Jammu Kashmir News: अपने स्वाद और मिठास से पहचान बना रही जम्मू की लीची, बागवानी विभाग इसकी खेती के लिए दे रहा है सब्सिडी
जम्मू कश्मीर में लीची की खेती पांच साल पहले शुरू हुई थी लेकिन अपने स्वाद और मिठास से जम्मू की लीची देशभर में अपनी पहचान बना रही है। जम्मू के अलावा कठुआ सांबा और रियासी की जलवायु लीची की खेती के लिए अनुकूल है। बागवानी विभाग लीची की खेती के लिए सब्सिडी भी दे रहा है। इस समय जम्मू में देहरादून व कोलकाता वैरायटी की लीची लग रही है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू की लीची मिठास से भरपूर है और लोगों को बेहद पसंद आ रही है। यहां की जलवायु और मिट्टी का ही कुछ ऐसा प्रभाव है जिसने लीची को कुछ खास बनाया। यही कारण है कि अब स्थानीय लीची अपनी पहचान बनाने लगी है।
जैसे कश्मीर सेब के लिए जाना जाता है, तो आने वाले समय में जम्मू लीची के लिए जाना जाएगा। खासकर चार जिले जम्मू, सांबा, कठुआ व रियासी की जलवायु लीची की पैदावार के लिए उत्तम मानी गई है।
1234 हेक्टेयर तक पहुंच गई है लीची की खेती
अन्य राज्यों से आने वाली लीची के मुकाबले में जम्मू की लीची में अधिक मिठास होने से इसकी खेती को बढ़ावा देने का क्रम पांच वर्ष पहले आरंभ हुआ। इतने कम समय में ही इसकी खेती बढ़कर 1234 हेक्टेयर तक पहुंच गई है। इससे 2332 मीट्रिक टन लीची की पैदावार हर वर्ष मिल रही है।
इस वित्त वर्ष में जम्मू के इन जिलों में लीची की खेती में 400 हेक्टेयर की और बढ़ोतरी किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। बागवानी विभाग किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रहा है।
आने वाले पांच वर्ष में बड़ा बदलाव नजर आएगा
बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले पांच वर्ष में बड़ा बदलाव नजर आएगा। जम्मू क्षेत्र में जगह-जगह लीची के बाग नजर आएंगे। कंडी क्षेत्र में भी लीची के बाग लगाने की तैयारी है। इस समय जम्मू में देहरादून व कोलकाता वैरायटी की लीची लग रही है।
एक हेक्टेयर में 100 पौधे, जबकि पौधे अगर उच्च घनत्व वाले हैं, तो 400 तक लगाए जा सकते हैं जो कि अगले तीन वर्ष में ही पैदावार देना आरंभ कर देंगे। पांच वर्ष की उम्र वाला पेड़ 40 से 50 किलो लीची की पैदावार दे सकता है। इसके बाद इसकी पैदावार और बढ़ती जाएगी।
खास बात यह है कि लीची बेहद महंगे दाम पर बिकती है। जम्मू में अब लीची का सीजन अंत में पहुंच आया है, लेकिन अभी भी किसानों को मंडी में एक किलो के लिए 80 रुपये दिला रहा है।
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युवा भी आगे आएं और बनाएं आय का जरिया
जम्मू के जिला बागवानी अधिकारी विजय अंगुराना ने बताया कि जम्मू की लीची स्वाद में बेहतर है और लोगों को पसंद आ रही है। बागवानी विभाग इसकी खेती को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है, ताकि किसानों को अच्छा लाभ हो सके। जिन किसानों ने लीची के बाग लगाए थे, आज अच्छी कमाई कर रहे हैं।
विभाग किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी लीची की खेती में दे रहा है। ग्रामीण युवाओं से कहूंगा कि वे लीची के बाग लगाएं और अपनी आमदनी का जरिया बनाएं।
एक हेक्टेयर में लीची लगाकर आप तीसरे वर्ष से ही हर साल डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई करने लगेंगे। उसके बाद जैसे-जैसे समय गुजरेगा, पैदावार और बढ़ेगी और लाभ का प्रतिशत भी बढ़ता जाएगा। वहीं, लीची के बाग में बची खाली जगह में साग-सब्जियां भी लगाई जा सकती हैं।
-शाम सिंह, गांव बडुई, पुरमंडल
डेढ़ हेक्टेयर में खेती की है। लीची के पेड़ अब बड़े हो गए हैं और अच्छी पैदावार मिल रही है। मेरी कमाई करीब आठ लाख रुपये सालाना है। मैं दूसरे युवाओं से भी कहना चाहूंगा कि लीची की खेती करें।
-रंधी राज देव सिंह, गांव रख होशियारी, कठुआ
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