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Jammu Kashmir New Excise Policy : बार बंद करने पर नोटिस जारी, 20 सितंबर तक पक्ष रखने को कहा

वहीं हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नियमों को लागू करने में बरती जा रही लापरवाही पर नाराजगी प्रकट करते हुए चीफ सेक्रेटरी को स्वयं इसका संज्ञान लेने व सरकारी विभागों में रिक्त होने वाले पदों का बकायदा एक रोस्टर तैयार करवाने के निर्देश दिए है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 04 Sep 2021 11:30 AM (IST)
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बेंच ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि कोई भी सरकारी विभाग आरक्षण रजिस्टर नहीं बनाता है।
जम्मू,जेएनएफ:  आबकारी विभाग की ओर से जम्मू-कश्मीर में सभी बार बंद करवाए जाने पर हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के आयुक्त सचिव, आबकारी विभाग के आयुक्त व उपायुक्त को नोटिस जारी कर बीस सितंबर तक पक्ष रखने का निर्देश दिया है। आबकारी विभाग के इस आदेश को कुछ बार संचालकों में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने विभाग को बीस सितंबर तक पक्ष रखने व इस अवधि तक याचिकाकर्ताओं की मांग पर गौर करने का निर्देश दिया है।

इंजीनियर्स पर दर्ज एफआईआर खारिज : हाईकोर्ट ने सरकारी पैसे का गबन करने के आरोप में पूर्व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बशीर अहमद, पूर्व असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर निसार अहमद व पूर्व जूनियर इंजीनियर अब्दुल रहमान के खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज कर दी है। कोर्ट ने पाया कि 22 साल पुराने इस केस में तत्कालीन स्टेट विजिलेंस आर्गेनाइजेशन का केस था कि उक्त आरोपितों ने 1998-99 में आपसी मिलीभगत से एक लाख 40 हजार 353 रुपये का गबन किया। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून के तहत शिकायत के सात दिन के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी होनी चाहिए लेकिन इस मामले में प्रारंभिक जांच शुरू हाेने के 18 साल बाद एफआईआर दर्ज हुई जोकि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का भी हनन है।

न्यायिक सेवाओं में आरक्षण पर गौर करें प्रशासन : हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रशासन से न्यायिक सेवाओं में आरक्षण दिए जाने पर गौर करने का निर्देश दिया है। बेंच ने कर्ण शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए। कर्ण शर्मा ने कहा कि वह दिव्यांग है लेकिन जम्मू-कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से 24 दिसंबर 2013 में जम्मू-कश्मीर सिविल की परीक्षा के लिए जारी अधिसूचना में दिव्यांगों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया। कर्ण शर्मा ने कहा कि कानून के तहत पीएससी को छह पदों में से एक पद दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखना चाहिए था। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने मौजूदा याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि संविधान में कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए आरक्षण दिया गया है और न्याय विभाग समेत सरकार के हर विभाग को संविधान में दिए गए इस प्रावधान को लागू करना चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन पीएससी व हाईकोर्ट से परार्मश करके जिला जज के पद को छोड़ अन्य न्यायिक सेवाओं में आरक्षण के प्रावधान को लागू करें।

आरक्षण नियमों को कठोरता से लागू करने के निर्देश : हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नियमों को लागू करने में बरती जा रही लापरवाही पर नाराजगी प्रकट करते हुए चीफ सेक्रेटरी को स्वयं इसका संज्ञान लेने व सरकारी विभागों में रिक्त होने वाले पदों का बकायदा एक रोस्टर तैयार करवाने के निर्देश दिए है। बेंच ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि कोई भी सरकारी विभाग आरक्षण रजिस्टर नहीं बनाता है। ऐसे में जब कभी भी आरक्षण श्रेणी में कोई पद खाली होता है तो चंद भ्रष्ट अधिकारी इस कोटे की सीट दूसरे कोटे में डाल देते हैं जिससे योग्य उम्मीदवार को उसका हक नहीं मिल पाता। ऐसे में जरूरी है कि हर विभाग में आरक्षण कोटे के पदों का एक रोस्टर तैयार किया जाए और हर साल इसमें रिक्त होने वाले पदों की जानकारी अपडेट की जाए ताकि जब कभी भी जिस कोटे की सीट खाली हो, उसी कोटे के उम्मीदवारों को उसका लाभ मिल सके।

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