहर 1.30 बजे होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने एमएम खजूरिया के निधन पर शोक जताते हुए उनके परिजनों के साथ अपनी संवेदना प्रकट की है।
वर्ष 1954 में जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा में शामिल होने वाले एमएम खजूरिया को जनवरी 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीएम शाह ने पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था। वह मई 1986 तक पुलिस महानिदेशक रहे। वह जम्मू कश्मीर पुलिस के दूसरे महानिदेशक थे, क्योंकि 1982 तक जम्मू कश्मीर में पुलिस का मुखिया महानिरीक्षक रैंक का अधिकारी होता था। पहले महानिदेशक पीर गुलाम हसन शाह थे।
एमएम खजूरिया जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक का पदभार संभालने वाले जम्मू प्रांत के पहले पुलिस अधिकारी थे। उनके अलावा एलडी ठाकुर और डा एसपी वैद ही जम्मू प्रांत से संबधित पुलिस अधिकारी हैं जो महानिदेशक पद की शोभा बढ़ा चुके हैं।
11 जून 1931 को पैदा हुए थे एमएम खजूरिया
11 जून 1931 को पैदा हुए एमएम खजूरिया अपने छात्र जीवन में राजनीति में भी सक्रिय रहे। वह जम्मू प्रांत में पोस्ट ग्रेज्युएशन तक निश्शुल्क शिक्षा व्यवस्था की बहाली के लिए हुए छात्र आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। पुलिस विभाग में रहते हुए उन्हें कई अहम पदों पर अपनी योग्यता और निष्ठा का परिचय दिया। वह जम्मू प्रांत के पुंछ में हुए आंदोलन के बाद पुंछ में विशेष्ज्ञ आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। वह जम्मू कश्मीर पुलिस के ऐसे पहले अधिकारी हैं जिन्हें किसी जिले में विशेष आयुक्त बनाया गया हो।
रक्षा और नागरिक प्रशासनिक मामलों में विशेषक एमएम खजूरिया ने पुलिस से सेवानिवृत्त होने के बाद जनसेवा में अपना अधिकांश समय बिताया। वह अकसर आतंकवाद और देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर होने वाले सेमीनारों, बैठकों और टीवी पर होने वाली बहस में भी हिस्सा लेते थे।
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