Guchhi Mushroom: जानें क्या हैं गुच्छी मशरूम के औषधीय गुण, अब मिल रही अंतराष्ट्रीय पहचान
डोडा गुच्छी मशरूम को जल्द बड़ा बाजार मिलने की संभावना है। जीआइ टैग के लिए कृषि विभाग ने आवेदन किया है। इससे ग्रामीणों की तकदीर भी बदलेगी। दुर्लभ व औषधीय गुणों से भरपूर होती है गुच्छी और इसके एक किलो के दाम 10 से 30 हजार रुपये के बीच मिलते हैं।
By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Fri, 15 Jan 2021 09:04 AM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता: गुमनाम डोडा गुच्छी मशरूम को भी कश्मीरी केसर की तरह जल्द दुनिया में पहचान मिलने जा रही है। जियोग्रॉफिल इंडीकेशन टैग (जीआइ टैग) से गुच्छी को बड़ा बाजार मिलेगा। दुर्लभ व औषधीय गुणों से भरपूर डोडा गुच्छी मशरूम की खेती करने वालों की भी तकदीर बदलेगी। कृषि उत्पादन एवं किसान कल्याण विभाग ने जीआइ टैगिंग दिलाने के लिए औपचारिकताएं पूरी करते हुए जीआइ रजिस्ट्री चेन्नई में आवेदन कर दिया है। विभाग की पहल पर ग्रेट मिशन ग्रुप कंसलटेंसी पुणे ने जीआइ टैग का आवेदन जमा करवाया है। कृषि विज्ञान केंद्र भद्रवाह का विशेष योगदान रहा है।
जम्मू कश्मीर के पर्वतीय इलाकों में प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी यहां के राजसी व्यंजन में शामिल रही है। आज जम्मू कश्मीर समेत देश के कई होटलों में भी इसकी लजीज सब्जी की बेहद मांग रहती है। यही वजह है कि एक किलो गुच्छी के लिए बाजार में 10 से 30 हजार रुपये तक दाम मिल जाते हैं।
बिजली की गड़गड़ाहट से निकलती है गुच्छी : ग्रामीणों का मानना है कि बर्फ पिघलने के बाद फरवरी से अप्रैल के बीच जब बारिश से पहले जब आसमान में तेज बिजली चमकने के साथ बादलों की गडग़ड़ाहट होती है तो जंगल में जमीन के नीचे से गुच्छी ऊपर निकल आती है। आज तक वैज्ञानिक इसकी पैदावार को लेकर कोई खोज नहीं कर पाए हैं। जंगल में गुच्छी को तलाशना मेहनत और अनुभव का काम होता है।
बर्फ पिघलने के बाद जब घास उगती है और झाडिय़ों के झुरमुट बनने लगते हैं तो वही गुच्छी का प्राकृतिक आवास होता है। जाहिर है कि गुच्छी को तलाशने में अनुभवी बुजुर्ग ज्यादा काम के साबित होते हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के अंतिम सप्ताह के बीच जब पहाड़ी इलाकों में बादल उमडऩे घुमडऩे लगते हैं तो सुबह से ग्रामीण गुच्छी की तलाश में जंगलों में निकल जाते हैं। औषधीय गुणों की खान : गुच्छी मशरूम के महंगे होने का एक कारण यह है कि इसके अंदर पाए जाने वाले कई तत्व औषधीय गुणों से भरपूर हैं। गुच्छी में कई तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं। इसमें बी कांप्लेक्स, बिटामिन डी व विटामिन सी किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ के मुकाबले बहुत ज्यादा पाया जाता है। दिल के मरीजों को इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है।
जंगलों के कटान से नष्ट हो रहा प्राकृतिक आवास: जम्मू कश्मीर के अलावा हिमाचल के कई इलाकों में गुच्छी पाई जाती है। जम्मू संभाग के डोडा जिले में गुच्छी सबसे ज्यादा पाई जाती है। कठुआ के बनी, महानपुर और अन्य पर्वतीय इलाकों के अलावा राजौरी जिले के अखनूर की सीमा से सटे सुंदरबनी, थन्नामंडी और कुछ अन्य इलाकों में भी यह पाई जाती है। जम्मू जिले में अखनूर तहसील के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भी गुच्छी मिलती रही है। आजकल जिस तरह से वनों का कटाव बढ़ा है, उसका गुच्छी की पैदावार पर भी असर पड़ा है।
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