नेशनल कांफ्रेंस ने उठाए रोजगार के आंकड़ों पर सवाल, धांधली की जताई आशंका; सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
Jammu Kashmir जारी एक बयान में नेकां के वरिष्ठ नेता ने सरकार द्वारा यह दावा करते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया कि दो आंकड़ों के बीच अविश्वसनीय अंतर है क्योंकि सीएमआईई के अनुसार मार्च में जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत से अधिक थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता। नेशनल कांफ्रेंस के जम्मू प्रांतीय अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता ने जम्मू-कश्मीर सरकार से हाल ही में घोषित बेरोजगारी दर के आंकड़ों और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी, सीएमआईई द्वारा सार्वजनिक किए गए डेटा के बीच बड़ा अंतर पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आशंका जताई है कि रोजगार के आंकड़ों में धोखाधड़ी चल रही है।
जारी एक बयान में नेकां के वरिष्ठ नेता ने सरकार द्वारा यह दावा करते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया कि दो आंकड़ों के बीच अविश्वसनीय अंतर है क्योंकि सीएमआईई के अनुसार मार्च में जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत से अधिक थी। लेकिन मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। उसी इकाई के सरकारी डेटा ने 2019-20 में 6.7 प्रतिशत से 2021-22 में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 के हवाले से सुधार की सूचना दी है।
सरकार को सफाई देनी चाहिए
उन्होंने कहा कि लोग भ्रमित हो गए हैं क्योंकि दोनों आंकड़ों के बीच बहुत बड़ा अंतर है और निश्चित रूप से इनमें से एक को धोखा दिया गया है और सरकार को इस तथ्य पर सफाई देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विचार करने वाली बात यह है कि अगर सीएमआईई डेटा सही नहीं था, तो सरकार को इस पर आपत्ति करनी चाहिए थी। जो कि यह संकेत नहीं है कि पूरे मामले में कुछ गड़बड़ है।
उन्होंने कहा कि एक भी भर्ती नहीं होने से इस व्यवस्था के तहत प्रक्रिया सफलतापूर्वक समाप्त हो रही है क्योंकि घोटालों के बाद घोटालों और कई विभागों की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। कोई अच्छी तरह से तय कर सकता है कि कौन सा डेटा सही है और कौन सा फर्जी है।
सरकार घोटालों को अंजाम देने में लोकप्रिय हो गई है
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार घोटालों को अंजाम देने में लोकप्रिय हो गई है। जिसके चलते युवाओं को आए दिन प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं। इस शासन के तहत शुरू की गई कोई भी भर्ती प्रक्रिया अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई है।
लगभग हर परीक्षा घोटालों की भेंट चढ़ रही है और उपराज्यपाल देश भर में बैन हो चुकी एजेंसी से परीक्षाएं करवाना चाहते हैं। युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रही है। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को नौकरियां नहीं मिल रही जबकि खेल नीति बने डेढ़ साल के करीब हो गया है। नेकां नेता ने भर्ती प्रक्रिया में देरी की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं के भविष्य से न खेले।