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Guga Navami 2022 : कल धूमधाम से मनाई जाएगी गुग्गा नवमीं, जन्माष्टमी पर भी देवस्थान पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सुंदरबनी के गांव मंडयाल में स्थित राजा मंडलीक के ऐतिहासिक देवस्थान में भी गुग्गा नवमीं की तैयारियां पूरी कर ली गईं। यहां इस दिन विशेषकर चश्याल राजपूतों की मेल रहती है और कुल के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। सैकड़ों की संख्या में अन्य श्रद्धालु भी मन्नतें चढ़ाने पहुंचते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 01:03 PM (IST)
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कंजक पूजन करने के बाद भंडारे को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जन्माष्टमी के दूसरे दिन हर साल तरह इस बार भी गुग्गा नवमीं मनाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जन्माष्टमी के दिन भी नरवाल स्थित राजा मंडलीक के देवस्थान में श्रद्धालुओं का सुबह से आना-जाना लगा हुआ है।

गुग्गा नवमी से पूर्व जन्माष्टमी के मौके पर भी श्रद्धालु देवस्थान में पहुंच कर गुग्गा नवमी के दिन अपनी मन्नतें चढ़ाने के विधि-विधान पूछने के लिए पहुंचे। सुबह से ही जन्माष्टमी के साथ गुग्गा नवमी की तैयारियों को पूर्ण रूप देने का काम शुरू कर दिया गया। शनिवार सुबह से ही पूजा-अर्चना के साथ गुग्गा नवमी काे त्यौहार की तरह मनाया जाएगा।

नरवाल स्थित देवस्थान में गद्दीनशीन पंडित विजय शर्मा ने बताया कि गुग्गा नवमी के दिन कुलदेवता राजा मंडलीक, कालीवीर व अन्य देवताओं की पूजा अर्चना के विधि-विधान की जानकारी लेने के लिए बहुत से श्रद्धालु पहुंचे। इतना ही नहीं बहुत से श्रद्धालु अपनी परेशानियों को लेकर भी देवस्थान में पहुंचे और देवता का आशीर्वाद ग्रहण किया। उन्होंने बताया कि गुग्गा नवमी पर सुबह पत्तल पूजा, कंजक पूजन, जात्तर के बाद विशाल भंडारे को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू में भी 20 अगस्त को गुग्गा नवमी पूरे उत्साह और धूमधाम व धार्मिक आस्था के साथ मनाई जा रही है। नरवाल स्थित देवस्थल पर सुबह सात बजे पूजा-अर्चना के साथ कार्यक्रम का आगाज होगा। दोपहर बाद भंडारा होगा। सुबह 9.30 बजे छिल्ला बिजाई की रस्म होगी। उसके बाद पत्तर पूजन 12 बजे तक होगा। 12.30 कंजक पूजन करने के बाद भंडारे को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

शाम 5 बजे देव चौकी की जाएगी। कार्यक्रम में पूर्व मंत्रियों, राज नेताओं, अधिकारियों व गणमान्य लोगों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे कुलदेवता का आशीर्वाद लेने के लिए देवस्थानों में जाएं और पूजा-अर्चना करें।

वहीं सुंदरबनी के गांव मंडयाल में स्थित राजा मंडलीक के ऐतिहासिक देवस्थान में भी गुग्गा नवमीं की तैयारियां पूरी कर ली गईं। यहां इस दिन विशेषकर चश्याल राजपूतों की मेल रहती है और कुल के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। इतना ही सैकड़ों की संख्या में अन्य श्रद्धालु भी मन्नतें चढ़ाने पहुंचते हैं।

राजौरी जिले के सुंदरबनी से करीब 15 किलोमीटर दूर मंडयाल गांव में यह देवस्थान वर्ष 1942-43 में स्थापित किया गया। सुंदरबनी से कांगड़ी रोड पर वनपुरी शिव मंदिर के नजदीक से बाईं ओर से रास्ता इस देवस्थान को जाता है। बताया गया कि देश के बटवारे से पहले पाकिस्तान स्थित ना-नाली क्षेत्र से कुलदेवता की मंडी को यहां शिफ्ट किया था।

आजादी के बाद तो फिर यहीं पूजा-अर्चना होने लगी। कुलदेवता राजा मंडलीक के अलावा इस मुकाम पर कालीवीर और नार सिंह की भी पूजा की जाती है।