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जम्मू-कश्मीर: परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह को जीओसी से लेकर आम नागरिक तक दे रहे हैं जन्मदिन की बधाई, पढ़ें उनकी वीरता की कहानी

सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी के साथ कई सेवानिवृत जनरलों सैन्य अधिकारियों के साथ सेेना के कई पुरानी साथियों ने भी जन्मदिन पर कैप्टन बाना सिंह की लंबी आयु की कामना की।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Thu, 06 Jan 2022 06:21 PM (IST)
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कैप्टन बाना सिंह का कहना है कि जन्मदिन पर पुराने दोस्तों व पुराने दिनों को याद कर अच्छा लगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। विश्व के सबसे उंचे युद्ध क्षेत्र लद्दाख के सियाचिन में 21,153 फीट की उंचाई पर पाकिस्तान के सैनिकों से लोहा भारतीय चौकियों को वापस लेने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह के जन्मदिन पर वीरवार को बधाईयों का अंबार लगा।

जम्मू जिले के सीमावर्ती आरएसपुरा के कादियाल गांव में कैप्टन बाना सिंह को जन्मदिन पर बधाईयां देने का सिलसिला पूरा दिन चला। इस दौरान सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी के साथ कई सेवानिवृत जनरलों, सैन्य अधिकारियों के साथ सेेना के कई पुरानी साथियों ने भी जन्मदिन पर कैप्टन बाना सिंह की लंबी आयु की कामना की। छह जनवरी 1949 को जन्मे कैप्टन बाना सिंह वीरवार को 73 साल के हाो गए।

कैप्टन बाना सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि जन्मदिन पर बधाई देने वालों में उनकी पलटन के पुराने जनरल एसके दुआ के साथ ब्रिगेडियर केजे सिंह शामिल थे। कैप्टन बाना की 6 जैकलाई के कमान अधिकारी रहे कर्नल गुप्ता ने 32 साल के बाद कैप्टी बाना सिंह से मोबाइल पर बात कर पुरानी यादों को ताजा किया। वह इस समय जयपुर में रहते हैं। ववहीं सभ्य समाज के कई प्रतिनिधि भी जन्मदिन का केक लेकर कैप्टन बाना सिंह के घर पहुंचे। कैप्टन बाना सिंह का कहना है कि जन्मदिन पर पुराने दोस्तों व पुराने दिनों को याद कर अच्छा लगा।

कैप्टन बाना सिंह ने बताया कि जन्मदिन पर उन्होंने गुरूद्वारे में माथा टेक कर सबकी बेहतरी के लिए अरदास की। उन्होंने बताया कि उन्होंने जन्मदिन पर कुछ खास नही किया। अलबत्ता सुबह ही फोन पर बधाईयां मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ लोग केक लेकर घर पहुंचे। ऐसे में परिवार के साथ आज का दिन बहुत अच्छा गुजरा। उन्होंने बताया कि उन्हें किसी जरूरी काम से चंडीगढ़ जाना था। मौसम खराब होने के कारण वह चंडीगढ़ नही गए।

वीरता की मिसाल हैं कैप्टन बाना सिंह

नायब सुबेदार बाना सिंह व उनके उनके चार साथियों ने सियाचिन में पाकिस्तान के कब्जे वाली भारतीय चौकी पर तिरंगा फहराने के लिए 26 जून 1987 को चढ़ाई की थी।

शून्य से 35 डिग्री नीचे तापमान में उन्होंने रात में चढ़ाई कर 21 हजार फीट पर दुश्मन पर धावा बोला और कायम पोस्ट को आजाद करवा दिया। इस पोस्ट तक पहुंचने के लिए बाना सिंह व उनके साथियों ने रात के समय पंद्रह सौ फीट उंची बर्फ की सीधी दिवार चढ़ी। सुबह होने से पहले ही कैटन बाना सिंह व उनके साथ ने दुश्मन पर अचानक हमला कर उसके पांव हिला दिए। कैप्टन बाना सिंह की बहादुरी को देखते हुए पाकिस्तान से छुड़ाई गई का नाम बाना टाप रखा गया। इस पोस्ट पर लगहाने वाला तिरंगा दुश्मन को करारी हार याद दिलाता है।

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