Jammu: पहाड़ी समुदाय को आरक्षण मिलने से गुज्जर-बकरवाल समुदाय नाराज, पुंछ और राजौरी में इंटरनेट सेवा बंद; धारा 144 लागू
पहाड़ी समुदाय को आरक्षण मिलने के विधेयक पारित होने के बाद ये मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। पहाड़ी जनजातियां कोली गड्डा ब्राह्मण को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने पर गुज्जर-बकरवाल को लग रहा है कि उनका हक कम हो जाएगा। इसके चलते डीसी जम्मू ने पुंछ और राजौरी में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी है। साथ ही जिले में धारा 144 लागू कर दी है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने संबंधित विधेयक पारित होने के बाद कई जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। हिंसक घटनाओं की आशंका के मद्देनजर जिला राजौरी और पुंछ में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के साथ-साथ इंटरनेट सेवा पर फिलहाल रोक लगा दी है। वहीं, डीसी जम्मू सचिन कुमार वैश्य ने भी पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार मिल रही सूचनाओं के आधार पर जिले में धारा 144 लागू कर दी है।
सांसद जुगल किशोर शर्मा द्वारा पारित किए गए इस विधेयक के अनुसार, अब पहाड़ी जनजातियां, कोली, गड्डा ब्राह्मण को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा। लोकसभा में पारित यह विधेयक अब राज्यसभा में रखा जाएगा। यह लगभग तय है कि यह विधेयक लागू हो जाएगा। हालांकि विधयेक लोकसभा में पारित होने के बाद से ही जम्मू में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था। जम्मू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर अपना रोष जताते हुए जमकर प्रदर्शन किया।
गुज्जर-बकरवाल को लग रहा कम हो जाएगा उनका हक
जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की आबादी तकरीबन 20 लाख है, जिसमें गुज्जर-बकरबाल और गद्दी वर्ग के लोग आते हैं। प्रदेश की जनसंख्या में इनकी तकरीबन 15 से 20 प्रतिशत भागेदारी है। लेकिन पहाड़ी लोगों को अनुसूचित जाति वर्ग का दर्जा देने का फैसला अधिकांश लोगों को हजम नहीं हो रहा। अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए गुज्जर -बकरवाल लगातार बैठकें कर रहे हैं। गुज्जर-बकरवाल लोगों को लग रहा है कि उनका हक कम हो जाएगा। वहीं इनका कहना है कि सरकार ने द्वारा लिया गया फैसला गैर संवैधानिक है। यह राजनैतिक फैसला है। देश में इस तरह से लोगों को अनुसूचित जाति वर्ग का दर्जा नहीं दिया जाता।
ये भी पढ़ें: श्रीनगर के शहीद गूंज में आतंकियों की नापाक हरकत, आम लोगों पर की गोलीबारी; अमृतसर के एक सिख की मौत
पूरे पहाड़ी लोगों को ही अनुसूचित में लाना राजनीतिक फैसला
गुज्जर यूनाइटेड फ्रंट के चेयरमैन शाह मोहम्मद चौधरी ने कहा कि गुज्जर-बकरवाल लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही जम्मू-कश्मीर गुज्जर यूनाइटेड फ्रंट सरकार के फैसले को चुनौती देगी। क्योंकि देश में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि लोगों को ऐसे ही अनुसूचित जाति वर्ग दर्जा दे दिया जाए। हां कुछ चुने हुए क्षेत्र को कुछ बरसों के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के अधीन लाया जा सकता है। लेकिन जैसे हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति को दर्जा दिया गया है। ऐसे ही जम्मू-कश्मीर की कुछ पॉकेट को एसटी का दर्जा दिया जा सकता था। पूरे पहाड़ी लोगों को ही अनुसूचित में लाना राजनीतिक फैसला है, जोकि संविधान के खिलाफ है। हम सरकार के निर्णय का विरोध करेंगे और न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।