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गांदरबल आतंकी हमला कश्मीर को अशांत दिखाने का षड्यंत्र, आतंकियों को पकड़ने के लिए चप्पा-चप्पा खंगाल रहे जवान

जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले ने शांति की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। रविवार को श्रीनगर में आयोजित मैराथन के ठीक बाद हुए इस आतंकी हमले में 7 लोगों की जान चली गई जबकि कई लोग घायल हो गए। राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। कई संगठनों ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया। सुरक्षाबल हमलावरों की तलाश में जुटे हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 22 Oct 2024 01:04 PM (IST)
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आतंकियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू। (फाइल फोटो)

सुमित शर्मा, जम्मू। जन्नत-ए-कश्मीर को फिर जन्नत बनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के बीच गांदरबल आतंकी हमला कश्मीर को दुनिया में फिर अशांत दिखाने का बड़ा षड्यंत्र था। आतंकी हमले के लिए रविवार का दिन भी एक साजिश के तहत की चुना गया था। दरअसल, रविवार को श्रीनगर में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की कश्मीर मैराथन हो रही थी। देश-दुनिया के दो हजार से ज्यादा धावक कश्मीर में शांति और भाईचारे का संदेश देने दौड़े।

हमले के दिन ही हुई थी मैराथन

जम्मू-कश्मीर प्रशासन, सुरक्षाबल व अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए कई दिनों से तैयारी में जुटी थीं, लेकिन पाकिस्तान समर्थित आतंकी कुछ और ही ठानकर बैठे थे।

मैराथन संपन्न हुई ही थी कि रात होते-होते आतंकियों ने गांदरबल में जेड़ मोड़ सुरंग के निर्माण में जुटी कंपनी के शिविर में घुसकर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर कश्मीर को लहुलूहान कर दिया।

राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान का ठहराया जिम्मेदार

यह अपने आप में विशेष है कि आतंकी हमले के बाद आम लोगों के साथ कश्मीर के राजनीतिक दलों ने भी एक स्वर में न सिर्फ हमले की निंदा की बल्कि आतंकियों को दरिंदा बताने के साथ सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार भी ठहराया। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ पीडीपी भी शामिल है। जम्मू में कई संगठनों ने इस करतूत को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। कई जगह पाकिस्तान का पुतला भी जलाया गया।

बदलते सुरक्षा परिदृश्य से बौखलाए आतंकी

कश्मीर में श्रीनगर के लाल चौक, शोपियां और टंगमर्ग समेत कई जगह लोगों ने सोमवार देर शाम को हमले के कैंडल मार्च भी निकाला। दरअसल, अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पाकिस्तान और उसके समर्थित आतंकी जम्मू-कश्मीर में बदले सुरक्षा परिदृश्य से बौखलाए हुए हैं। इसी वर्ष पहले लोकसभा चुनाव में लोगों की रिकॉर्ड भागेदारी रही।

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आतंक के गढ़ में लोगों ने किया था भारी मतदान

इसके बाद विधानसभा चुनाव में भी आतंकवाद और अलगाववाद के गढ़ रहे क्षेत्रों में भी भारी संख्या में लोगों ने बाहर निकलकर मतदान कर लोकतंत्र में अपनी आस्था जताई। अब जम्मू-कश्मीर में नवनिर्वाचित सरकार भी गठित हो गई और उसने केंद्र सरकार के साथ तालमेल बिठाकर कामकाज भी शुरू कर दिया है। यही सब पाकिस्तान व उसके समर्थित आतंकियों को रास नहीं आया और उन्होंने कश्मीर को फिर अशांत करने का षड्यंत्र रचा।

आतंकियों को सजा देने को चप्पा-चप्पा खंगाल रहे जवान

सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाबल पहले की तरह मुस्तैद हैं और हमले के जिम्मेदार आतंकियों को उनके किए की सजा देने के लिए चप्पा-चप्पा खंगाल रहे हैं। केंद्र व प्रदेश प्रशासन ने भी आतंकवाद को कुचलने के स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं। इसमें अब कोई चूक नहीं छोड़ी जाएगी।

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