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Jammu Kashmir: घरों में इलाज या स्वास्थ्य ढांचे में कमी, मौतों का ग्राफ बढ़ा; हर आयु वर्ग के लोग शामिल

एचओडी डा. राहुल गुप्ता का कहना है कि बहुत से मरीज घरों में ही अपना इलाज करवा रहे हैं। वह बिना डाक्टर की सलाह के ही दवाई ले रहे हैं। इससे भी कइयों को दिक्कत हो रही हैं। कई तो बिना जरूरत के ही दवाई खा रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Mon, 10 May 2021 08:40 AM (IST)
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जम्मू के राजकीय मेडिकल कालेज के मेडिसीन विभाग में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी बनी हुई है।
जम्मू, रोहित जंडियाल: इसे स्वास्थ्य ढांचे में कमी कहें या फिर मरीजों का सही प्रकार से प्रबंधन न हो, लेकिन हकीकत यह है कि जम्मू-कश्मीर में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ रहा है। एक ओर जहां मरीज घरों में ही इलाज के दौरान दम तोड़ रहे हैं, वहीं अस्पतालों में भी पहुंचने पर अधिकांश की मौत दो से तीन दिनों के भीतर हो रही है। मरने वालों में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। जम्मू संभाग में मरीजों की मौत अधिक हो रही है।

नेशनल हेल्थ मिशन से मिले आंकड़ों के अनुसार इस महीने अभी तक सिर्फ राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल जम्मू में 148 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई जबकि 41 मरीजों को घरों से मृत लाया घोषित किया गया। ऐसा जम्मू संभाग में पहली बार हुआ है कि किसी बीमारी से इतनी माैतें हुई हों।राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में भी पहली बार नौ दिनों में 189 मरीजों के शव निकले हैं।

अगर हम मरीजों के अस्पताल में रहने का समय देखें तो हैरान करने वाले आंकड़े हैं। पचास फीसद से अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती होने के तीन दिन से कम समय में मृत घोषित कर दिए गए हैं। रविवार को जिन मरीजों की मौत हुई, उनमें नानक नगर के रहने वाले 73 वर्षीय बुजुर्ग को एक दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जबकि छन्नी रामा के रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग को भी एक दिन पहले ही भर्ती किया गया था।

इसी तरह आरएस पुरा की राहने वाली 54 वर्षीय महिला को छह मई को, बडी ब्राह्मणा के रहने वाले 64 वर्षीय व्यक्ति को आठ मई को, बनतालाब के रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग को सात मई , शिव नगर के रहने वाले 72 वर्षीय बुजुर्ग को सात मई को जीएमसी जम्मू में भर्ती करवाया गया था। रविवार को जीएमसी में मीने वाले 18 में से साठ फीसद ऐसे थे जो कि अस्पताल में तीन दिन भी नहीं निकाल सके।

जम्मू के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डा. जेपी सिंह का कहना है कि बहुत से मरीज अस्पतालों में इलाज के लिए देरी से आ रहे हैं। इस कारण भी उनकी मौत हो रही है। लोगों को चाहिए कि अगर उनका आक्सीजन स्तर 90 से कम आ जाता है तो वे तुरंत अस्पताल में आकर डाक्टर से संपर्क करें ताकि उनका अस्पतालों में इलाज हो सके।

वहीं सीडी अस्पताल जम्मू में एचओडी डा. राहुल गुप्ता का कहना है कि बहुत से मरीज घरों में ही अपना इलाज करवा रहे हैं। वह बिना डाक्टर की सलाह के ही दवाई ले रहे हैं। इससे भी कइयों को दिक्कत हो रही हैं। कई तो बिना जरूरत के ही दवाई खा रहे हैं। इस बीमारी में मरीज को अपने आक्सीजन स्तर को देखने की जरूरत है। अगर आक्सीजन स्तर कम होता है तो तुरंत अस्पताल में आकर अपना इलाज करवाएं।

अस्पताल में सुविधाओं की कमी: राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल सहित कई अस्पतालों में सुविधाओं की कमी भी बनी हुई है। जीएमसी में मरीजों को बाइपेप तक नहीं मिल पा रही है। बाइपेप मशीन क्राॅनिक ऑब्सट्रक्टिव पुल्मोनरी डिजीज के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होती है। यह मशीन उन मरीजों को लगाइ जाती है, जिन्हें सांस अंदर लेने और छोड़ने में तकलीफ होती है। इन मशीनों के साथ माॅस्क लगा होता है। जिसे नाक और मुंह पर फिट किया जाता है। कुछ मरीजों का कहना है कि उन्होंने किराये पर मशीनें लाई हैं। वहीं जीएमसी व सहायक अस्पतालों में हाई फ्लो आक्सीजन वाले बिस्तरों की भी कमी बन गई है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के वार्ड नंबर चार में भर्ती मरीजों को आक्सीजन कंसंट्रेटर के सहारे रखा गया है। वहां पर कई मरीजों ने दिक्कत होने की शिकायत की है। इसी तरह जीएमसी के कुछ वाडों में भी इसी तरह की शिकायतें हैं।

मेडिसिन विभाग में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी: जम्मू के राजकीय मेडिकल कालेज के मेडिसीन विभाग में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी बनी हुई है। विभाग में फैकल्टी के कुल 29 पद हें लेकिन इस समय नौ पर ही नियुक्तियां हुई हैं। अन्य पद खाली पड़े हुए हें। यह अस्पताल का मुख्य विभाग है और इसने कोविड के मरीजों को संभाला हुआ है। ऐसे में इस विभाग के डाक्टरों पर काम के बोझ का अनुमान लगाया जा सकता है। विभाग के एक डाक्टर ने बताया कि अगर सभी पदों पर नियुक्ति होती तो ऐसी स्थिति न होती।

विश्वास में कमी: जीएमसी जम्मू कास सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन जिस तरह से मरीजों को बिस्तर मिलने में दिक्कत हुई या फिर गत वर्ष कुछ मरीजों की मौत हुई थी। उससे बहुत से मरीज अस्पताल आने को प्राथमिकता नहीं देते हैं। वह निजी अस्पतालों का रुख करते हैं। जब निजी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिलते तो वह घर में आ जाते हैं या फिर उसके बाद जीएमसी में आते हैं। इस कारण भी समस्या बढ़ी है।

जम्मू-कश्मीर में इस महीने हुई मौतें

  • तिथि      कुल मौतें   जीएमसी में    घर में  
  • एक मई:    47          13                05
  • दो मई:      41          15                01
  • तीन मई:    51          24                03
  • चार मई:     37          10               05
  • पांच मई:     52         15                02
  • छह मई::     52          19               07
  • सात मई:      50         18               04
  • आठ मई:      60        16               10
  • नौ मई ::        54        18              04
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