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Jammu Kashmir Election: चुनाव प्रचार नहीं करेंगे गुलाम नबी आजाद, कहा- प्रत्याशी चाहें तो वापस ले लें नाम

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के चेयरमैन गुलाम नबी आजाद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं करेंगे। बताया जा रहा है कि आजाद का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। बीते दिनों छाती में दर्द महसूस होने पर वह दो दिन तक एम्स अस्पताल दिल्ली में भर्ती रहे थे। इसी कारण आजाद ने चुनावी प्रचार से दूरी बनाने का निर्णय लिया है।

By satnam singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 29 Aug 2024 11:17 AM (IST)
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जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद नहीं करेंगे प्रचार (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जम्मू। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के चेयरमैन गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार में नजर नहीं आएंगे। इसका कारण उनका स्वास्थ्य सही नहीं होना बताया गया है। डीपीएपी ने पहले चरण के चुनाव के लिए 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की है।

स्वास्थ्य को देखते हुए आराम करेंगे आजाद

पार्टी सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा कि 25 अगस्त की रात को जब वह श्रीनगर में थे, तब उन्हें छाती में दर्द महसूस हुआ था। अगले दिन सुबह में वह अपना इलाज करवाने के लिए दिल्ली चले गए। वह दो दिन तक एम्स अस्पताल दिल्ली में भर्ती रहे। डाक्टरों ने फिलहाल उन्हें कोई खतरा नहीं बताया है, लेकिन वह स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को देखते हुए विश्राम कर रहे हैं।

जीएम सरूरी ने निर्दलीय किया नामांकन

आजाद पिछले दिनों श्रीनगर आए थे। तब उन्होंने पार्टी के 15 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इसके बाद उनका जम्मू में आने का कार्यक्रम था, लेकिन स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण दिल्ली लौट गए। पार्टी सूत्रों ने बताया कि वह दो-तीन दिन के बाद फिर कश्मीर आएंगे, लेकिन चुनाव प्रचार में हिस्सा लेना उनके लिए अब मुश्किल होगा। उनकी पार्टी के उप चेयरमैन जीएम सरूरी पहले ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किश्तवाड़ की इंद्रवाल सीट से नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

'नाम वापस लेने के लिए स्वतंत्र हैं प्रत्याशी'

आजाद ने कहा कि उन्हें यह अफसोस है कि वह अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे। उन्होंने अपने साथियों (जिन्होंने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए) से कहा कि वे मूल्यांकन करें कि वह उनकी गैर मौजूदगी में चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। अगर वे उनकी (आजाद) गैर मौजूदगी को चुनाव प्रचार पर असर समझते हैं तो वह अपना नाम वापस लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

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