Jammu News: जमानत पर छूटे आतंकियों पर रहेगी नजर, पहनाया गया जीपीएस ट्रैकर; उतारा तो जमानत रद
जीपीएस ट्रैकर का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका इंग्लैंड दक्षिण अफ्रीका आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत कई देशों में जमानत व पैरोल पर छूटे आरोपितों और घर में नजरबंद तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है। भारत में जम्मू कश्मीर पुलिस ने ही इसका उपयोग सबसे पहले शुरू किया है।
नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू कश्मीर में जमानत पर रिहा होने के बाद भी आतंकी, ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) और अलगाववादी किसी भी तरह से पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी से बच नहीं पाएंगे। वह कहां हैं और किस हालात में है, इसकी पल-पल की जानकारी पुलिस को रहेगी। जम्मू कश्मीर पुलिस ने जीपीएस ट्रैकर एंकलेट का इस्तेमाल शुरू किया है, जो एक तरह से बैंड की तरह होगा और आतंकी के पांव में पहनाया जाएगा। पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन समेत विभिन्न आतंकी संगठनों के लिए बतौर ओजीडब्ल्यू काम करने के आरोपित गुलाम मोहम्मद बट को यह पहली बार पहनाया है। उसे अदालत ने अंतरिम जमानत पर रिहा किया है।
अमेरिका, इंग्लैंड समेत कई देशों में उपयोग होता है ट्रैकर
जीपीएस ट्रैकर का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत कई देशों में जमानत व पैरोल पर छूटे आरोपितों और घर में नजरबंद तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है। भारत में जम्मू कश्मीर पुलिस ने ही इसका उपयोग सबसे पहले शुरू किया है।
आरोपित गुलाम मोहम्मद बट कट्टरपंथी हुर्रियत के मारे जा चुके चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी का करीबी था। वह हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन का भी विश्वस्त है। गुलाम मोहम्मद बट को वर्ष 2011 में दिल्ली पुलिस और जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकी फंडिंग मामले में एक संयुक्त कार्रवाई में श्रीनगर में पकड़ा था। उस समय उसके पास से 20 लाख रुपये की नकदी, दो मोबाइल फोन व अन्य सामान मिला था। उसके तीन अन्य साथी भी पकड़े गए थे।
इस मामले में दिल्ली स्थित पटियाला हाउस की अदालत ने वर्ष 2018 में दोषी करार देते हुए सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। ऊधमपुर पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ गैर कान कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम 1967 के विभिन्न प्रविधानों के तहत मामले में उसने अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। इस मामले में बट ने हुर्रियत के एक नेता जमाली खान को ढाई लाख रुपये उपलब्ध करवाए थे, जो सैयद अली शाह गिलानी तक पहुंचाए जाने थे।
जमानत के लिए रखी गई थी ये शर्तें
अभियोजन पक्ष ने गुलाम मोहम्मद बट को जमान दिए जाने की स्थिति में कुछ शर्तों को लागू करने का अदालत से आग्रह किया था। इन शर्तों के मुताबिक, उसे हर सप्ताह एसएसपी श्रीनगर के कार्यालय में हाजिरी देने के अलावा जम्मू पुलिस रेंज के आइजी द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले जीपीएस ट्रैकर को पहनना होगा। इसके इस्तेमाल से संबंधित सभी शर्तों को पूरा करना होगा।
इसके अलावा वह कोई स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं करेगा बल्कि एक सामान्य कीपैड वाला मोबाइल फोन का ही प्रयोग करेगा। उक्त मोबाइल फोन का आइएमईआइ नंबर भी संबंधित थाना प्रभारी को देना होगा। वह अपना फोन कभी बंद नहीं रखेगा। उसे अपना पासपोर्ट भी एसएसपी श्रीनगर को सौंपना होगा और अदालत की अनुमति के बिना श्रीनगर जिला की हद से बाहर नहीं जाएगा।
जीपीएस ट्रैकर उतारा तो जमानत रद
प्रदेश जांच एजेंसी (एसआइए) के एसपी शोभित सक्सेना ने कहा कि किसी आरोपित को जमानत पर रिहा करते हुए उसे जीपीएस ट्रैकर एंकलेट पहनाए जाने का यह देश में पहला मामला है। आरोपित इसे नहीं उतार सकता, अगर उतारेगा तो उसकी जमानत रद हो जाएगी और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि यह जेलों में भीड़ कम करने में भी मददगार साबित होगा। कई विचाराधीन कैदियों और नशा तस्करी के आरोपितों को इसे पहनने की शर्त के साथ रिहा किया जा सकता है।
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कैसे काम करता है जीपीएस ट्रैकर एंकलेट
यह जमानत पर रिहा हुए आरोपित की एडी के ऊपर पहनाया जाता है। इसमें लगा जीपीएस पुलिस कंट्रोल रूप में संबंधित आरोपित के लोकेशन की पल-पाल की जानकरी उपलब्ध करवाता है।